बजट में बिहार। केंद्र सरकार के बजट 24-25 में बिहार के हिस्से 58 हजार 900 करोड़ रुपये का ऐलान किया गया है। लेकिन बहुप्रतक्षित विशेष राज्य के...
विमर्श

बजट में बिहार, क्या सच में है बहार

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में 23 जुलाई को निर्मला सीतारमण ने पहला बजट 2024-25 पेश किया।और इसके तुरत बाद बिहार के हिस्से मिले बजट पर बवाल भी शुरु हो गया। बिहार तो बिहार, बिहार के बाहर के भी कुछ नेता बिहार को मिले पैसे पर बयानों की तीरअंदाजी शुरू कर दी है। कुछ नेता मोदी की कृपा बता रहे हैं तो कुछ व्यंग्य कर रहे हैं और कुछ की भाषा में तो जलन की बू भी आ रही है। ऐसा हो क्यों रहा है, यह जानने के लिए यह जानना जरूरी है कि बिहार को आखिर मिला क्या,जो इतनी बयानबाजी हो रही है।

बजट में बिहारमुकेश महान। केंद्र सरकार के बजट 24-25 में बिहार के हिस्से 58 हजार 900 करोड़ रुपये का ऐलान किया गया है। लेकिन बहुप्रतक्षित विशेष राज्य के दर्जा की मांग को सीरे स खारीज कर दिया गया। लगभग59 हजार करोड़ रुपये में ही 26 हजार करोड़ रुपये की लागत से पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे और बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे बनना है। इसी में से बोधगया, राजगीर, वैशाली और दरभंगा के रोड प्रोजेक्ट्स भी पूरे किये जाने हैं। इसके अतिरिक्त अमृतसर कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के बीच पड़ने वाले गया जिले में एक बड़ा और समृद्ध औद्योगिक केंद्र विकासित किया जाएगा। साथ साथ पावर प्लांट, मेडिकल कॉलेज और पर्यटन केंद्रों के विकास पर फोकस किया जाना है। बिहार में बाढ़ से निपटने पर भी इस बार जोर दिया गया है। बक्सर में गंगा नदी पर अतिरिक्त 2-लेन पुल का निर्माण का बजट भी इसमें शामिल है। और खास बात है कि इस बजट में बिहार के स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर को भी विकसित करने पर जोर दिया गया है।

कुल मिला कर यह कहा जा सकता है कि बिहार के लिए यह बजट पहल से तो काफी बेहतर है। लकिन यह भी सच है कि यह बजट विशेष राज्य का दर्जा न देने की भरपाई तो नहीं ही हो सकती है। अगर बात जदयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बहुप्रतिक्षित मांग बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा की करें तो केंद्र ने अपनी ओर से संतुष्ट करने का प्रयास किया है। इसी तरह अगर बात बिहार में विपक्ष की करें तो उनकी नजर में यह विशेष राज्य के बदले एक झुनझुना से अधिक नहीं है। हां, जदयू और मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के लिए यह राहत की बात जरूर है कि उनकी विशेष राज्य के दर्जे की मांग अब भी ज्यों की त्यों बरकरार रह गई। और बदले में एक अच्छा खासा बजट भी हाथ आ गया है, जिसे बिहार में खर्च कर विकास पुरूष और विकास करने वाली सरकार का तमगा तो मिल ही सकता है।

दूसरी बात यह भी है कि एनडीए के साथ रहकर जदयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बजट क खिलाफ जाने से तो रहे। इस बजट की सराहना करना तो उनकी विवशता ही है।

अब यह समझना भी जरूरी है कि बजट का यह बहार बिहार को क्यों। इसके कई कारण हैं। पहला तो साफ है कि केंद्र सरकार के बहुमत के आंकड़े में बिहार की सत्ताधारी पार्टी जदयू सांसदों की संख्या बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस बात को केंद्र सरकार और बिहार सरकार अच्छे से समझती है। यही वजह है कि बिहार, बिहार की जनता और बिहार सरकार को नाराज करने की जगह अच्छी खासी रकम देकर भरपाई की नीति अपनाई गई है।दूसरी तरफ अगर देखा जाए तो बिहार में इससे भी ज्यादा की जरूरत है।

