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कवयित्री डॉ.शांति जैन नहीं रहीं

पटना। कवयित्री डॉ. शांति जैन का शनिवार रात निधन हाे गया। वह लोहानीपुर स्थित गिरि अपार्टमेंट में अकेली रहती थीं। कुछ दिन से खांसी और बुखार से परेशान थीं। उन्होंने कोरोना टीका की डाेज लगवा ली थी। उनके निधन की सूचना मिलने के बाद साहित्य समाज शोक में डूब गया। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए शोकसभा का आयोजन किया गया। हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कहा कि डॉ. शांति जैन के निधन से हिंदी साहित्य जगत को कठोर आघात लगा है। उन्हें राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान और शंकर सम्मान जैसे अनेक सम्मानों से नवाजा गया था। उन्होंने चंदनबाला, कजरी और आयाम जैसी दर्जनों पुस्तकों का सृजन किया था। साथ ही वह सफल मंच संचालिका, गायिका, रेडियो वार्ताकार, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की कार्यसमिति की सदस्य, बिहार की हिन्दी प्रगति समिति की उपाध्यक्ष और सुरांगन की अध्यक्ष भी थीं। रविवार की दाेपहर आरा से उनके भतीजे अाैर अन्य परिजन पहुंचे। गुलबी घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। भतीजे सुनील जैन ने मुखाग्नि दी।