जेपी के सपनों का भारत बनाएं, नयी दिल्ली, संवाददाता। नयी दिल्ली में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में लोकनायक जयप्रकाश अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विकास केन्द्र एवं गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के संयुक्त तत्वावधान में जेपी आंदोलन दिवस के अवसर पर ग्राम स्वराज एवं अंत्योदय, गांधी-जेपी के सर्वोदय की कल्पना का समाज विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के उपाध्यक्ष विजय गोयल, समाजवादी विचारक-चिंतक एवं अध्यक्ष लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी अध्यक्ष रघु ठाकुर, जेपी सेनानी एवं बसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधीन्द्र भदौरिया, सोशल रिसर्च इंडिया की निदेशक डा. रंजना कुमारी, समाजवादी नेता व जनता दल यू के महासचिव अरुण श्रीवास्तव एवं प्रख्यात पर्यावरणविद व वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेन्द्र रावत को जेपी सेनानी सम्मान से सम्मानित किया गया।
मौके पर अपने संबोधन में ज्ञानेन्द्र रावत ने सबसे पहले महात्मा गांधी और जय प्रकाश को श्रृद्धांजलि अर्पित की और कहा कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अप्रतिम सेनानी और समग्र क्रांति के अग्रदूत जयप्रकाश अपने जीवन के अंतिम चरण में भारतीय राजनीति के फलक पर आंधी की तरह आये। इसे यदि यूं कहें कि देश में भारतीय जनमानस को नेहरू परिवार के मुकाबले एक ऐसा नेता मिला जिसने देश की दिशा ही बदल दी तो कुछ गलत नहीं होगा। नौजवानों के आंदोलन और उसमें उनके नेतृत्व की परिणिति 1977 में जनता पार्टी के गठन और जनता सरकार के अस्तित्व में आने की जीती जागती मिसाल है, जिसने यह साबित किया कि जनता जब जाग जाती है तब तानाशाही ताकतों को ध्वस्त होते देर नहीं लगती।
ज्ञानेन्द्र रावत ने कहा कि उससे पूर्व उन्होंने अपना समय सर्वोदय के क्षेत्र में रचनात्मक कार्यों में समर्पित किया। कुख्यात दस्युओं का समर्पण इसका जीवंत प्रमाण है। अपने जीवन के अंत समय में भी अंत्योदय कार्यक्रम के प्रति उनकी चिंता इस बात का प्रमाण है कि वह देश के आम आदमी के प्रति कितने संवेदनशील थे। आज मौजूदा हालात इस बात के सबूत हैं कि देश में तानाशाही ताकतें फिर सिर उठा रही हैं। ऐसे समय जरूरत इस बात की है कि हम सब मिलकर जेपी के सपनों का भारत बनाएं ताकि तानाशाही ताकतों को मुंहतोड़ जबाव दिया जा सके और देश बचाया जा सके। यदि अब हम चूक गये तो आने वाली पीढियां हमें माफ नहीं करेंगीं।
डा० जगदीश चौधरी ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि यह आयोजन इस बात का प्रतीक है कि आज भी हम अपने देश की विभूतियों को भूले नहीं हैं, जिन्होंने न केवल आजादी की लडा़ई में महत्वपूर्ण योगदान दिया, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन में भी क्रांतिकारी भूमिका निभाई। हमें उन पर गर्व है। ऐसे आयोजनों की सफलता तभी संभव है जबकि हम उन विभूतियों के योगदान की जानकारी जन-जन तक पहुंचायें और उनके बताये रास्ते पर चलते हुए उनके आदर्शों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व० लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र सुनील शास्त्री ने अपने सम्बोधन में अपने पिता और जयप्रकाश के संस्मरणों का जिक्र करते हुए कहा कि आज देश में जयप्रकाश जैसे व्यक्तित्व की बेहद जरूरत है। उनके लिए देश और देश की जनता की खुशहाली ही सर्वोपरि थी।
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गो ग्रीन प्रोजेक्ट की प्रमुख रागिनी रंजन ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि जयप्रकाश जी के विचारों का प्रचार और प्रसार समय की बहुत बडी़ जरूरत है। यदि हम वास्तव में व्यवस्था में बदलाव चाहते हैं तो हमें जेपी के बताये रास्ते पर चलना होगा। परिवर्तन के रास्ते बाधाएं आयेंगी लेकिन उन्हें दरकिनार करते हुए हमें आगे बढ़ना होगा। तभी कामयाबी संभव है।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल ने आपातकाल के दौर की चर्चा करते हुए अपनी गिरफ्तारी और जेल यात्रा पर सिलसिलेवार चर्चा की और बताया कि कैसे जेपी ने अस्वस्थता के बावजूद आंदोलन का नेतृत्व किया और सत्ता परिवर्तन कर दुनिया के सामने आंदोलन, नौजवानों और संगठन की शक्ति का अहसास कराया। मैं आयोजन की सफलता की कामना करता हूं और केन्द्र के महासचिव अभय सिन्हा के प्रयासों की प्रशंसा करता हूं। संगोष्ठी के अंत में केन्द्र के महासचिव अभय सिन्हा ने सभी का आभार व्यक्त किया उन्होंने सभी उपस्थित जनों को आश्वस्त किया कि केन्द्र अध्ययन केन्द्र के विस्तार और जेपी के सपनों का भारत बनाने में कोई कोर कसर नहीं रखेगा और देश-दुनिया में जेपी के विचारों के प्रसार हेतु अपने प्रयास जारी रखेगा।