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अतुलनीय व अद्भुत तुलसी


शम्भु देव झा

भारतीय सनातन संस्कृति से तुलसी पौधे का अनूठा लगाव रहा है. मान, सम्मान, मोक्ष, अध्यात्म के साथ पूजा अनुष्ठान के समय हर भारतीय का तुलसी पौधे से सरोकार बना रहता है । यहां तक कि जीवन के अवसान घडी में तुलसी की लालसा उत्तम मानी गई है।तुलसी पत्र को विज्ञान रसायन मानता है।कारण है इसके त्रिदोषनाशक क्षमता का होना। त्रिदोष नाशक क्षमता मतलब ज्वर, सर्दी, जुकाम, वायु, कृमिनाशक, रक्त विकार से पीडि़तों के लिए तुलसी एक सहज उपलब्ध और विशेष औषधि है।पेय के रूप में काढ़ा पीना सबों को पसंद है।यही कारण रहा कि वर्तमान कोरोनाकाल में लगभग 90 फीसदी भारतीय जनमानस ने तुलसी काढ़े को अपनाया।चिकित्सकों ने भी इसके सेवा पर ज़ोर दिया। सर्वे भी बताते हैं कि तुलसी सेवन करने वाले अपेक्षाकृत ज़्यादा सुरक्षित रहे। मेडिकल साइंस का भी मानना है कि तुलसी काढ़ा से शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि तुलसी पत्र का कोई दुष्प्रभाव नहीं है।
परीक्षण से पता चला है कि हड्डी, मांस तथा त्वचा संबंधी विकार भी तुलसी से दूर किया जा सकता है।

शम्भु देव झा


विशेषज्ञ मानते हैं कि तुलसी का पौधा केवल विष्णु प्रिया ही नहीं हैं अपितु संपूर्ण पौधे का महत्वपूर्ण योगदान हमारे जीवन में है। दैवज्ञशिरोमनी पं गणेश कांत झा के मुताबिक़ मानव जीवन के साथ और जीवनकाल के बाद भी तुलसी उपयोगी है।

वे कहते हैं कि
पत्रं पुष्पं फलं मूलं,
शाखा त्व्क् स्कंधसंज्ञितम् ।
तुलसीसंभवं सर्व
पावनं मृत्तिकादिकम् ।
मतलब यह है कि तुलसी एक ऐसा बहुपक्षीय संजीवनी है जिसकी महत्ता सर्वकालिक है।