- क्षमता के अनुकूल दायित्वों का निर्वहन दीपिका का संकल्प.
पटना,नवीन कुमार।बैंक में नौकरी करते हुए और अपना नियमित घरेलु कार्य को करते हुए BPSC परीक्षा पास करना कोई आसान काम नहीं । वो भी तब जब कोचिंग क्लास के लिए न तो परीक्षार्थी को समय मिल पातख है और न ही परीक्षार्थी को उसमें रुचि हो । जी हां , 64वीं BPSC परीक्षा उतीर्ण कर दीपिका झा ने एक ऐसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है।
इस सफलता में दीपिका झा को अपने स्व.दादा सोने लाल झा की यादें सता रही हैं। वे कहती हैं कि इस मौके पर उन्हें बेदह खुशी मिलती, अगर वो आज साथ होते। खैर बतौर पितर दादा जी की बधाई व आशीर्वाद जीवन में मेरा मार्ग-दर्शन करता रहेगा।
वर्तमान समय में सरकारी बैंक प्रवंधक के पद पर कार्यरत दीपिका को भरोसा है कि वे अपने अनुभव एवं योग्यता से जन कल्याण की योजनाओं का शत् प्रतिशत लाभ जनता तक पहुंचाने में सफल होंगी।
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आत्मवल से लवरेज दीपिका झा ने कहा कि समाज ने जो कुछ भी दिया है उसको लौटाने का एक मौका मेरे लिए उत्साहवर्धक है। प्रतियोगिता के दौरान सेल्फस्टडी करने में इन्हें विश्वास रहा। बैंक के कामकाज से समय निकाल पाने के साथ घरेलू दायित्वों में अपनी मां वीणा झा के योगदान को रेखांकित करती हुई दीपिका कहती हैं कि कम से कम 6 घंटे की पढ़ाई प्रतियोगिता के लिए आवश्यक है। निरंतरता, एकाग्रता व रिवीजन भी जरुरी है।साथ में खुद पर भरोसा तो बहुत ही जरूरी है ।
इन्होंने इतिहास को मुख्य विषय के रूप में चुना, जिसके लिए प्रो.उपेंद्र सिंह तथा प्रो.एस.चंद्र लिखित पुस्तकों से मार्गदर्शन लिया। सामान्य ज्ञान और अतिरिक्त के लिए दैनिक समाचार पत्रों का भी सहारा लिया। पिता केदार झा भी शीर्ष पर पर आसीन उच्चाधिकारी हैं। खास बात यह है कि मधुबनी जिला के बेनिपट्टी अनुमंडल के तहत पाली गांव में इनकी इस सफलता पर लोगों के बीच खुशी का माहौल है। दीपिका झा ने सभी सुधिजनों के प्रति आभार प्रकट किया है ।