वर्दीधारियों को हमेशा देश के लिए उनकी सेवा, कर्तव्य के प्रति समर्पण और अनुशासित जीवन शैली के लिए जाना जाता है, लेकिन कमलेश कमल ने साबित कर दिया कि एक वर्दी धारी की कलम भी कमाल कर सकती है।
हां, ऐसा ही कर दिखाया है– आईटीबीपी में डिप्टी कमांडेंट के रूप में कार्यरत कमलेश कमल की कलम ने। तभी तो उन्हें प्रसिद्ध इंटरनेशन पत्रिका टायकून इंटरनेशनल ने भारत के चयनित 25 ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया है। इतना ही नहीं, इनके द्वारा लिखी गई किताब ” भाषा संशय शोधन ” को भारत सरकार के गृह-मंत्रालय ने अपने सभी अधीनस्थ और सम्बद्ध कार्यालयों को खरीदने के निर्देश भी जारी किए हैं, ताकि किताब के अध्ययन के बाद हिंदी-भाषा के प्रयोग में होने वाली गलतियों से बचा जा सकेगा।
विदित हो कि मूलरूप से पूर्णियाँ, बिहार के रहनेवाले कमलेश कमल भाषा-विज्ञान और हिंदी व्याकरण में अपने प्रयासों के लिए देश भर में लोकप्रिय हैं। उनके 2000 से अधिक लेख, संपादकीय, कहानियां, फीचर कहानियां और कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं। वे न केवल देश के प्रसिद्ध व्याकरण और भाषाविद् हैं, बल्कि राष्ट्रभाषा-हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित भी हैं।
हिंदी के लिए उनका प्रेम इतना प्रगाढ़ है कि छुट्टियों में परिवार के साथ घूमने या समय बिताने के बजाय वे विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की यात्रा करना पसंद करते हैं। शब्दों की व्युत्पत्ति पर उनके फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ को 5 लाख से अधिक लोगों द्वारा पढ़ा जाता है। वस्तुतः एक अंतरराष्ट्रीय अँगरेज़ी पत्रिका द्वारा देश के 25 शीर्ष अधिकारियों में शामिल किया जाना, उनके हिंदी-भाषा के लिए किए गए कार्यों का सम्मान है।