पटना,शंभुदेव झा। मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा पेश किये जाने वाले केन्द्रीय बजट से ठीक पहले xposenow.com ने चंद महिलाओं से बजट के बावत रायशुमारी की। मसलन आम बजट, चौकाघर पर कितना असर डालता है व बिहार की गृहणियां कैसा बजट चाहती हैं। तो .आइए आप भी पढ़िये और जानिए कैसा बजट चाहिए बिहार की महिलाओं को।
पढ़ी-लिखी और .चौका संभाल रही सृष्टि कृष्णा केंद्रीय बजट से हमारे घर का बजट ठीक हो तो अच्छा। वरना महंगाई तो अधिकतम सीमा पर पहले से ही है। हर घर से हम महिलाओं का सीधा सरोकार है और हर माह आसमान छूती कीमतों के चलते स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन व आवास समेत अन्य आवश्यक वस्तुओं पर बाजार का तीखा रुख, अब असहनीय होता जा रहा है। पेट्रोल-डीजल तो पहले से ही आम लोगों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। उम्मीद है कि मंगलवार को पेश बजट लोगों के लिए केवल लुभावना नहीं होगा बल्कि मनभावन भी होगा।आंकडों में उलझा हुआ नहीं बल्कि हमारे चौके का बोझ कम करने वाला होगा।
एक अन्य मध्यम वर्गीय महिला सुजाता रंजन साफ और खुले शब्दों में कहती हैं कि जनता की हमदर्दी सरकार के साथ तभी तक है जबतक पेट व खेत पर प्रहार नहीं होता? पेट्रोलियम उत्पादों, खाद्यान्नों, तेलहन, दलहन समेत बढ़ती महंगाई से आमजन त्रस्त हैं, जबकि सत्ता से सरोकार रखने वाले लोगों के लिए बयानवीर बने रहना आसान बात है। सुजाता रंजन कहती हैं कि सरकार को अगर जनता की नजर में अपने उपर भरोसा बनाए रखना है तो संभावित बजट सामान्य लोगों के हित में होना जरूरी है।
पटना की एक अन्य युवती और सिंगर भव्या रानी शिक्षित व मेहनती वर्ग का प्रतिनीधित्व करती हैं। उनका कहना है कि विशेष आयकर छूट तथा महंगाई पर नियंत्रण हो तो लोगों के हित की बात होगी पर यदि और महंगाई बढ़ी,यदि खाने पर आफत हुई, किचेन का बजट बिगड़ा तो अब निश्चित मानिए कि अब सरकार की ऐसी की तैसी जनता कर देगी। इसका कारण भी है कि महंगाई पहले से ही असहनीय है। अब और ज्याद बोझ सहने को कोई तैयार नहीं है।
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इसी तरह एक और शिक्षित गृहिणी मीनाक्षी मीनू बडे ही नपे तुले शब्दों में संभावित केंद्रीय बजट के बारे में कहती हैं कि पूरा विश्व अभी भी कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है और हमारा देश इससे अछूता नहीं है। ऐसे समय में केन्द्रीय बजट का राहत भरा आना कल्पना से परे है, लेकिन आम जनता के उपर भी बोझ ना पड़े यह जरूरी है।
राजीव नगर,पटना की रहनेवाली गृहणी रीता हजारी का मानना है कि बजट में महंगाई पर रोक के प्रावधान तथा महिलाओं की दशा सुधारने जैसे कार्य को सभी स्तरों पर प्राथमिकता देनी होगी। बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने की आज खास जरूरत है।