Shaheed Smarak Patna
विमर्श

79 साल पहले इसी दिन शहीद हुए थे सचिवालय के पास सात युवक…

Shaheed Smarak Patna

Shaheed Smarak Patna : विश्वनाथ सिंह. 9 अगस्त 1942 को बम्बई में अखिल भारतीय कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में एक प्रस्ताव पास कर कहा गया कि “अंग्रेजो भारत छोड़ो”। अपनी रक्षा स्वयं कर लेंगे। इस अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भाषण देते हुए “करो या मरो” का आदेश दिया। उन्होंने कहा “हम सब या तो भारत को आजाद कराएंगे या इसके लिए प्रयत्न करते हुए मार जायेंगे, लेकिन हम गुलामी देखने के लिए जिंदा नहीं रहेंगे”।

सुबह होते-होते गांधी जी, जवाहर लाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि कांग्रेस के कार्यकारिणी के सभी सदस्य जेल में डाल दिए गए। पटना में 9 अगस्त 1942 को ही डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद बिमारी की हालत में गिरफ्तार कर लिए गए। यह सर्वविदित है कि गांधी जी के ‘ करो या मरो’ के शंखनाद के साथ पूरे देश में अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकने के लिए युवक, बच्चे, स्त्री-पुरुष सड़को पर उतर आए थे। चारो ओर इंकलाब जिंदाबाद, अंग्रेजो भारत छोड़ो, वंदे मातरम के गगनभेदी नारों से वातावरण गुंजायमान था। बिहार की राजधानी पटना में भी स्कूलों कॉलेजों में भी पढ़ने वाले छात्र इस राष्ट्रीय यज्ञ में अपना सर्वस्य न्योछावर करने को आतुर थे। यही हाल पटना के निकटम शहर सोनपुर का भी था।

11 अगस्त 1942 का वो दिन जब हजारों छात्रों हुजूम पटना सचिवालय की ओर सभी अवरोधों को पार कर आगे बढ़ रहा था। सचिवालय परिसर के गुम्बद पर तिरंगा फहराने को उतावले युवकों को अग्रिम पंक्ति में वे सात युवक भी थे जिन्हें रोकने में विफल होने पर ब्रिटिश पुलिस ने बर्बरतापूर्वक गोलियों से भून दिया। इन शहीदों में एक थे सोनपुर क्षेत्र स्थित बनवारिचक नया गांव के निवासी राजेंद्र प्रसाद सिंह। अमर शहीद राजेंद्र प्रसाद सिंह की शहादत आजतक सरकारी उपेक्षा के कारण गुमनाम बनी हुई है।

इनके नाम पर राजधानी में ना तो कोई चौक चौराहे का नाम पड़ा और ना ही कोई स्कूल या कॉलेज खुला। इसका मलाल इनकी धर्मपत्नी सुरेश देवी को हो या ना हो लेकिन शहीद के गांव जवार वालों को जरूर है।

शहीद राजेंद्र प्रसाद सिंह की पत्नी सुरेश देवी के पास पति की यादें ही शेष बची है। का कहना है कि 1942 की इस दुखद घटना के 2 माह पूर्व राजेंद्र प्रसाद सिंह के साथ हुई थी। वे इस लघु अवधि में अपने पति को ठीक से जान भी नहीं पाई थी। आज भी सुरेश देवी को अपने पर गर्व है। अपने आप पर भी गर्व है कि वह वीर देशभक्त शहीद की पत्नी है जिनकी पूजा राष्ट्र के लोग करते हैं।

1942 किस घटना के गवाह रहे लोग आज भी बताते हैं कि 11 अगस्त को राजधानी तथा आसपास के क्षेत्रों से आए हजारों उत्साही युवक सुबह से ही सचिवालय के बाहर इकट्ठा होने लगे थे।एक दूसरे का जोश बढ़ाने तथा उत्साहित करने के लिए लगातार इंकलाब ज़िंदाबाद , वन्दे मातरम का नारा लगा रहे थे। एक दूसरे के सहयोग के लिए तत्पर भी थे। लेकिन दूसरे ओर ड्यूटी पर तैनात अंग्रेज घुरसावार पुलिस इन देश भक्त युवकों को सचिवालय परिसर में दाखिल होने से रोक रहे थे। कुछ युवक अंग्रेजी सिपाहियो की घेराबंदी को तोड़कर परिसर में प्रवेश करना चाहते थे। अग्रिम पंक्ति में सोनपुर थनावाशी राजेन्द्र प्रसाद सिंह सहित सात युवा छात्र थे। वे अंग्रेजी सिपाहियो को चकमा देकर सचिवालय परिसर स्थित गुंबद तक जा पहुंचे।

देशभक्ति वा छात्रों को गुंबद पर पहुंचा देख ब्रिटिश फौज को गोली चलाने का आदेश दे दिया गया। फिर क्या था? कुछ ही देर में 7 छात्र शहीद हो गए। लेकिन शहीद होने के पूर्व इन छात्रों ने सचिवालय पर झंडा लहराने में सफल हो गए थे। सोनपुर के शहीद राजेंद्र प्रसाद सिंह के साथ उमाकांत, रामानंद, रामगोविंद, जगपति, देवीपद तथा सतीश भी शहीद हो गए। इन सातों का सचिवालय के आगे बना स्मारक देख आज और अभी भी देश वाशी नतमस्तक होते है और श्रद्धासुमन अर्पित करते है।

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.