अमर चंद्र सोनू । फिर दिखी पैर धोने की राजनीति । आजादी का अमृतकाल चल रहा है और केंद्र की मोदी सरकार 75 सालों में हासिल उपलब्धियों का सेहरा अपने सिर बांध रही है जबकि नाकामयाबियों को कांग्रेस की तमाम सरकारों पर भी मढ़ने से नहीं चूक रही है। ऐसे में जब चुनाव नजदीक हों तो खासकर RSS समर्थित BJP को सबसे ज्यादा याद एससी–एसटी और आदिवासियों की याद आने लगती है। उनके खिलाफ कोई भी भेदभाव–अपराध–अमानवीय कृत्य हो तो तमाम सरकारी अमले अलर्ट पर हो जाते हैं। अपराधी कोई भी क्यों न हो कानून की गिरफ्त से नहीं बच पाता। हालांकि इस मामले में बृजभूषण शरण सिंह एक अपवाद हैं। हालिया मामला मध्य प्रदेश का है। जहां सीधी जिले में बीजेपी के विधायक प्रतिनिधी प्रवेश शुक्ला ने एक आदिवासी के ऊपर पेशाब कर दिया था। वीडियो वायरल होते ही मध्य प्रदेश के मामा के नाम से चर्चित शिवराज सिंह चौहान भी हरकत में आ गये और अपनी सहानुभूति प्रकट करने लगे। आरोपी को आनन–फानन में गिरफ्तार कर NSA भी लगा दिया गया है।
आज सीएम शिवराज ने पीड़ित आदिवासी के पैर धोए, हाथ पकड़कर CM हाउस ले गए, आरती उतारी, तिलक लगाया और बोले– माफी मांगता हूं। इसके साथ ही शॉल ओढ़ाकर शिवराज ने उसका सम्मान किया। इतना ही नहीं सीएम शिवराज ने पीड़ित के साथ खाना खाया और गणेशजी की प्रतिमा भी भेंट की। उन्होंने कहा– “इस घटना से दुखी हूं। मैं आपसे माफी मांगता हूं। आप जैसे लोग मेरे लिए भगवान जैसे हैं।“ दूसरी तरफ CM से मुलाकात के बाद पीड़ित आदिवासी ने कहा जो हुआ, सो हुआ।
इस घटना के सामने आने के बाद शिवराज ने कहा था– आरोपी को ऐसी सजा मिले, जो मिसाल बन जाए। कार्रवाई के बाद ट्वीट किया था– NSA लगाया, बुलडोजर भी चलाया। जरूरत पड़ी तो अपराधियों को जमीन में गाड़ देंगे।अब सवाल ये उठता है कि मीडिया के सामने पीड़ित के पैर धोना क्या महज पब्लिसिटी स्टंट है या पीड़ित को फिल गुड कराने का एक जरिया मात्र। सवाल तो यह भी उठ रहा है कि मीडिया के सामने पीड़ित के पैर धोने से क्या वह खुद को और अधिक जलील नहीं समझेगा। इसकी वजह भी है। सम्मान का यह नाटक जब जब मीडिया में दिखेगा या दिखाया या बताया जाएगा तब–तब उसे इस जलालत की याद ताजा करवाती रहेगी और मीडिया की फौजें उस जख्म को कुरेद–कुरेदकर और नासूर ही बनाती रहेगी। पीड़ित जब कहीं से गुरजरेगा तो इस टैग से गुजरेगा कि ये ही फलां वो शख्स है जिसपर शुक्ला ने पेशाब कर दिया था।
ये पहला मौका नहीं है जब पैर धोये गये हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पांच स्वास्थ्यकर्मियों के पैर धोये थे तब भी इस घटना को खूब सूर्खियां मिली थी। तो क्या पैर धोने की राजनीति महज सूर्खियां बटोरने के लिए प्रायोजित की जाती हैं। दूसरी तरफ लोकसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुँवर दानिश अली के प्रश्न के उत्तर में बताया कि पिछले पांच सालों में 400 सीवर की सफाई करने के दौरान मौत हो गई।
2017–100 लोगों की जानें गई, 2018-67, 2019–117, 2020 – 19, 2021-49 और 2022-48 लोगों की मौतें हो गई हैं। ये ऐसे मामले हैं जहां ना तो सरकार ध्यान देती है ना ही विपक्ष। कभी–कभी बड़ी दुर्घटना होने पर एक–दूसरे पर दोषारोपण की राजनीति शुरू हो जाती है। वैसे स्वाभावतः इस घटना को भी भूला दिया जाएगा। इसकी शुरूआत भी हो गई है, पीड़ित ने अपना बड़प्पन दिखाते हुए सीएम शिवराज को बोल दिया है– जो हुआ, सो हुआ…