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मार्च में हमारे व्रत-त्योहार


फाल्गुन मास का महत्त्व
28 फरवरी से 28 मार्च 2021 तककृष्ण पक्ष
फाल्गुन मास का नाम उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के नाम पर पड़ा है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा प्रायः उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र पर स्थित होता है। वेद में इसे तपस्य मास कहा गया है।
संकष्टीगणेश चतुर्थी व्रत 2 मार्च मंगलवार को है।रात्रि 9 . 15 बजे के आसन्न चंद्रोदय काल में अर्घ्य दिया जायेगा। श्रीजानकी जयन्ती जिसे सीताष्टमी भी कहते हैं 9 मार्च शनिवार को है। यह मध्याह्न कालिकी ग्राह्य होती है। 7 मार्च को श्रीसमर्थगुरु रामदास जयन्ती है।8 मार्च को स्वामी दयानन्द सरस्वती जयन्ती पड़ेगी। विजया एकादशी व्रत सभी के लिए 9 मार्च मंगलवार को है।
10 मार्च बुधवार को प्रदोष व्रत पड़ रहा है। महाशिवरात्रि व्रत 11 मार्च गुरुवार को पड़ रहा है।यह मध्यरात्रि व्यापिनी मानी जाती है।शिवरात्रि व्रत का पारण चतुर्दशी में ही की जाती है।मध्यरात्रि में शिवशक्ति की पूजा करके पारण किया जाता है।यदि अगले दिन भी चतुर्दशी हो तो उसके अगले दिन पारण करते हैं।यह फाल्गुनमास का सबसे महत्त्वपूर्ण व्रत होता है। शनि अमावस्या 13 मार्च को पड़ रही है।इस दिन शनि की पूजा, दान और शांति से विशेष फल मिलता है।
शुक्ल पक्ष
पयोव्रत का शुभारंभ 14 मार्च रविवार से 25 तक, यह पुत्रप्रदायक व्रत होता है।इसकी विधि भागवत महापुराण में प्रतिपादित है।14 को ही मीन राशि में सूर्य देव प्रवेश होने से खरमासारम्भ हो जायेगा। 15 मार्च को श्रीरामकृष्ण परमहंस जयन्ती है। 17 मार्च बुधवार को श्रीगणेश चतुर्थी व्रत है।शुक्ल पक्ष की चतुर्थी मध्याह्न काल की होती है। बंगाल में मनाई जाने वाली गौरूपिणी षष्ठी 19 मार्च शुक्रवार को है।

मार्च 2021 में आपका राशिफल
भगवान सूर्य की उपासना से सम्बन्धित कल्याण और कामना सप्तमी 20 मार्च शनिवार को है।यह तिथि त्रिमुहूर्त्त व्यापिनी ग्राह्य मानी जाती है।
होलाष्टकारम्भ 21 मार्च रविवार को है। होली से आठ दिन पहले से समस्त शुभ कार्यों को इसमें बन्द कर दिया जाता है। यह वर्जना विपाशा,ऐरावती,शुतुद्री और पुष्कर क्षेत्र के लिए है, अन्यत्र हेतु नहीं है।पांचाल प्रान्त में यह माना जाता है।
रंगभरी एकादशी इस वर्ष गृहस्थों की अलग और साधुओं की अलग पड़ रही है।24 को गृहस्थ और 25 को साधु लोग मनायेंगे।लट्ठ मार होली 24 को ही पड़ेगी।

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25 को श्रीनृसिंह द्वादशी या गोविन्द द्वादशी है।
26 मार्च शुक्रवार को प्रदोष व्रत है।
28 मार्च रविवार को होलिकादाह सूर्यास्त के बाद अंधेरा फैलते ही किया जायेगा। आज चैतन्यमहाप्रभु की जयन्ती है।
इस प्रकारसे फाल्गुनमास कोयल की कूक से,भ्रमरियों की गूंज से,फागके मृदंगथाप से,आम्रकी मंजरियोंसे तथा रंगों के वैविध्यसे अलंकृत होकर धरती को नवपल्लवों से भर देता है।

पवन कुमार शास्त्री