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आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण पर भारतीय विश्‍वविद्यालयों और संस्‍थानों का नेटवर्क उद्घाटन के अवसर पर आयोजित हुई कार्यशाला

आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण के लिए सैंडाई फ्रेमवर्क पर हस्‍ताक्षरकर्ता के रूप में तथा राष्‍ट्रीय प्रतिबद्धता के रूप में आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा प्रस्‍तावित 10 बिन्‍दु एजेण्‍डा के मद्देनजर देश वर्ष 2030 तक जीवन और सम्‍पत्ति पर आपदा के प्रभाव को न्‍यूनतम स्‍तर तक लाने के प्रति प्रतिबद्ध है । विश्‍वविद्यालय और संस्‍थान अपनी शिक्षा, अनुसंधान, चर्चा, विचार-विमर्श तथा नीतिगत सहायता से भविष्‍य में आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण के परिदृश्‍य को परिवर्तित करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं । भारत के प्रधानमंत्री द्वारा नवम्‍बर 2016 में दिल्‍ली में आयोजित एशियाई मंत्रिमण्‍डलीय सम्‍मेलन के अवसर पर प्रस्‍तावित आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण के लिए 10 बिन्‍दु एजैण्‍डा के बिन्‍दु 6 के अनुसरण में क्षमता, कौशल और जानकारी के अभाव से सम्‍बद्ध मुद्दों के समाधान के लिए राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्‍थान द्वारा आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण पर भारतीय विश्‍वद्यिालयों और संस्‍थानों का नेटवर्क स्‍थापित किया गया है ।

                यह एजैण्‍डा “भारत में आपदा सम्‍बंधी मुद्दों पर काम करने के लिए विश्‍वविद्यालयों का एक नेटवर्क विकसित करने” पर जो‍र देता है । इसके साथ-साथ इस एजैण्‍डा का बिन्‍दु 6, (डी) के अन्‍तर्गत “वैज्ञानिक तथा तकनीकी समुदाय, शिक्षा जगत और निजी क्षेत्र के सहयोग से अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर श्रेष्‍ठ प्रक्रियाओं का प्रसार, स्‍थापना और उन्‍हें साझा करने के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्‍साहन देने” के लिए वैश्विक तथा क्षेत्रीय स्‍तर पर प्रयास करने की परिकल्‍पना करता है ।

          आज आयोजित इस अनावरण कार्यशाला का उद्घाटन गृह राज्‍य मंत्री, नित्‍यानंद राय द्वारा किया गया, मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि इस कार्यशाला का आयोजन प्रधानमंत्री के 10 सूत्री एजैण्‍डा और उनके नवीनीकरण के प्रति लगाव से प्रेरणा स्‍वरूप किया गया है ; तथा इस कार्यशाला का आयोजन भारत सरकार की सामान्‍य जन को आपदा के प्रभावों से सुरक्षित करने के प्रति वचनवद्धता को दर्शाता है । उन्‍होंने कहा कि यह प्रयास देश की नई शिक्षा नीति तथा परम्‍परागत ज्ञान के साथ-साथ वैज्ञानिक जानकारी का उपयोग करके आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण के लिए दिशा निर्धारित करेगा । उन्‍होनें इस नेटवर्क के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धताओं के अनुरूप देश  के लोगों को सुरक्षित और सम्‍मान जनक जीवन देने का भी आह्वान किया । उन्‍होंने इस पहल के लिए एनआईडीएम की भरपूर सराहना की । उन्‍होंने सीखे गए अनुभव के प्रलेखीकरण और उन्‍हें साझा करने पर भी बल दिया ।

          कार्यशाला के दौरान हुई चर्चा से मंत्री द्वारा दिए गए लक्ष्‍यों और नेटवर्क द्वारा किए जाने वाले कार्यकलापों को सफलता से सम्‍पन्‍न किए जाने के लिए अपेक्षित प्रयासों की पहचान करने में भी सहायता मिली ।

          इस नेटवर्क में एनआईडीएम के अतिरिक्‍त आईआईटी, आईआईएम, टीआईएसएस, राज्‍य सरकारों के मान्‍यता प्राप्‍त संस्‍थान, केन्‍द्रीय तथा राज्‍य के विश्‍वविद्यालय इत्‍यादि जैसे प्रतिष्ठित संस्‍थान तथा एनजीओ एक साथ आकर आपदा जोखिम प्रबंधन से जुड़े अपने ज्ञान और संसाधनों को साझा करेंगे । इस नेटवर्क में विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद तथा भारत विश्‍वविद्यालय संघ के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे ।

          इस नेटवर्क का उद्देश्‍य है :- (i) संस्‍थानों तथा संकाय सदस्‍यों के बीच दूरी को कम करने में सहायता करना(ii)विश्‍वविद्यालयों में परस्‍पर जानकारी, ज्ञान तथा आंकड़ो का आदान-प्रदान करना (iii) विशेषज्ञों का समूह विकसित करने में सहायता प्रदान करना (iv)बहु-विषयक संयुक्‍त अनुसंधान कार्यक्रमों में वृद्धि करना ।

          वेबिनार में शामिल होने वाले अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्तियों में संजीव कुमार जिन्‍दल, संयुक्‍त सचिव (डीएम), गृह मंत्रालय,मेजर जनरल मनोज कुमार बिन्‍दल, वीएसएम, कार्यकारी निदेशक, एनआईडीएम, प्रो० जानकी अन्‍धारिया-टीआईएसएस, प्रो० महुआ मुखर्जी, रुड़की विश्‍वविद्यालय, प्रो० देवेश वालिया-एनईएचयू, डा० विनीता सहाय, निदेशक, आई आई एम, बोध गयाके साथ-साथ एनआईडीएम से प्रो० संतोष कुमार एनआईडीएम, विश्‍वविद्यालयों तथा अन्‍य संस्‍थानों के संकाय सदस्‍य भी शामिल हुए ।