Unlock
विमर्श

Unlock जरूरी या लॉकडाउन मजबूरी : एक परिचर्चा

नयी और पुरानी पीढ़ी ने बखूबी जानलिया कि “हमने खता की, पीढियों ने सजा झेली” का दर्द कैसा होता है? कोरोना संक्रमण के दौर से जूझ रहे जनसमुदाय ने यह जान लिया कि मानवीय भूल का खामियाजा हमें ही उठाना है। बीते माहों का तथाकथित कोरोना लॉकडाउन ने आर्थिक, शैक्षिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, स्वास्थ्य, राजनीतिक यूं कहें कि सभी स्तरों पर विश्व समुदाय को झकझोर कर रख दिया।कहा जा सकता है कि कोरोना काल में ज्ञान, विज्ञान के साथ ही समाधान की विवशता से प्राणी परेशान रहा।अभी-अभी सरकार ने कुछ शर्तों के साथ ,बिहार में Unlock का ऐलान कर लोगों को राहत दी है।जबकि अभी कोरोना का फेज कम हुआ है, लेकिन खतम नहीं। कई लोगों ने सरकारी गाइडलाइंस से अधिक कारगर लॉकडाउन को माना है।हमारे विशेष संवाददाता ने राजधानी के कुछ प्रबुद्ध नागरिकों से यह जानने का प्रयास किया कि अभी लॉकडाउन जरुरी या Unlock ? आइए जानते हैं, किसने क्या कहा ?

Read Also: Corona महामारी से हुई विश्व भर के मृतकों के लिए कर्मकांड और पिंडदान का आयोजन

शिक्षाविद् वीरेंद्र प्रसाद का मानना है कि जब तीसरी लहर का खतरा भी सामने है तो आंशिक तौर पर छूट दी जा सकती थी क्यूंकि आम तौर पर लोग पूरी तरह निश्चित ही हो कर सामान्य दिनचर्या में लग जाते हैं जो कोरोना संक्रमण के लिए एक कैरियर समान है।ऐसी स्थिति में बिहार के लिए Unlock एक प्रयोग हो सकता है लेकिन सुखद संयोग हो यह जरुरी नहीं।विगत दिनों जिस तरह का माहौल बिहार में देखने को मिला वह संतोषजनक नहीं कही जा सकती ।मास्क,सफाई, सामाजिक दूरी के लिए बार बार आगाह किये जाने के बावजूद सड़कों पर वही भीड़,सब्जी मंडी का नजारा, बाजारों की पहले वाली स्थित पर स्वतः जनता को संज्ञान लेने की जरूरत है।सबकुछ शासन-प्रशासन के जिम्मे संभव नहीं।कहने का मतलब है कि जान है तो जहान है।

सामाजिक कार्यकर्ता पुष्कर का कहना है कि लंबे लॉकडाउन से ऊब जाने के साथ ही कोरोना का खतरा कम हो जान के चलते यह Unlock बेहतर है,लेकिन जनता से अपील करते हुए इन्होंने कहा है कि वे सरकारी गाइडलाइंस के अनुपालन में कोताही नहीं बरतें। सरकारी स्तर पर समय की छूट का मानदंडों के साथ पालन करना भी निहायत जरूरी है तभी कोरोना संक्रमण से पूरी तरह हम सभी मुक्त हो सकते हैं।

Get latest updates on Corona

पटना की वरीय सौंदर्य विशेषज्ञा व पत्रकार रेणु परमार ने बड़े ही मार्मिक अंदाज में उन हुतात्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि इस कोरोना ने इसान को अर्श से फर्श पर ला दिया। यदि देखा जाय तो लॉकडाउन का प्रभाव दवा से कम नहीं।आमतौर पर आर्थिक, शैक्षिक, स्वास्थ्य के साथ ही तमाम क्षेत्रों में कोरोना के चलते गिरावट दर्ज की गई लेकिन अब जबकि बिहार में Unlock की व्यवस्था लागू कर दी गई है तो आम आदमी को चाहिए कि वे कोरोना गाइडलाइंस का गंभीरता से पालन करें ताकि फिर से यहां लॉकडाउन की नौबत ही नहीं आए।पुरस्कार की खुशी के साथ दंड का भय सामाजिक नियंत्रण का मूलाधार है।

पेशे से अधिवक्ता अजय कुमार का मानना है कि कोरोना की भयावहता फिलवक्त कम जरूर हुआ है लेकिन समाप्त नहीं हो सका है फिर भी Unlock जरूरी था।उन्होंने यह भी कहा कि आमजनों को कोविड प्रोटोकॉल का गभीरता से पालन करते रहना हितकारक होगा। जो इसके उल्लंघन का दोषी पाए जाएं , प्रशासन उनसे सख्ती से निवटे ताकि संभावित तीसरी लहर का दंश लोग झेलने पर मजबूर ना हों। इन्हें इस बात का भी मलाल है कि बिहार सरकार न्याय के सेवकों की सेवा को कोरोना लॉकडाउन के दौरान भूल गयी।

चुकि विधिसंवत कार्य करने वालों पर भी लॉकडाउन का लंबे समय तक असर रहा और इनकी माली हालात चरमरा गई।ऐसी स्थिति में जिस तरह अन्य संवर्ग के लिए सरकारी स्तर से आर्थिक सहयोग का एलान कर अपने दायित्वों का निर्वहन किया है ठीक वैसा ही करना अधिवक्ता समुदाय के लिए श्रेयस्कर होता।इनकी यह भी चाहत है कि वर्चुअल कीबोर्ड से अभी कोर्ट कार्य निवटाना अच्छा रहता।चुकि कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है और आगंतुकों को रोकना संभव नहीं है इसलिए हर अच्छे कदम का स्वगत जरूरी है ।

प्रस्तुति-नवीन कुमार

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.