दूसरा कारण भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। बिहार में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। बिहार की जनता को मोहने और विश्वास में लेने के लिए भाजपा को कुछ खास करने जरूरत तो थी ही। इस बजट के बहाने बिहार की जनता को साधने की कोशिश की गई है। अप्रत्येक्ष रूप से इसका क्रेडिट भाजपा ही लेना चाहेगी। यह दोनों ही स्थिति में भाजपा के पक्ष में जाता दिख रहा है। अगर जदयू भाजपा के साथ रह कर विधान सभा चुनाव 2025 लड़ती है तो दोनों को इसका लाभ मिलेगा। लेकिन अगर जदयू पुनः पलटी मारकर राजद के साथ जाती है तो भाजपा इस बजट का सही और समय पर उपयोग न कर पाने तथा धोखा देने का आरोप लगा कर जदयू को जनता के सामने एक्सपोज करना चाहेगी। इसका कुछ खामियाजा तो जदयू को भुगतना पड़ सकता है।

तीसरा एक और महत्वपूर्ण कारण है । 2024-25 के बजट में केंद्र सरकार ने बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश को कवर करते हुए देश के पूर्वी क्षेत्र के विकास के लिए ‘पूर्वोदय’ योजना का ऐलान कर दिया है। इसके तहत मानव संसाधन विकास, बुनियादी ढांचे और आर्थिक अवसरों के सृजन पर ध्यान दिया जाना है। ताकि इन क्षेत्रों को विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने का इंजन बनाया जा सके। ऐसे में बजट में बिहार की उपेक्षा ‘पूर्वोदय’ योजना की सफलता को कमजोर कर सकती है। बिहार के विकास के बिना पूर्वी भारत को विकासित नहीं माना जा सकता है। इस लिए जरूरी था कि बिहार को यथोचित बजट देकर पूर्वी क्षेत्र के विकसित बनाया जाए। यही कारण है कि बिहार के साथ साथ आंध्र प्रदेश और ओड़िसा जैसे राज्यों को भी इस बजट में भरपूर राशि दी गई है।

बहरहाल कारण चाहे जो भी हो लेकिन बिहार के हिस्से इस बजट में एक अच्छी खासी राशि आ गई है। तो क्या बिहार का विकास इस बार जनता को दिखेगा। नेता (मंत्री) और अधिकारी इन पैसों का सदुपयोग कर पाएंगे या करने देंगे या फिर धंस रहे, टूट रहे और लगातार पानी में बह रहे पुलों की तरह इस बजट का अधिकत्तर पैसा पानी में ही बहता दिखेगा। यह सवाल है जो सीधे जनता की नजर में कौंध रहा है।

दूसरी तरफ इस बजट से तीन- तीन एक्सप्रेस वे बनने हैं अगर यह निर्धारित समय में बन कर तैयार हो जाता है तो बिहार विकास को तेज गति तो मिलेगी ही। इसी तरह बिहार में 21 हजार 400 करोड़ रुपये की लागत से पावर प्रोजेक्ट भी शुरू होंगे, इसमें भागलपुर के पिरपैंती में 2,400 मेगावाट का एक नया पावर प्लांट बनाना शामिल है। इस पावर प्लांट से भी बिहार का विकास रौशन होगा ही।

गया जिले में औद्योगिक केंद्र के विकसित होने से सभी महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र का झारखंड चले जाने का गम थोड़ा कम होगा। भारी संख्या में रोजगार सृजित होंगे। बेरोजगारी में कमी आएगी। रोजगार के सेक्टर से युवाओं में उत्साह बढ़ेगा। उत्पादन करने वाले राज्यों की सूची में हम एक दो पायदान ऊपर उठ सकते हैं। बिहार का आत्मविश्वास बढ़ जाएगा और कुछ और बेहतर करने की प्रेरणा बढ़ जाएगी। इसी तरह गंगा पर एक और पुल साउथ और नॉर्थ बिहार के बीच की दूरी कम करने के साथ साथ कनेक्टिविटी बढ़ाएगी। इससे भी बिहार के दोनों हिस्सों में व्यापार बढ़ेगा। एक्सप्रेस वे भी व्यापारिक तौर पर पूरे बिहार को जोड़ देगा।

इनसब के साथ एक अच्छी बात है कि इस बार बजट में बाढ़ प्रबंधन पर फोकस किया गया है। बाढ़ प्रबंधन को मजबूत बनाये जाने से हर साल बेबजह हो रहे करोड़ों के नुकसान और जान-माल की क्षति को रोका जा सकेगा।

बिहार में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं और इससे राज्य को अच्छा खासा राजस्व की प्राप्ति हो सकती है। लेकन अब तक दुर्भाग्य ही रहा कि किसी सरकार ने इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया। देसी और विदेशी पर्यटकों को लुभाने की यहां प्रयाप्त संभावानाएं हैं। ऐसे में गया विष्णुपद कॉरीडोर और बोधगया में महाबोधी मंदिर का कॉरीडोर के साथ नालंदा और राजगीर को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किये जाने से निश्चित रूप से राज्य की किश्मत खुल सकती है।

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.

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