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जाने क्यों शिवलिंग पर तुलसी का प्रयोग है वर्जित

हिंदू धर्म में पर्व त्योहारों को विशेष महत्व दिया जाता हैं वही काल के भी काल यानी महाकाल शिव की उपासना का महापर्व महाशिवरात्रि इस साल 11 मार्च को पड़ रही हैं इस अवसर परअपने आराध्य भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हर कोई कई तरह के जतन कर रहा हैं.

इस दिन कोई व्रत करता है तो कई प्रसि​द्ध शिव मंदिर में पैदल चलकर रुद्राभिषेक करता हैं शिव की पूजा में बिल्वपत्र, धतूरा, पुष्प आदि चीजें शिवलिंग पर अर्पित की जाती हैं ऐसी मान्यता है कि इससे शिव प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की कामनाओं को पूरा करते हैं मगर पूजा से जुड़ी कुछ और भी चीजें हैं जिन्हें शिव को नहीं अर्पित करना चाहिए। मान्यता है कि हर देवी देवता में चढ़ने वाले तुलसी और सिंदूर शिव को नहीं चढ़ानी चाहिए। ऐसा करने से शिव प्रसन्न होने की जगह पर नाराज हो जाते हैं। तो आज हम आपको ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में बता रहे हैं जिन्हें शिव को अर्पित नहीं करना चाहिए तो आइए जानते हैं।


आपको बता दें कि तुलसी मां लक्ष्मी का स्वरूप मानी जाती हैं यानी श्री विष्णु की अर्धांगिनी। भगवान विष्णु शालिग्राम की पूजा में ही सदैव तुलसी का प्रयोग किया जाता हैं मगर शिवलिंग पर तुलसी का प्रयोग वर्जित माना गया हैं। सिंदूर को श्रृंगार की वस्तु कहा जाता हैं जोकि सभी देवियों को चढ़ाया जाता हैं मगर भगवान शिव वैरागी हैं और उन्हें महाकाल माना जाता हैं इसलिए सिंदूर शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए।
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शिव को अर्पित की गई वस्तु का प्रसाद नहीं लिया जाता है जैसे कि बाकी देवताओं पर चढ़ी चीजों को प्रसाद में लेते हैं इसलिए शिवलिंग पर नारियल पानी नहीं चढ़ाया जाता हैं।कथाओं के अनुसार एक बार केतकी पुष्प ने ब्रह्मा का ढूठ में साथ दिया था जिसे जानकर शिव ने क्रोध में केतकी के पुष्प को श्राप दिया था। तब से इस पुष्प को शिवलिंग में नहीं चढ़ाया जाता हैं। सभी देवी देवताओं की पूजा में हल्दी या हल्दी चावल का प्रयोग किया जाता हैं मगर कुछ लोगों की मानें तो हल्दी सौभाग्य का प्रतीक होती हैं तो विनाश के देवता भगवान शिव को यह नहीं अर्पित करनी चाहिए। परंतु इसका शास्त्री प्रमाण नहीं है

पवन कुमार शास्त्री
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