Boss
विमर्श

धौंस दिखाने वाला आपका Boss कहीं बीमार तो नहीं !

  • औबसेसिव कंपलसीव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (ओसीपीडी) का शिकार तो नहीं !

तेतालिस वर्षीय अशोक (परिवर्तित नाम)एक निजी कंपनी में तैनात हैं। अशोक अपने ऑफिस में सजग होकर काम भी करते रहे हैं। उनके Boss को उनका काम तो पसंद है, पर वहाँ काम करने वाले अन्य स्टाफ सहित अशोक भी एक दहशत महसूस करते हैं।कारण है Boss का व्यबहार। हर दिन वह अपने आदेश को उसी दिन पूरा कराना चाहते हैं,वो भी सलीके से।बॉस द्वारा थोड़ी सी भी गलती को लेकर भी लंबा प्रवचन किसी को रास नही आता।बॉस के इस आदत से कई लोग नौकरी और कंपनी छोड़ कर जाते रहे हैं।

दर असल धौंस जमाने वाला यह व्यवहार सामान्य नहीं है। दूसरी तरफ बाहर में उसी Boss का व्यवहार बहुत अच्छा रहता है ।इतना अच्छा कि वो बड़े बड़े प्रोजेक्ट अपनी कंपनी के लिए लाने में सफल रहते हैं । दरअसल विशेषज्ञों और मनोचिकित्सक की नजर में अशोक के वो बॉस औबसेसिव कंपलसीव पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (ओसीपीडी) के शिकार हैं।उस Boss का इस तरह का व्यवहार ओसीपीडी के ही साफ लक्षण हैं।

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हर काम में परफेक्शन की चाहत

इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति परिस्थितियों को दरकिनार कर अपने दमित इच्छाओं की पूर्ति चाहते हैं। ये असंतुष्ट हो सकते हैं।और अपनी संतुष्टी के लिए दूसरों पर अनावश्यक दबाब भी बनाते हैं। कभी-कभी ये अपनी अतृप्त इच्छाओं की पूर्ति के लिए अक्रामक रूख भी अख्तियार करते हैं। इनका व्यवहार मिलनसार तो हो सकता है पर हर बार ये अपनी शर्तों के साथ बात रखते हैं। जिद्द भरा स्वभाव नकारात्मक प्रभाव देता है। कुछ केसेज में व्यक्ति एकदम मक्खन की तरह व्यवहार करता है। हर व्यक्ति को अधिक महत्व देकर अपना कार्य सिद्ध करवाना चाहता है।

इमोशनल ब्लैकमेल नियति

इस तरह की विकृति के साथ जीने वाला व्यक्ति अपने और पराये दोनो के लिए सिरदर्द बने होते हैं। समाज में इनका खुल कर विरोध तो नही होता, परंतु पीठ पीछे इनकी बुराई होती रहती है।ऐसे लोग अपने द्वारा बनाये गये नियमों की अवहेलना नहीं चाहते।ऐसे कई अवसर आते हैं,जब यह दूसरे को दुःखी कर अपने खोखले सिद्धांतों पर चलने के लिए विवश कर देते हैं।

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व्यस्तता का दिखातें हैं धौंस

ओसीपीडी के शिकार लोग प्राय: खुद को व्यस्त दिखाना चाहते हैं।अक्सर परिवार, दोस्त और समाज में कार्य की अधिकता और समय कम होने की दुहाई इनके द्वारा दिया जाता है। कार्य करते हुए यह कभी भी लचीले रूख का सहारा नहीं लेते।नैतिक रूप से भी वह इसे सही नहीं मानते। हर समय वह अपने द्वारा बनाये रूल्स को सही मानकर लोगों को इसपर अमल करने की सीख देते हैं।

संवाद की होती है महत्वपूर्ण भूमिका

अगर आपका Boss भी धौंस जमाकर अपना कार्य निकलवा रहें हैं, तो ऐसे हालत में उनसे उपयुक्त संवाद स्थापित करना ही श्रेयस्कर उपाय हो सकता है। बातचीत से उन्हें वास्तविक परिस्थितियों से अवगत कराया जा सकता है। इस तरह की समस्या से पीड़ित व्यक्ति की बातों को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। आप अगर उनकी बातों को काटने के बजाए अन्य विकल्प पर बात करें तो बात बनने लगती है।

* डॉ॰ मनोज कुमार*

लेखक सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक चिकित्सक हैं।

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.