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जानें जानकी जयंती के महत्व को

इस बार जानकी जयंती 6 मार्च को

पवन कुमार शास्त्री

हिंदू धर्म पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जानकी जयंती का त्योहार मनाया जाता है।मान्यताओं के मुताबिक इस दिन सीता माता प्रकट हुई थी। इस साल जानकी जयंती 6 मार्च दिन शनिवार को पड़ रहा है।जानकी जयंती को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता हैं।यह फाल्गुन कृष्ण अष्टमी को होती है।
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आज हम जानते हैं जानकी जयंती का महत्व और पूजन विधि। इस दिन माता सीता की पूजा की जाती है।इसके बाद देवी मां सीता को पीले पुष्प, वस्त्र ओर श्रृंगार का सामान अर्पित किया जाता है।इस दिन देवी मां सीता से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना की जाती है।मान्यताओं के मुताबिक जानकी जयंती के दिन पूजा करने से महिलाओं को विशेष फल की प्राप्ति होती है।इस दिन पूजा करने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर हो जाती है।
जानिए जानकी जयंती का महुर्त
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ— 5 मार्च को शाम 7 बजकर 54 मिनट पर।
अष्टमी तिथि का समापन— 6 मार्च शनिवार को शाम 6 बजकर 10 मिनट पर।
उदया तिथि— 6 मार्च 2021
जानकी जयंती का शुभ पंचांग—
सूर्योदय— सुबह 6 बजकर 41 मिनट पर।
सूर्यास्त— शाम के समय में 6 बजकर 24 मिनट पर।
राहुकाल— सुबह 9 बजकर 37 मिनट से दिन में 11 बजकर 5 मिनट तक।

जानिए माता सीता के जन्म से जुड़ी कथा—
एक पौराणिक कथा और रामायण के अनुसार एक बार मिथिला के राजा जनक यज्ञ के एि खेत को जोत रहे थे। उसी समय एक क्यारी में दरार हुई और उसमें से एक नन्ही बच्ची प्रकट हुईं। उस समय राजा जनक की कोई संतान नहीं थी। इसलिए इस कन्या को देख वह मोहित हो गए और गोद ले लिया।आपको बता दें कि हल को मैथिली भाषा में सीता भी कहा जाता है।और यह कन्या हल चलाते हुए ही मिली इसलिए इनका नाम सीता रखा गया।