नई दिल्ली। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने शुक्रवार को संसद भवन में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि “यदि कृषि कानूनों पर व्यापक विचार-विमर्श किया जाता और चयन समिति को भेजा जाता तो ऐसी स्थिति पैदा नहीं होती।” इसके अलावा शरद पवार द्वारा कृषि कानूनों को लेकर मुख्यमंत्री को लिखे पत्र पर उन्होंने कहा, “शरद पवार ने सदन में कभी कोई विधेयक नहीं लाया, उन्होंने केवल राज्य से सुझाव मांगे थे।”
पूर्व कृषि मंत्री पवार ने कहा था कि नया कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बुरा असर डालेगा और मंडी प्रणाली को कमजोर करेगा। उन्होंने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन करने की भी आलोचना की थी।
एनसीपी सुप्रीमो ने कहा, “मैं संशोधित आवश्यक वस्तु अधिनियम को लेकर भी चिंतित हूं। अधिनियम के अनुसार, सरकार मूल्य नियंत्रण के लिए तभी हस्तक्षेप करेगी जब बागवानी उत्पादों की दरों में 100 प्रतिशत की वृद्धि हो और खराब न होने वाली वस्तुओं की दरों में 50 प्रतिशत की वृद्धि हो। खाद्यान्न, दालों, प्याज, आलू, तिलहन आदि पर स्टॉक पाइलिंग की सीमाएं भी हटा दी गई हैं। इससे यह आशंका है कि कॉरपोरेट्स कम दरों पर स्टॉक खरीदकर उन्हें उपभोक्ताओं को ऊंचे दामों पर बेच सकते हैं।”