पटना, संवाददाता। पटना में आयाम-साहित्य का स्त्री स्वर और ‘नवगीतिका लोक रसधार ने सजाई महफिल और महफिल में मच पर बरसते रहे साहित्यिक रस।दर्शक और श्रोता होते रहे सराबोर।
“शाख़ शजर की गुल भँवरे की जैसी तुझसे निस्बत है”। “ये सब तुझको मैं बतला दूँ ऐसा सोचा करती हूँ:”।।
गजल और शायरी का कुछ ऐसा ही मेल आज राजधानी के बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सभागार में दिखा। देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था “आयाम-साहित्य का स्त्री स्वर” एवं सांस्कृतिक संस्था ‘नवगीतिका लोक रसधार’ के संयुक्त तत्वावधान में आज शायरी, गीतों व गज़ल से सजी “महफ़िल” का आयोजन शहर के बीआईए हाल में किया गया। इसमें देश के चार बेहतरीन शायरों की अजीम शायरी से दर्शक रूबरू हुए।
दिल्ली से पधारी मिटटी से जुड़ी शायरा श्रीमती रेणु हुसैन, शब्दों के बुनावट से मंत्रमुग्ध करती, लखनऊ की हिना रिजवी हैदर, पटना से हर दिल अज़ीज़ शायर समीर परिमल और पटना से ही प्रतिभावान कवि-ह्रदय पत्रकार कुमार रजत के शेर-गज़ल-गीत राजधानी की चिलचिलाती फिजां में यूँ बहे कि चढ़ती दोपहरी भी कई रसों की बारिश की सोंधी खुशबू से सराबोर हो उठी।
रेणु हुसैन की अम्मीज़ान कविता की पंक्तियों ने सबका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया तो उन्होंने अपनी ग़ज़लों से लोगों के मन को मोह लिया-
तुमसे निस्बत सी बनी हो जैसे,
दिल्लगी हो ही गई हो जैसे।
फूल ऐसे है महकता अब तक,
वो किताबों में कभी हो जैसे।
रेणु हुसैन की कविता और गजल पर सभागार में सभी श्रोता डूब गये। उनके शेर अपनी उम्दा बयानगी पर सबकी दाद के पात्र बनें।
कुमार रजत की नज्म पर सभी की आंखें नम हो उठीं
इस पैसे वाली दुनिया में ,
माँ बाप अकेले होते हैं ।
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समीर परिमल की ग़ज़ल
मैं बनाता तुझे हमसफर जिन्दगी,
काश आती कभी मेरे घर जिन्दगी।
हम फकीरों के काबिल रही तू कहां,
जा अमीरों की कोठी में मर ज़िंदगी”।
पर दर्शकों के दाद परवान चढ़े तो हिना रिज़वी हैदर के शेर मन को बांध गये।
“सांस लेने का भी हकदार नहीं हो सकता,
कोई इतना भी गुनहगार नहीं हो सकता”।
नफीस नाजुक गजल एवं गीतों की इस महफ़िल की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ उषा सिन्हा ने की। वहीं प्रखर कवयित्री एवं आयाम की सदस्य नताशा ने संचालन की कमान थामी थी। धन्यवाद ज्ञापन प्रसिद्ध लोकगीत गायिका नीतू नवगीत ने किया। शहर के गणमान्य अतिथियों, साहित्य सुधी जनों एवं आयाम के सक्रिय सदस्यों की उपस्थिति इस महफिल की शोभा रही। उपस्थित लोगों में वरिष्ठ कवयित्री भावना शेखर, सिद्धेश्वर, रानी सुमिता, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण अग्रवाल, रामलाल खेतान, शिवदयाल जी, मुकेश प्रत्यूष, डॉ कुमार विमलेंदु सिंह, कुमार वरुण, कमलनयन श्रीवास्तव,रंजीता तिवारी, नीलू अखिलेश कुमार, श्वेता सुरभि, किरण सिंह,वीणा अमृत, शहनाज फातिमी, सुनीता गुप्ता, उषा झा, शाइस्ता, उत्तरा सिंह, सौम्या सुमन, केकी कृष्ण आदि प्रमुख रहे।