पटना।प्रेम नाथ खन्ना स्मृति आदि शक्ति नाट्य महोत्सव के दूसरे दिन नाटक कसाई का मंंचन किया गया। रंग गुरुकुल के कलाकारों ने सुप्रसिद्ध लेखिका ममता मेहरोत्रा की रजित नाटक प्रस्तुत की। गुंजन कुमार निर्देशित इस नाटक ने बताया कि प्रेम विवाह कर के युगल जोड़ी को पश्चाताप होता है।
नाटक का कथानक उन प्रेमी प्रेमिका के लिए एक सीख है जो कम उम्र में ही प्रेम जाल में फंसकर माता पिता की उपेक्षा कर घर से भाग कर अपनी मर्जी से शादी कर लेते हैं । साथ बाद में उन्हें पछताना पड़ता है। इसके साथ ही कहीं न कहीं अंतरधार्मिक विवाह की सामाजिक विसंगतियों पर भी यह चोट करता है। जीवन के तल्ख और कड़वे अनुभवों को रेखांकित करता यह नाटक निर्देशन के स्तर पर तो कसा हुआ था। कुछ दृश्यबंध काफी अच्छे बन पड़े थे लेकिन प्रस्तुति के स्तर पर थोड़ा ढिला जरूर महसूस हुआ। खास कर दृश्य परिवर्तन के समय प्रकाश का संचालन थोड़ा असहज था। दृश्यपरिवर्तन में बेवजह समय का ज्यादा लगना भी बीच बीच में प्रस्तुति के प्रभाव को कम करता रहा। प्रकाश परिकल्पना तो दृश्य के अनुकूल थी, लेकिन इसका संचालन जरुर दोष पूर्ण था। संसाधनों की सीमाओं में बंधा स्टेज क्राफ्ट उपयुक्त ही थ । हां वस्त्र विन्यास में थोड़ी और मेहनत की जा सकती थी ।
आम तौर पर कलाकारों का अभिनय सहज ही था । हां बड़ी पूजा के रुप में श्वेता सुरभि और उसकी मां की भूमिका कर रहे कलाकार ने अपने अभिनय प्रतिभा से प्रभावित किया है । असलम के रुप में खुद गुंजन ने भी अपनी अपने अभिनय प्रतिभा को प्रस्थापित करने की कोशिश की है ।
हां पिता के रूप में आलोक गुप्ता कहीं कहीं अपने अभिनय में असहज हो रहे थे ।संवाद अदायगी की शैली भी थोड़ा दृश्यानुकूल होता तो वो और प्रभावित कर जाते । शेष अन्य कलाकारों ने भी अपने अपने चरित्र के साथ न्याय करने की कोशिश की है ।
नाटक शुरु होने के पहले देशभक्ति पर आधारित सैनिकों को समर्पित एक छोटा सा स्कीट भी प्रस्तुत किया गया था । बेहद भावपूर्ण यह छोटा सा दृश्यबंध दर्शकों के मन को छू गया।