विमर्श

क्या आप भी हैं बॉस के नारस्थैटिक व्यक्तित्व के शिकार

नारस्थैटिक व्यक्तित्व का आपका बॉस आपके लिए ही हानिकारक हो सकता है। अचानक से स्नेहा के व्यवहार में लोगों ने परिवर्तन महसूस किया। ऑफिस से घर लौटने के बाद घर में वो बदहवास और परेशान सी रहने लगी थी । पति व सास से लगभग प्रतिदिन उसकी एक टक्कर हो जाती थी । वह चिल्लाते हुए जवाब देने लगी थी। जब परेशानी बढ़ने लगी तो पति राकेश वैध पटना स्थित मेरे काउंसलिग सेंटर पर स्नेहा को लेकर आए । काउंसलिग शुरू करते ही मुझे पता चल गया कि वह अपने दफ्तर के मालिक से परेशान है।

कुछ काउंसलिंग सत्र के बाद स्नेहा का हौसला बढा तब उन्होने यह बात बताई कि जब पति व सास को यह बात पता चलती तो उनकी नौकरी बंद करा दी जाती। यही हाल विमलेश का भी है उनके वरीय पदाधिकारी अक्सर अपनी गलतियों को कर्मचारी पर लादते हैं।वह स्टाफ से खुद कि तारीफ सुनना पसंद करते‌ हैं।अपनी थोङी सी जीत पर मुस्कान बिखेरते। कभी अपनी उपलब्धि पर सोशल मीडीया में लोगों को ट्रोलिग करते। हर वक्त अपना गुणात्मक विश्लेषण कर्मचारियों से करवाना उनके मालिक के आदत में शुमार रहा था।

दरअसल ये सभी लक्षण नारस्थैटिक व्यक्तित्तव के है। इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति खुद की आलोचना स्वीकार नहीं करता।वास्तविकता में ऐसे लोग अपने घर मे अपना कोई वजूद नहीं बना पाते। अपनी पहचान व योग्यता की संतुष्टि दूसरों को तंग कर करते हैं ।

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अगर नारस्थैटिक व्यक्तित्व के लोग आपके सीनियर हों तो क्या कहने। जरूरत है कि ऐसे लोगों की पहचान करें, बचने कि कोशिश इनसे न करे बल्कि इनका सामना करें। ऐसे लोग समाज में 2% से 16% तक हैं । इनकी उपेक्षा कतई न करें। आप इनको सबक न सिखाये। बस आप इनकी समस्या को सार्वजनिक करें। कार्यालय के सभी कामकाजी वर्कस को इनके लझणों को समाप्त करने के लिए आपबीती शेयर करना हितकर है। ऐसा न करने पर याद रखिए आपके व्यवहार में नकारात्मक रूप में असर आयेगा और जिसका दूरगामी परिणाम आपके अपनों पर पड़ेगा । दांपत्य जीवन मे विष घोलने के लिए इतना काफी होगा।

डॉक्टर मनोज कुमार (लेखक क्लिनिकल साइकॉलॉजिस्ट हैं)