वैश्विक महामारी Corona की दूसरी लहर और इसके कारण फिर से उत्त्पन लॉकडाउन की स्थिति में कामकाजी महिलाओं पर दोहरा मार पड़ना शुरू हो गया है। Corona के इस समय वर्किंग महिलाओं में खुद के स्वाभिमान से समझौता नागवार गुजर रहा। जिससे उनमें यह दबाव बढ़ने लगा है। इस तरह का प्रेशर नदियों के तालाब बनने जैसा होता है। नतीजतन कामकाजी महिलाओं में अवसाद के लक्षण उभरने लगे हैं।
मनोकायिक समस्याएं
लंबे समय तक चिंता या विषाद में रहने पर शरीर में अतरिक्त पानी की कमी होने से डिहाइड्रेशन जैसे हालात हो जाते हैं। कब्ज की परेशानी और गैस का लगातार बनते रहना चिङचिङापन को बढा देता है। मांसपेशीयों में जकङन व सिर दर्द की शिकायतें काफी मिलने लगती हैं।
नजरिये में बदलाव
अत्यधिक गंभीरता आने के साथ ही कामकाजी महिलाओं में डिप्रेशन कुछ चीजें और आदतों को बदल देता है। बिजनेस में मदद पहुँचाने और अपनों को भी शक की नजर से देखना आम हो जाता है। टाल-मटोल की बढती आदतें और सब को अपना दुश्मन मानने की भूलें करना भी इसके लक्षण हो सकते हैं।
अनियमित भावनात्मक पहल करते रहना
ऐसी ज्यादातर महिलाओं में अपनें अंदर उनका इमोशनल स्थिरता साथ नहीं देता है। नतीजतन वह खुद को अकेली व बेबस समझने लगती हैं। लगातार आ रहे न्यूज और परिचित द्वारा मिलने वाला समाचार उनके दुःख को बढाने लगता है। इस कारण से वह खुद को लाचार और अयोग्य मानकर खुद को इस समस्या से बाहर निकालने के काबिल नही समझ पातीं। मतलब वो धीरे धीरे अपना आत्मविश्वास खोती चली जाती हैं।
ऐसे सुलझाये अपने मन की इस व्यथा को
1. अपने अंदर नयी उर्जा के संचार के लिए कम से कम बीस मिनट तेज चहलकदमी अवश्य करें।
2. कमरे में हल्के साउंड में हमेशा म्यूजिक बजते रहने दें। आप चाहें तो रेडियो सुन सकती हैं।
अपने मन की बात किसी से शेयर जरूर करें।
3. खुद के लिए समय निकालें। जिन प्रश्नों का आप उत्तर नहीं दे सकते, उसपर बेवजह दबाव बनाने की हिमाकत न करें।
4. परिजनों को भी इस समय इनका साथ नहीं छोङना चाहिए और पौष्टिक आहार में कमी होने नहीं देना चाहिए।
5. ऐसे कुछ उपाये कर कोरोना काल में अवसाद से पीड़ित हो रही कामकाजी महिलाएं खुद को अवसाद से बचा सकती हैं या अवसाद से निकाल सकती हैं।