कोरोना महामारी बनकर विगत एक साल से अधिक समय से आम व खास लोगों पर कहर बरपा रही है। रात -दिन इससे जुड़े मामलों की खबरें हम और आप तक पहुँच रही है। किसी भी तरह के शारीरिक अस्वस्थता को लोग कोविड-19 से जुड़े लक्षणों से जोङ कर देख रहें हैं। जबकि इस तरह के प्रयास का कोई औचित्य नही होता।अतार्किक खबरें, उन्मादी विचारों व अफवाहें लोगों के मन को Covid-19 Phobia से अब ग्रस्ति करने लगी हैं। इस समस्या से पीङीत व्यक्ति “कोरोना” शब्द से ही घबङाता नजर आता है। कुछ मामलों में पाया गया है की Covid-19 Phobia से जूझ रहा व्यक्ति बिना किसी लक्षण के ही खुद को कोरेनटाइन करने से गुरेज नहीं करते।यह सही नही होता।
Read also: भाकपा माले (CPI ML) ने मनाया 52वाँ स्थापना दिवस
वैश्विक महामारी से उपजे इस समस्या से पीङीत अपनी परेशानी को लेकर पेशोपेश में होते हैं। वह अपनी समस्या को लेकर बार-बार चिंतित दिखते हैं ।कुछ लोगों को अखबार के पन्ने में कोराना शब्द ढूंढने की लत सी हो गई है। बहुत बार इस तरह के शब्द मिलने पर वह दिन-भर परेशान सा दिखते हैं। दो सप्ताह से अधिक चिंता डिप्रेशन के लक्षणों को विकसित कर देता है। वहीं अगर व्यक्ति Covid-19 Phobia से ग्रस्ति है तो पेट में अपच से लेकर ऊबकाई जैसे हालात भी विकसित कर लेता है। वैश्विक महामारी का यह दौर अब परिपक्वता की ओर बढ रहा है। इसी तरह Covid-19 Phobia से जूझ रहें व्यक्ति का मर्ज भी गहराता जा रहा है। विगत साल भर से अधिक समय से कोरोना की ज्यादातर निगेटिव खबरें लोगों में एक स्थायी दबाव बनाने लगी है। नतीजतन इससे उत्पन्न चिंता व्यक्ति के शारीरिक लक्षणों के साथ मानसिक रूप से बेतहाशा बढाने लगा है। इस समय ज्यादातर लोग वर्क फर्म होम के माध्यम से अपनी जिम्मेदारी को निभा रहें हैं परंतु जब उन्हें थोड़ी देर बाहर जाने की आवश्यकता पङ रही तो इस तरह के विशिष्ट फोबिया से ग्रस्ति व्यक्ति के हाथ-पांव फूलने लग रहें हैं। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि लोग अपना सैल्फ मूल्यांकन करें व तार्किक तरीके से अपने हालत का रिइव्यूलेशन कर खुद पर काबू पाने की जरूर कोशिश करें।
आइये जानें Covid-19 Phobia के कुछ लक्षण – इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति रात भर करवटे बदलता है। खाने को निगलते हुए या चूसते हुए बेमन से खाता है। सामान्य तौर पर Covid-19 Phobia से ग्रसित व्यक्ति भूख और प्यास से दूरी बना लेता है। मांसपेशियों में खिंचाव और बदन दर्द की शिकायत से कोविड के सिम्टम से खुद को जोङने की नाकाम कोशिश करता है। अपच और गैस बनना और कब्ज़ की शिकायते सुबह और ढलते हुए दिन में हो सकता है। वजन में तेजी से बदलाव और कमजोरी जैसी शिकायतें मरीज लेकर आते हैं। मन विचलन की शिकायतें- दरअसल इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति चिकित्सक के पास शारीरिक परेशानी को लेकर पहुँच रहें हैं।समस्या को बताने के दौरान वह बार-बार तथ्य भूलते नजर आते हैं। कभी-कभी मन बैचेन व अनजाने भय से भयातीत होता है। किसी भी चीज पर फोकस नहीं हो पाता।बार-बार मिलती-जुलती चीजें मन में आती रहती है। जिससे मन बैचैन व घबङाया सा रहता है। इसके आलावा मन में कुछ तीखी प्रतिक्रिया भी आती रहती है। मसलन आक्रामकता, बैचैन मन,अनिश्चित व्यवहार का होना,अपने आप को सीमित दायरे में रखकर देखना या कभी-कभी अपने आप को बङा सयाना समझना,एकपक्षीय सुनना,बात बे बात अपनी बात पर अङना। ज्यादातर मामलों में अपने आप के सम्मान में घोर अनदेखी करना शामिल है। संभव है समाधान
१-दिन-प्रतिदिन के निगेटिव ख़बर से दूर रहने की कोशिश करें।
२-परिवार में किसी भी परिस्थिति में तुलनात्मक नजरिया न रखें।विशेषकर आप अपनी जिम्मेदारियाँ समझते हैं तो उस कार्य को पुरा करने में परिवार का सहयोग अवश्य लें। बङे-बुजुर्गों व बच्चों के बीच अभी समय देने की आवश्यकता है।
३-अगर आप वर्क फर्म होम द्वारा कार्य कर रहें तो अपनों के लिए समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ जरूर खेलें।
४-कुछ सांस संबंधित एक्सरसाइज भी आप करें।जैसे योग ,तेज कदम चलना,हल्की एक्सरसाइज। ५- मुश्किल दौर में अपने अच्छे दिनों को याद करने की अवश्य कोशिश करें। ६-पंसदीदा म्यूजिक सुनकर आप अपने दिन की शुरूआत करें। डॉ॰ मनोज कुमार। ( लेखक सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक चिकित्सक हैं।)