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पूरे विश्व में भृगु संहिता के 470 ग्रन्थ है : निर्मला अग्रवाल

पूणे की प्रसिद्ध भृगु ज्योतीषी निर्मला अग्रवाल से मुकेश महान की बातचीत

आप पत्रकार थीं अचानक ज्योतिषी कैसे बन गई?
अचानक कोई भी चीज़ नहीं होती मुकेश जी। पत्रकारिता के दौरान मैं अधिकतर fild work करती थी विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न लोगों के इंटरव्यू लिया करती थी। हर तीन महिनों में हमें अलग अलग विषय दिये जाते थे। मैं तो नास्तिक थी और ज्योतिष शास्त्र में कतई विश्वास नहीं था मुझे। अखबारों में लोग दैनिक भविष्यफल पढ़ना पसंद करते थे। इसे ध्यान में रखते हुए संपादक ने मुझे ज्योतिषीयों के इंटरव्यू करने का काम सौंपा। इस तरह न चाहते हुए भी जाने अंजाने मैं इस क्षेत्र से जुड़ गई। शहर के सैकड़ों ज्योतिषीयों के इंटरव्यू मैंने लिये। उनका मजाक उड़ाया करती थी मैं। मुझे याद है कि करीब 26 साल पहले उसी दौरान एक ज्योतिषी ने मेरे बारे में भविष्यवाणी की थी कि बहुत जल्द आपके हाथ से कलम छूट जायेगी। और मैंने तड़प कर कहा था-कलम मेरी सांसे हैं। आज कम्प्यूटर का ज़माना है, तो कह सकते हैं कि भविष्यवाणियां सच भी होती हैं।

भारत में ज्योतिष कई प्रारूप में उपलब्ध है ! आप भृगु ज्योतिषी हैं। क्या है भृगु ज्योतिष ?
भृगु संहिता एक प्राचीन ग्रंथ है। इसमें पहले से ही सभी लोगों की जन्म कुंडलियां मौजूद हैं। भृगु संहिता में रेडिमेड भविष्य फल लिखा होता है। भृगु ज्योतिषी केवल उसे पढ़कर सुनाता है। मैंने जब इस ग्रंथ पर रिसर्च करने की ठानी तो कई ज्योतिषियों ने मेरा मजाक उड़ाया और कहा कि इसमें जानने जैसा कुछ नहीं है। क्यों समय बरबाद करती हो।
ज्योतिष के अन्य विधाओं से भृगु ज्योतिष कैसे अलग है ?
-ज्योतिष की अन्य विधाओं से भृगु संहिता बिल्कुल अलग है और विश्वसनीय है। विश्वसनीय इसलिए है कि यह एक प्राचीन दैवीय ग्रंथ है। भविष्य फल उसमें लिखा होता है। इसमें लिखा भविष्य नौ ग्रहों पर आधारित नहीं है। बल्कि पूर्वजन्म पर आधारित होता है।



कैसा लगता है दूसरों का भविष्य पढ़ कर और बता कर…?
कौन कौन सी बात आप आम तौर पर अपने क्लाइंट से छिपा लेती है ?

कैसा लगेगा दूसरों का भविष्य पढ़ कर मुकेश जी। ये कैसा सवाल है? फिर भी मैं जवाब तो दूंगी ही। ज्योतिषी भी आखिर एक इंसान ही है। मैं भविष्य फल पढ़ते हुए अपने client से connect हो जाती हूं और उनके दुख-सुख का असर मेरे मन पर भी पड़ता है।
मैं अपने क्लाईंट से कुछ नहीं छुपाती। छुपाने जैसा इसमें कुछ होता भी नहीं। मेरा मतलब, कोई डरावना भविष्य फल इसमें नहीं लिखा होता।

कभी ऐसा लगा कि ये बात क्लाइंट को नहीं बतानी चाहिए थी, अगर हाँ तो कौन सी बात ?

जी नहीं, भृगु संहिता ग्रंथ में ऐसा कुछ नहीं लिखा होता कि जिसे छुपाया जाए।
कभी ज्योतिषी होने ओर अफ़सोस हुआ आपको ?

जी नहीं ! मुझे कभी अफसोस नहीं हुआ।
कभी आत्म संतुष्टि मिली इस प्रोफ़ेशन में?

