(consumption of cannabis) दौलत और शोहरत का नशा होना एक समान्य बात है पर अगर कोई व्यक्ति दिखावे में या रोजमर्रा के तनाव-दबाव से बचने के लिए नशे को चुनता है तो वह उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इससे सेहत तो खराब होती ही है , अपने और अपने परिवार की समाजिक प्रतिष्ठा भी धुमिल होने लगती है। पूरी दुनिया इस माथा पच्ची में लगी है कि आने वाली पीढी को नशे के इस दलदल से कैसे बचाया जा सके।
इसी मकसद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर रखी है। इसके बावजूद अवैध नशा और इसका कारोबार जिस तरह से युवाओं को लुभा रहा है वह चिंतनीय है। इसके आंकङे चौकाने वाले हैं। एल्कोहल बंदी के बाद से ही इसके सेवन करने वाले और नशे के अवैध कारोबारियों के बीच आपसी प्रतिद्वंद्विता चलने लगी है। आए दिन बिहार में मिलते नशा सामग्री की बड़ी-बड़ी खेप गवाह हैं कि इसके अवैध कारोबार किस तरह फल-फूल रहे हैं। गांजे-भांग के डिमांड है ज्यादा शराब के सहज उपलब्ध नहीं होने के कारण ओपियाड,कोकिन और कैनाबिज से संबंधित गांजे-भांग की मांग बढ रही।
ऐसे अनेक मामले मेरे पास पटना और आसपास के क्षेत्रों से आते रहे हैं। जिसमें स्कूल जाने वाले उम्र में भी बीएस(ब्राउन-शुगर)लेने वाले किशोर होते हैं । कुछेक मामलों में तो किशोरियां भी होती हैं। नशे का अवैध कारोबार मौतें दे रहाविगत कुछ वर्षों में नशे का कारोबार इतना ज्यादा फला फूला है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के भी कान खङे हो गये। संपूर्ण विश्व में डब्ल्यू. एचओ के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2017 में अवैध नशा लेने से पुरे विश्व में 115 हजार लोगों की जानें गई। वहीं 2020 आते-आते करीब 269 करोड़ लोग अवैध नशा लेने लगे। वर्तमान में 15 वर्ष से 64 वर्ष तक के 270 करोङ लोग किसी न किसी अवैध नशे की गिरफ्त में है। अंतर्राष्ट्रीय पटल पर 180 हजार लोग नशा के कारण असमय काल के ग्रास बन रहे हैं। दुनिया में अभी करीब 50 फ़ीसदी देशों ने ही नशामुक्ति केन्द्रों की स्थापना की है। जबकि दुनिया के 20 प्रतिशत देश ओपियाड जैसे एक्सट्रीम स्तर के नशा से उबङने की व्यवस्था कर रखी है।
शराब के साथ सिगरेट पीने वालों की मौतें अधिक
बिहार में सिगरेट के साथ शराब परोसने का चलन रहा है। ज्यादातर लोग शराब और सिगरेट को छल्ले बनाकर पीते देखे जाते रहें हैं । बीड़ी और महुआ से बने शराब भी अलग-अलग जगहों पर इस्तेमाल होने की खबरें आती रही हैं। इन सब से व्यक्ति के मस्तिष्क के साथ शारीरिक रूप से बीमार होने के आशंका बढ जाती है। अगर बीमारी अगर गंभीर हुई तो व्यक्ति असमय ही मौत के मुँह में चला जाता है।
आवश्यकता है उपचार की
(consumption of cannabis) किसी भी तरह के नशे का पूरी तरह समाधान संभव है। आवश्यकता इस बात की है कि परिवार व समाज प्रमाणिक चिकित्सा पद्धति अपनाएं। मसलन मरीज में नशा लेना एक सीखा हुआ व्यवहार है । इसके लिए नशे से पीड़ितों के सभी लक्षणों के अवलोकन किये जायें। पीड़ित व्यक्ति के साथ मानवीयता के साथ व्यवहार करना अच्छे परिणाम देता है। परिवार को कभी भी नशा लेनेवाले को घृणा से नहीं देखना चाहिए और उन्हें पूर्ण सहयोग देना चाहिए। परिवार का सहयोग नशा लेने वाले को एक मजबूत भावनात्मक सुरक्षा देता है। इससे सोये हुए आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति पुनः प्राप्त करने में मरीज को सहूलियत होती है।