पिछले साल भर से देश कोरोना महामारी का दंश झेल रहा है। इस महामारी से देश का कोई कोना अछूता नहीं बचा है। पहले फेज में इस महामारी ने उतनी तबाही नहीं मचाई, जितनी दूसरी फेज में कहर ढा रही है। केंद्र सरकार हो या तमाम राज्य सरकारें, पहले फेज में इसके लिए तैयार नहीं थी, जिस कारण लोगों को असुविधा हुई।
उस दौरान भारत के पास न तो पीपीई किट (PPE Kit) थे, न समुचित संसाधन। इसी अफरातफरी से बचने के लिए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन (Lockdown) लगा दिया। जिससे न केवल देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ा बल्कि लोगों को खाने के लाले भी पड़ गये।
वैज्ञानिकों की चेतावनी पर राशन का मरहम
हालांकि इस दौरान केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने गरीब तबके के लोगों को राशन दे थोड़ा सा मरहम लगाने की कोशिश की। उस दौरान भी देश-दुनिया के तमाम वैज्ञानिक भारत को लेकर चेतावनियां देते रहे कि दूसरा वेव इससे कहीं ज्यादा खतरनाक और तबाही मचाने वाला होगा। फिर भी ना तो केंद्र सरकार ने, ना ही किसी राज्य सरकारों ने इसकी गंभीरता को समझा।
इसके लिए कोई व्यापक तैयारी नहीं की। लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। देश की राजधानी दिल्ली सहित कई राज्यों में लोगों को मरते देखा गया। कहीं दवा की किल्लत तो कहीं अस्पताल में जगह नहीं. कोरोना महामारी को लेकर केंद्र सरकार समेत तमाम राज्य सरकार फेल हो गईं।
आक्सीजन और दवाओं की जमकर हुई कालाबाजारी
कोरोना महामारी के दूसरे वेव ने केंद्र सहित राज्य सरकार की तमाम इंतजामों की पोल पट्टी खोल दी।लोगों को समुचित इलाज नहीं मिला जिसके कारण कोरोना (COVID-19) की जंग हार गये। इस दौरान चाहे कोई भी सरकार हो या विपक्ष कहीं भी जनता के साथ खड़े दिखाई नहीं दिये।सरकार और विपक्ष दोनों ने ही अपनी सफलता और विफलताओं के कसीदे पढे। किसी ने जनता की सुध न ली।
कोरोना से किसी तरह जान बची तो Black Fungus ने चपेट में ले लिया
कोरोना से जंग जीतने के बाद जैसे ही लोगों ने थोड़ी राहत ली तो Black Fungus ने लोगों का दम निकालना शुरू कर दिया। देश में अब तक Black Fungus के 7 हजार से ज्यादा मामले समाने आ गये हैं। इतना ही नहीं इससे करीब 200 से ज्यादा लोगों की जाने चलीं गई। वहीं केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकारों के साथ केंद्रशासित प्रदेशों को Black Fungus को Epidemic Diseases Act के नोटिफाई करने के लिए दिशानिर्देश दे दिया है।
तमिलनाडू, ओडिशा, असम, पंजाब, राजस्थान की सरकारों ने म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस (Mucaramicosis i.e. Black Fungus) को महामारी के तहत अधिसूचित कर दिया है। कोरोना महामारी के इलाज से उबड़े लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जाता है।
एम्स (AIIMS) के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया (Randeep Guleria) की माने तो बेपरवाही से स्टेरॉयड (Steroids) का इस्तेमाल करने से ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है। खासकर डायबिटील के मरीजों के लिए ये काफी खतरनाक साबित होता है।
मौत के आंकड़ों के साथ खेल कर रही है सरकारें
कोरोना के दूसरे वेव में इलाज न मिलने या इलाज के दौरान कई लोगों की जान चली गई।पिछले कुछ दिनों का आलम ये रहा कि श्मशान घाटों में शवों को जलाने के लिए लंबी-लंबी कतारों का सामना करना पड़ा। लोगों को अपने परिजनों को मुक्ति दिलाने में भी काफी जद्दोजहद करना पड़ा।
सरकार के आंकड़े और श्मशान घाट के कर्मियों की बातें एक दूसरे को झूठा साबित कर रही है। सरकारों की मानें तो उनके राज्य में कोरोना से मौतें तो हुई, लेकिन उतनी नहीं हुई जितना लोग या मीडिया दिखा रहा है।वहीं कई श्मशान घाटों को केवल कोविड से हुई मौत के लिए सुरक्षित कर दिया गया था और वहां के आंकड़े सरकार को आइना दिखाने के लिए काफी हैं।
यहां किसी खास राज्य की बात नहीं हो रही।कमोबेश यही हाल सभी राज्यों का रहा। वो मौत के सही आंकड़ें बताकर अपने लिए जलालत मोल नहीं ले सकती, इसलिए आकड़ों का खेल कर रही हैं सरकारें।
बिना किसी तैयारी के कोरोना वैक्सिनेशन जी का जंजाल बना
केंद्र और कई राज्य सरकारों ने बिना रणनीति की ये घोषणा तो कर दी कि 18 साल से अधिक उम्र के लोगों का वैक्सिनेशन किया जाएगा लेकिन लोगों को वैक्सीन नहीं मिल पा रहा है। इतना ही नहीं,अब तो राज्य सरकारों के भी हाथ खड़े करने शुरू कर दिये हैं कि उनके पास समुचित मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं, वहां इसको लेकर केंद्र सरकार पर ठिकरा फोड़ा जा रहा है।वहीं उन राज्यों में जहां बीजेपी की सरकारें हैं उसको लेकर सफाई दी जा रही है और लोगों को फिल गुड कराया जा रहा है कि सब ठीक है।
केंद्र सरकार के साथ तमाम राज्य सरकार को ऐसी महामारी के दौरान राजनीति से परहेज करते हुए कारगर रणनीति बनानी चाहिए।लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। इसीका आलम है कि लोगों को कभी तक बेहतर इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है।फिलहाल महामारी के इस दौर में लोगों का ध्यान केवल बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं पर है,लेकिन वो दिन दूर नहीं, जब लोग रोजगार, शिक्षा समेत कई अन्य मूलभूत सुविधाओं को लेकर सरकार पर हल्ला बोल देंगे। इसलिए केंद्र के साथ तमाम राज्य सरकारों को दूरदृष्टि रखते हुए फिलहाल राजनीति से बचते हुए रणनीति बनानी चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार
अमर चंद्र सोनू