पटना, मुकेश महान। पटना में डा. सान्या शर्मा, शुरु कीं जनसेवा कार्यक्रम। सामाजिक संगठन सहयोग समृद्धि फाउंडेशन ने अपने सामाजिक और सहयोगात्मक कार्यों से पटना में जबरदस्त उपस्थिति दर्ज कराई है। हाल के दिनों में संगठन ने पटना के कन्या नेत्रहीन विद्यालय बालक नेत्रहीन विद्यालय और आश्रय ओल्डएज होम के साथ जुड़ कर विशेष सहयोग का कार्य किया है। इसके पूर्व पटना के कुछ स्लम इलाकों के बच्चों के बीच दीवाली गिफ्ट वितरित कर स्लम के बच्चों के चेहरे पर मुस्कान विखेरने का काम किया है।
खास बात ये है कि महयोग समृद्धि फाउँडेशन की संस्थापिका डा. सान्या शर्मा पिछले कई वर्षों से लंदन में अपने अपने परिवार के साथ रहती हैं और अपने देश भारत के लिए लगातार जनकल्याण के काम करती रहती हैं। फिलवक्त कुछ महीने से वो पटना प्रवास पर हैं।
छुट्टियों में भी पटना प्रवास के दौरान वो समाज सेवा के लिए समय और अवसर निकाल ही लेती हैं। इसी का नतीजा है कि वो पहले नेत्रहीन कन्या विद्यालय जाकर वहां की छात्राओं से उनकी जरूरतों के बारे में जानने और समझने की कोशिश करती हैं, फिर उन जरूरतों के सामानों की खरीददारी करती हैं या जुगार करती हैं। फिर विद्यालय जाकर उन नेत्रहीन बच्चियों को उनके जरूरत का सामान उपलब्ध करवा देती हैं।
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डा. सान्या कहती हैं कि नेत्रहीन कन्या विद्यालय में कुछ खास चीजों की जरूरत नहीं बताई गई, उन बच्चियों को छोटी छोटी दैनिक जरुरत की चीजें चाहिए थी। हां कुछ ब्रेल लिपि वाले पेपर की तो उसे भी हम लोगों ने उपलब्ध करा दिया। सान्या कहती हैं कि इस सामग्री वितरण के क्रम में दिखा कि एक बच्ची (जिसे बहुत कम दिखाई पड़ता है) नेल पॉलिस की सुखी शीशी से नेल को पॉलिस करने का उपक्रम कर रही है तो हमने फिर से बाजार से नेलपॉलिश की नई शीशियां मंगवा कर उन्हें दी।
इसी तरह नेत्रहीन बालक विद्यालय में बच्चों ने अन्य जरूरत के सामानों के साथ एक वाशिंग मशीन की मांग की ताकि ठंड में भी सहजता से कपड़े साफ किये जा सकें तो उनहें भी हमारे संगठन ने वाशिंग मशीन सहित जरूरत के अन्य सामान उपलब्ध करवा दिया।
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सान्या कहती हैं ये सामान मुहैया कराने में उनकी टीम के सदस्य प्रभात, राकेश, शबाना, आशा, अदिती, माला और चंदा ने काफी मदद की हैं। उनके बिना ये मुमकिन नहीं हो पाता। उनका मानना है कि इन सब सामाजिक कार्यों में वो केवल एक माध्यम होती हैं। उनकी असली ताकत उनकी सहयोगी टीम है और अपनी टीम को ही वो सारा श्रेय देती हैं।
डा. सान्या शर्मा कहती हैं कि मैं पटना अपने निजि और पारिवारिक काम से आई हुई हूं। लेकिन मुझे लगा कि सेवा का भी काम अपने पटना वासियों के लिए की जाए तो फिर मैंने लंदन में रह रहे अपने संगठन के सहयोगियों से बात करके यह सब कर दिया। वो कहती हैं जबतक मैं पटना हूं, मेरी कोशिश है कि मैं कुछ न कुछ करती रहूं।