पटना / सवांददाता। स्थानीय कालिदास रंगालय में 105वां अनिल कुमार मुखर्जी जयन्ती-सह-30वां पटना थियेटर फेस्टिवल के तहत 20 जनवरी को द स्ट्रगलर्स, पटना ने नाटक लालीपाप प्रस्तुत किया। नाटक का कथासार इस प्रकार है। नाटक मुख्य रूप से हमारे समाज में घटित हो रही हालिया और पिछले कुछ दशक में घटी असमाजिक घटनाओं को प्रस्तुत किया। चाहे उसका संबंध भीड़ से हो या व्यक्तिगत या किसी संगठन से। ज़ाहिर सी बात है कि घटनाएं बहुत होंगी तो कहानियां भी बहुत होंगी। पर यहां बहुत सी कहानियों में एक समानता है, सभी कहानियों का कथानक लगभग एक जैसा ही है, सिर्फ पात्र बदल जाते हैं, उनकी दिनचर्या बदल जाती है लेकिन अंत उसी मुहाने पर होता है जिसे कई दशकों से घास की तरह तैयार किया गया है। जो हर किए धरे पर उग आते हैं, कुल मिलाकर ये नाटक उन सभी की अभिव्यक्ति है जो अमानवीय कृत्यों के या असंवैधानिक रूप से घटी घटनाओं के शिकार हुए और वैसे लोगो की भी जिन्हें अमानवीय कृत्य या असंवैधानिक रूप से घटी घटनाएं, किसी भी स्थिति में अमानवीय ही नज़र आती हो।
इस नाटक में काम कर रहे कलाकारों में विशाल कुमार गुप्ता, आदित्य कुमार रावत, गोविंद, विकास सिंह सत्यार्थी,सत्यम शिवम, निशांत शर्मा,विशाल कुमार गुप्ता आदु प्रमुख थे। नाटक के लेखक एवं निर्देशक थे अभिषेक चौहान।