नई दिल्ली। केंद्र सरकार और ट्विवटर का विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। इधर सरकार के कड़े रुख के बाद कानूनी विशेषज्ञों का तर्क है कि अगर सरकार कई चीनी एप जैसे कि टिकटॉक और पबजी जैसी दिग्गज ऐप्स पर प्रतिबंध लगा सकती है, तो वह अमेरिकी तकनीकी दिग्गजों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर सकती है। इसके अलावा बड़ी बात तो यह है कि सरकार को ट्विटर को दंडित करने का एक तरीका खोजने के लिए यूरोपीय संघ जीडीपीआर (सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन) जैसे डेटा गोपनीयता कानून की भी आवश्यकता नहीं है, अगर उनके पास मजबूत कारण हैं कि कंपनी बार-बार अपने निर्देशों का पालन करने में विफल हो रही है।
ट्विटर का कहना है कि वह सरकार द्वारा निर्दिष्ट लगभग 1,435 खातों को अवरुद्ध नहीं कर सकता, क्योंकि वह विश्वास नहीं करता है कि आईटी मंत्रालय द्वारा कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किए गए कार्य भारतीय कानून के अनुरूप हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
प्रसाद ने राज्यसभा में कहा, बोलने की स्वतंत्रता है, लेकिन अनुच्छेद 19-ए कहता है कि यह उचित प्रतिबंधों के अधीन है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व विचारक के.एन. गोविंदचार्य के वकील विराग गुप्ता का मानना है कि आईटी मंत्रालय अपनी इच्छा शक्ति के अनुसार, कार्रवाई कर सकता है। गुप्ता दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष सोशल मीडिया नामित अधिकारियों के मामले में बहस कर रहे हैं।
गुप्ता ने आईएएनएस से कहा, उन्होंने मौजूदा विधिशास्त्र के तहत चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है, ताकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भी नीचे ले जाया जा सके।
यही नहीं गुप्ता ने यह भी कहा कि केवल ट्विटर ही क्यों, बल्कि ऐसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कार्रवाई की जानी चाहिए, जो नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होंने ट्विटर के साथ ही पिछले उदाहरण देते हुए व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सरकार के निर्देश का पालन करने में विफल रहते हैं तो सरकार ऐसी एप्स या वेबसाइटों को निलंबित या अवरुद्ध करने के लिए कार्रवाई शुरू कर सकती है।
गुप्ता ने दोहराया, धारा 69 ए (3) के अनुसार, सात साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर ट्विटर सरकारी निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है, तो उसे दंडित करने की शक्तियां भी हैं।
बता दें कि आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को आगाह किया कि अगर उनका उपयोग भारत में झूठी खबरें फैलाने, हिंसा या वैमनस्य को बढ़ावा देने में किया जाता है तो उनके खिलाफ सख्ती की जाएगी। प्रसाद ने कहा कि अगर सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया जाता है और झूठी खबरों के अलावा, हिंसा व वैमनस्य को बढ़ावा मिलता है, तो ऐसे मामलों में कार्रवाई की जाएगी।