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विमर्श

प्राचीन धर्म ग्रंथों और वेदों में है वोट की चर्चा,बज गई ग्राम पंचायत चुनाव की डुगडुगी

सोनपुर, विश्वनाथ सिंह। प्रदेश में ग्राम पंचायत चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है। देश और राज्य में जब जब चुनाव का समय आता है, तब तब लोकतंत्र, गणतंत्र, मतदान, वोट जैसे शब्दों का रटा जाने लगता है। हालांकि वोट कोई नया शब्द नहीं है। वेदों में भी इसकी चर्चा है। भारत के प्राचीन धर्म ग्रंथों जैसे ऋगवेद, अथर्वेद और ब्राह्मण ग्रंथों में गणराज्य की चर्चा है।अभी ग्राम पंचायत चुनाव का डुगडुगी बज चुकी है, बिहार राज्य में इसी की चर्चा है। घर से दलान तक, खेत से खलिहान तक, मठ से मंदिर तक, जहां जाएं ग्राम पंचायत चुनाव का  चर्चा जारी है।

 प्राचीन काल में भी कई जगहों पर गणतांत्रिक व्यवस्था पूर्ण रूप से थी। ऋगवेद के एक सुक्त में उल्लेख है। समिति की मंत्रणा एक मुख्य हो, सदस्यों की मत परंपरानुकूल हो और निर्णय भी सर्व सम्मत हो।

कुरु और पांचाल जनों में ईसा से लगभग 4 या 5 शताब्दी पूर्व गणतंत्रीय व्यवस्था अपनाई गई थी। हलाकि ऋगवेद में वोट देने के अधिकार के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। महाभारत में गणराज्यों की व्यवस्था की चर्चा है। उसमें कहा गया है कि गणराज्य में एक जनसभा होती थी, जिसमें सभी सदस्यों को अपने-अपने विचार रखने की आजादी थी।

 उस काल में गणराज्य के अध्यक्ष पद पर गण (जनता )किसी नागरिक का चयन करती थी। कभी-कभी निर्णयों को गुप्त रखने के लिए फैसले को सार्वजनिक नहीं किया जाता था। बाद के दौड़ में भारत के कई इलाकों में ग्राम सभा का भी उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। उपयुक्त अंकित तथ्यों से प्रमाणित होता है कि वोट द्वारा प्रतिनिधि चुनने की परंपरा कोई नई नहीं, बल्कि काफी पुरानी है।

 उस काल में योग्य और ईमानदार लोगों को वोट द्वारा चयन किया जाता था। चयनित प्रतिनिधि अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन बिना द्वेष  और बिना भेदभाव के इमानदारी के साथ करते थे। तब ना तो जातिवाद की हवा थी और न ही था आरक्षण जैसी गंदी व्यवस्था।

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सच तो यह है कि वर्तमान काल में वोट देना और मतदान करना या ईवीएम मशीन का बटन दबाकर मतदान करना जैसी व्यवस्था में इमानदारी का पुष्प नहीं खिलता, बल्कि खिलता है अराजकता और दुराचारिता का बदबूदार झाड़ जो मानव समाज को तहस-नहस कर देता है। इस प्रजातंत्र में मतदान का इतना महत्व है कि एक सौ मतदाता में 49 महाविद्वान एक तरफ और 51 महामूर्ख मतदाता दूसरी तरफ मतदान करता है, तो जिस उम्मीदवार को 51 महामूर्ख अपना मत देगा, वही विजय घोषित किया जाएगा। 49 महाविद्वान मतदाता जिसे मत देंगे वह पराजय का बोझ लिए भाग खड़े होंगे। यही है आज का प्रजातंत्र। इस व्यवस्था में योग्यता, चरित्र, ईमानदारी का कोई मूल्यांकन नहीं। मतदाता भी कम तिकड़मबाज नही है। अधिकांश मतदाता गलत उम्मीदवार के प्रलोभन में आकर चाँदी के चंद टुकड़ों पर अपना ईमान बेच कर योग्य प्रत्यासी को वोट न देकर लोकतंत्र को बदनाम कर देते हैं। वर्तमान माहौल में गलत व्यक्ति चुने जाने पर सरकार की योजनाओं की राशि का बंदरवाट कर अपने अपने आलीशान भवन निर्माण कर बउआ को चांदी के कटोरा में दूध भात खिलाता है।

आरक्षण व्यवस्था को लेकर महिलाएं चुनाव जीतती है, तो उनके एवज़ में उनके पति या पुत्र कार्य करते हैं। मतदाता प्रत्येक 5 वर्ष पर ठगे जा रहे हैं इस पर सोचने की जरूरत है। इसलिये कि बिहार ऋषि मुनि, तपस्वीयों की भूमि रही है। यहां के कण कण में भगवान बुद्ध व महावीर की वाणी गूँजती है।

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.