गर्भपात या Abortion - किसी महिला को अगर अनचाहा गर्भपात या Abortion या मिसकैरेज हो जाए तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए और तुरंत किसी योग्य...
विमर्श

गर्भपात या Abortion : अगर अनचाहा गर्भपात हो तो हल्के में न लें : डा. सिमी

रंजना कुमारी। गर्भपात या Abortion – किसी महिला को अगर अनचाहा गर्भपात या Abortion या मिसकैरेज हो जाए तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए और तुरंत किसी योग्य डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। हालाकि इससे डरने जैसी कोई बात नहीं है। यह कहती हैं पटना की सुप्रसिद्ध निसंतानता विशेषज्ञ और गायनी-अंकोलोजिस्ट डा. सिमी कुमारी। डा. सिमी कुमारी कहती हैं कि गर्भपात के दौरान अगर बच्चेदानी पूरी तरह साफ हो जाता तो चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन अगर कोई अवशेष बचा रह जाता है तो निश्चित रूप से चिंतनीय है। डाक्टर से संपर्क कर बच्चेदानी को पूरी तरह क्लिन करा लेना चाहिए। इसी सावधानी के लिए चिकित्सक से संपर्क जरूरी हो जाता है। डाक्टर जांच पड़ताल कर यह तय करते हैं कि अनचाहा गर्भपात में विकसित हो रहे भ्रूण पूरी तरह महिला के शरीर से बाहर निकल पाया है या नहीं। कहीं कोई अवशेष किसी रूप में बच्चेदानी में ही तो बचा रह नहीं गया है। और अगर रह गया है तो उसकी सफाई की समय रहते व्यवस्था कर दी जाए।

 आंकड़ा बताता है कि हर 10 प्रिग्नेंसी में एक प्रिग्नेंसी लॉस हो जाता है। और ऐसी महिलाओं को फिर से मां बनने में भी कोई परेशानी नहीं होती है। इसलिए इसे लेकर चिंता की भी कोई बात नहीं है।

Dr. simi kumari

 डा. सिमी बिस्तार देते हुए बताती हैं कि अपने देश में अगर 6-7 महिना से पहले 500 ग्राम से कम का भ्रूण अगर किसी कारण से बूम्ब या बच्चेदानी से बाहर आ जाता है तो इसे गर्भपात मान लिया जाता है। जबकि विदेशों में 5 वां महिना ही इसके लिए माना गया है। यह सामान्य गर्भपात की श्रेणी में तब आता है जब बिना दवा के या किसी डाक्टर की देख रेख में स्वतः होता है। इनमें से अधिकत्तर के कारण पता नहीं चल पाते हैं। तो कुछ अनुवांशिक कारणों से होते हैं। कभी किसी इन्फेक्शन की बजह से भी ऐसा होता है तो कभी ऑटो इम्यून के कारण भी ऐसा हो सकता है। कभी कभी ज्यादा अल्कोहल या ड्रग्स लेने की वजह से भी स्वतः गर्भपात हो सकता है।

 डा. सिमी कहती हैं कि ऐसा कोई लक्षण नहीं है, जिससे आप पहले से जान सकें और प्रिकॉसन ले सकें और अपनी प्रिग्नेंसी को बचा सकें। हां, गर्भपात होने के कुछ समय पहले नीचे पेट में दर्द हो सकता है या पीछे कमर में दर्द महसूस हो सकता है। कभी कभी तो पेनलेस प्रिग्नेंसी लॉस भी होता है। डा. सिमी कहती हैं कि ऐसी स्थिति में जांच और इंवेस्टिगेशन से यह तय हो जाता है कि मेडिकल सपोर्ट से प्रिगनेंसी को बचाया जा सकता है कि नहीं, फिर डाक्टर उचित ट्रीटमेंट करते हैं।

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 डा. सिमी कहती हैं कभी कभी गर्भपात जरूरी हो जाता है, ऐसी स्थिति में भी मेडिकल स्पोर्ट लेकर ही गर्भपात कराना चाहिए। यह तब जरूरी हो जाता है जब गर्भ में पल रहे बच्चे की धड़कन बंद हो जाती है। बनाबट के तौर पर बच्चे में कोई गड़बड़ी दिख जाए या फिजिकली या मेंटली बच्चा का जीवन ही चैलेंज हो या फिर गर्भ में पल रहे बच्चे से मेडिकली मां के जीवन पर ही खतरा आन पड़ने वाला हो तो डाक्टर की मदद लेकर गर्भपात कराया जा सकता है। इन सभी केस में Abortion  को लीगली मान्यता प्राप्त है। लेकिन सिर्फ अविवाहित कपल होने के कारण कोई गर्भपात कराना चाहे या लड़का की चाहत में गर्भ में पल रही बालिका भ्रूण का कोई गर्भपात कराना चाहे तो वह पूर्णतः अवैधानिक है। और न तो कानून इसकी इजाजत देता है। न ही कोई डाक्टर को ऐसा करना चाहिए।

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 और अंत में डा. सिमी खास हिदायत देती हैं कि गर्भपात का कोई भी ग्रामीण तरीका या टोटका का इस्तेमाल न करें। यह सेफ्टिक गर्भपात जानलेवा भी हो सकता है या हमेशा की लिए प्रिग्नेंसी लूजर बना सकता है।   

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.