आत्मसंतुष्टि तो बहुत मिली। सच कहूं तो पत्रकारिता मुझे इस पेशे में बहुत काम आई। लगभग दोनों पेशे मुझे एक जैसे लगे। लोगों के मन की गांठें खोलनी पड़ती हैं बस। हां, एक बड़ा फर्क ये है कि भृगु संहिता ग्रंथ को पढ़ते हुए मुझे कई आध्यात्मिक अनुभूतियां हुईं, जो पत्रकारिता में नहीं मिल पातीं।
कितना पढ़ना पड़ा इस विद्या को?

कितना पढ़ना पड़ा ? अभी भी पढ़ ही रही हूं। बल्कि इसमें पढ़ने जैसा कुछ होता ही नहीं। अनुभव मिलते हैं और उन्ही से सीखना होता है।
लगता है कि आप मुकम्मल हो गई है ज्योतिष में

जी नहीं, ब्रह्माण्ड को जानने के बराबर है ये विद्या। सफ़र जारी है।
क्या भविष्य को बदला जा सकता है, मतलब ग्रहों के दुष्प्रभाव को रोका जा सकता है ?

जी हां, उपायों से यह संभव है। पहले मेरी भी ये ही समझ थी कि होनी अटल है, तो फिर ज्योतिष शास्त्र का क्या औचित्य है ? भृगु संहिता ग्रंथ पर रिसर्च करते हुए ही मुझे अपने इस प्रश्न का जवाब भी मिला।
एक पौराणिक कथा का जिक्र था, कि एक सिद्ध साधु की पत्नी को सांप ने काटा और वो मर गई। साधु ने विलाप किया और कहा कि धिक्कार है ऐसी सिद्धि का, कि मैं अपनी प्राणप्रिया पत्नी को जीवित नहीं कर सकता। तभी आकाशवाणी हुई कि अगर तुम अपनी आधी आयु अपनी पत्नी को दे दो तो यह जीवित हो सकती है। और इस तरह वो जिन्दा हो गई। इस कथा से मैंने जाना कि तदबीर से तक़दीर बदली जा सकती है।
किसी के जीवन के लिए कितना उपयोगी है ज्योतिष ?

मनुष्य के लिए कितना उपयोगी है-इसका कोई पैमाना नहीं होता, क्योंकि लोग सिर्फ पहले भविष्यवाणियां सुनकर चले जाते हैं। उपाय नहीं करते। उपायों पर ज्यादा भरोसा भी नहीं करते।
आप उपाय बताती हैं, कितना कारगर होता है यह ?

यकीनन उपाय कारागार होते हैं। भृगु संहिता ग्रंथ में पूजा अर्चना, दान-पुण्य और मंत्रों का जाप बताया जाता है। गोदान एवं गोसेवा इतना पावरफुल उपाय है कि जो सौ तरह की समस्याओं को हल करता है। इसी तरह पक्षियों को दाना और चींटी को जिमाना भी भृगु संहिता के अनुसार कारगर उपाय हैं। पहले घरों में ऐसे संस्कार होते थे और लोग खुद-बखुद ये उपाय किया करते थे।


किसी के लिए ज्योतिष बनना कितना आसान…

ज्योतिषी बनने या बनाने का कार्य तो कुदरत करती है। हर कोई ज्योतिषी नहीं बन सकता। मेरे अनुभव के अनुसार हम करियर को नहीं चुनते, बल्कि करियर खुद काबिल व्यक्ति को चुनता है। ज्योतिषियों को चुनने का कार्य कुदरत स्वयं करती है। और अंत में निर्मला अग्रवाल एक ज्योतिषी के रूप में ज्यादा खुश और संतुष्ट हैं या एक पत्रकार के रूप में ?
-फितरतन पत्रकार लोग चुनौती पसंद होते हैं। रहस्यों को जानने की जिज्ञासा उनके अंदर कूट कूट कर भरी होती है। मैंने सोलह साल प्रिंट मीडिया में नौकरी की। उसके अपने मिजाज थे, मज़े थे। कम पैसों में, अभाव में भी मस्त और संतुष्ट रहते थे हम। फिर भृगु संहिता ग्रंथ से जुड़ी तो अपनी मर्ज़ी से पत्रकारिता छोड़ी। लिखने-पढ़ने से आज भी जुड़ी हूं और जब भी मौक़ा मिलता है फ्रीलांस पत्रकारिता करती रहती हूं। लेकिन भृगु संहिता मेरा फुल टाइम जाब है। मेरा बचा हुआ जीवन अब इसी ग्रंथ को समर्पित है। इसमें भी मैं बेहद खुश और संतुष्ट हूं और महसूस करती हूं कि इस कार्य में मेरा जीवन ज्यादा सार्थक है।
भृगु संहिता ग्रंथ को लेकर इसके असली और नकली होने पर लोगों में कई भ्रांतियां हैं ?

पूरे संसार में भृगु संहिता के 470 ग्रंथ हैं। अधिकतर लोगों को यह विरासत में मिला है। केवल पंजाब में ही इसे पढ़ने वाले 22 घर हैं। मेरे पास आने वाले क्लाईंट का फोन पर ही मुझसे पहला सवाल यही होता है कि आपके पास असली भृगु संहिता है क्या? मेरे अनुभव अनुसार नकली भृगु संहिता जैसा कुछ नहीं होता। मैं फिर कहूंगी कि यह एक दैवीय ग्रंथ है, इसलिए इसे पढ़ने वाले शास्त्रीयों को कई बार ऐसे अनुभव भी आते हैं कि इस ग्रंथ में लिखे अक्षर अमिट होते हैं और अचूक pridection करते हैं। जो भी हो, मेरे अनुभव अनुसार इस ग्रंथ को आध्यात्मिक आधार पर पढ़ा जा सकता है।
लोगों का ऐसा कहना है कि असली भृगु संहिता ग्रंथ के पन्नों को नष्ट कर दिया गया था ?

पौराणिक यह कथा तो सब जानते हैं कि त्रिदेवों की परिक्षा ले रहे महर्षि भृगु ने भगवान विष्णु के वक्ष पर पद-प्रहार किया था जिसकी वजह से देवी लक्ष्मी ने इस ग्रंथ को शाप दिया था और यह समुद्र में बहा दिया गया था। किन्तु भगवान विष्णु की कृपा से महर्षि भृगु ने इस ग्रंथ को फिर से लिखा था।
लोगों का ऐसा कहना भी है कि संसार में इतनी आबादी है तो सभी के पन्ने इस ग्रंथ में होना कैसे संभव है ?

लोगों का ऐसा सोचना सहज है, किन्तु इसके रहस्य को जानने के लिए पहले उनको इस शास्त्र को सीखना होगा। जिस प्रकार छोटी सी कागज़ की जन्म कुंडली के बारह घरों में व्यक्ति की पूरी जिंदगी समाई है। भृगु संहिता ग्रंथ का सिर्फ एक पन्ना भी पढ़ना आ जाये तो वो अपने आपमें पूरा ग्रंथ है।
आपको यह ग्रंथ कैसे और कहां से मिला ?

पुणे में एक ब्राह्मण भिडे काका को बड़े ही नाटकीय ढंग से यह ग्रंथ मिला था उनकी उम्र का तकाजा था कि वो इस ग्रंथ को किसी ऐसे काबिल हाथों में सौंपना चाहते थे, जो इसका सही उपयोग करे। मुझ पर भरोसा करने में उन्हें छः महीने लगे फिर आखिरकार अपनी बेटी मानकर उन्होंने मुझे यह ग्रंथ सौंप दिया।
भृगु संहिता ग्रंथ पर काम करते समय ऐसी कोई यादगार घटना, जो आप हमसे शेयर करना चाहेंगी ?

एक व्यक्ति ने मुझे फोन किया और कहा कि कल मैं आत्महत्या करने वाला हूं, पर उससे पहले आपको अपनी जन्म कुंडली दिखाना चाहता हूं। देखना है कि आपका ये ग्रंथ मुझे कैसे बचाता है ? मैं अंदर से बहुत घबरा गई फिर भी हिम्मत करके मैंने उसे बुला लिया। मैंने भृगु संहिता ग्रंथ में उसकी रिडिंग की और अंत कहा कि ज्योतिष शास्त्र के फलित से भी ऊपर एक शक्ति है जो ज्यादा ताकतवर है और वह है संकल्प शक्ति। आप आत्महत्या कर सकते हैं, लेकिन मरेंगे नहीं, केवल अपाहिज हो जायेंगे, मेरे इस pridiction को सुनकर वो आवाक रह गया और अपना आत्महत्या करने का संकल्प त्याग दिया।