Global Kayastha Conference (GKC) झारखंड कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के सौजन्य से ‘भारतीय स्वाधीनता में कला-संस्कृति की भूमिका’ पर आधारित संगोष्ठी
रांची. पटना Global Kayastha Conference (GKC) झारखंड कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के सौजन्य से ‘भारतीय स्वाधीनता में कला-संस्कृति की भूमिका’ पर आधारित ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जहां देशभर से प्रबुद्ध वक्ताओं ने इसमें अपने विचार व्यक्त किये जो विविधता से परिपूर्ण और नई पीढ़ी के लिए भी काफी ज्ञानवर्द्धक साबित हुये।
विद्वजन जब कभी भी एक मंच पर एकत्रित होते हैं तो वह समागम अक्सर अद्वितीय साबित हो आता है; और जब उस माला को किसी सुन्दर संचालन के साथ पिरोया जाए तो प्रस्तुति ज्ञानवर्द्धक और लयबद्ध हो आती है। ऐसा ही हुआ संगोष्ठी कार्यक्रम में जहां अंतर्राष्ट्रीय संस्था ‘ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के झारखंड कला-संस्कृति प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित ऑनलाइन संगोष्ठी का ओयोजन किया जा रहा था। संगोष्ठी का विषय था – ‘भारतीय स्वाधीनता में कला-संस्कृति की भूमिका’। देशभर से प्रबुद्ध वक्ताओं ने इसमें अपने विचार व्यक्त किये जो विविधता से परिपूर्ण और नई पीढ़ी के लिए भी काफी ज्ञानवर्द्धक साबित हुए। यह जीकेसी-संगोष्ठी कोई दो घंटे तक चली जहां 900 से अधिक लाइव श्रोताओं ने इसे सुना सराहा लाभान्वित हुए।
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संगोष्ठी कार्यक्रम का ऑनलाइन संचालन जीकेसी डिजिटल तकनीकी प्रकोष्ठ महासचिव सौरभ श्रीवास्तव ने किया। संगोष्ठी-संचालन कर रही थीं प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना, शिक्षाविद् एवं विदुषी संचालिका श्रीमती श्वेता सुमन। विषय पर अपनी प्रस्तावना पढ़ने से पहले उन्होंने संगोष्ठी के मुख्य अतिथि और अध्यक्ष श्री राजीव रंजन प्रसाद, ग्लोबल अध्यक्ष, जीकेसी से विषय प्रवेश की अनुमति ली और विषय पर उनके सम्भाषण के लिए प्रथमतः उन्हें ही मंच पर आमंत्रित किया।
संगोष्ठी का विधिवत आरंभ कर श्री राजीव रंजन प्रसाद ने आगत सभी प्रबुद्ध वक्ताओं का स्वागत करते हुए अपने सम्भाषण के साथ विषय प्रवेश किया।
अपने संप्रेषण में उन्होंने कहा कि आज एक ऐसे विषय को संगोष्ठी के लिए रखा गया है जिसमें भारतीय स्वाधीनता के दौरान अनाम योद्धओं को भी हमें याद करने का मौका मिला। समाज के विभिन्न विधाओं के क्षेत्रों के लोग चाहे वे कला संस्कृति, अध्यात्म, पत्रकार, साहित्यकार हों, सबने अपना अपना योगदान दिया जो अविस्मरणीय है। निसंदेह हम उनकी चर्चा के बगैर स्वाधीनता संग्राम को ना सही परिपेक्ष्य में जान पाएंगे ना हम ख्यातिप्राप्त और अनाम शहीदों को याद ही कर पाएंगे, और पूरे संग्राम में वैचारिक एकता स्थापित करने उसका प्रवाह करने में कला-संस्कृति से रचनाकारों, नाट्यकर्मियों, वादकों, गायकों का योगदान अतुल्य है, अमूल्य है।
इससे पूर्व श्वेता सुमन ने अपनी विषय प्रवेश प्रस्तावना में कहा कि विश्व की सबसे प्राचीन इतिहास में संस्कृति का पर्याय है भारत। भारत की संस्कृति उदयीमान सूर्य के समान वसुधैव कुटुम्बकम का अनुकरण करती हुई अनेकता में एकता की विशिष्टता को मूर्तरूप से जीती है। देश की आजादी तक के काल चक्र में भारत की कला संस्कृति का विशेष योगदान रहा है। प्रस्तावना में संस्कृति संरक्षण का संदेश देती हुई स्वरचित पंक्तियां को श्वेता सुमन ने कुछ यूं उकेरा-
इसके बाद Global Kayastha Conference (GKC) कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री प्रेम कुमार को मंच पर आमंत्रित किया गया जहां उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि से लेकर परिणति तक की चर्चा करते हुए कहा कि समाज को कला-विधाएं ही प्रेरित करती आ रही हैं।
इसके पश्चात् अनेक सम्मानप्राप्त शिक्षिका, प्रस्तोता व साहित्यकार गीता कुमारी ने विषय पर अपने सम्पेषण पाठ में स्वाधीनता संगाम में योगदान देनेवाले अनेक कला साधको की चर्चा की जिसमें कायस्त मूल के राजाओं से लेकर साहित्यकारो, समाजसुधारकों संतो व कलाकारों के नाम विशेष तौर पर उद्धरित किये। फिर कस्तूरी सिन्हा, जानीमानी कवियत्री, रंगकर्मी एवं प्रस्तोता ने अपनी व अन्य साहित्य विभूतियों की रचनाओं को पाठ करते हुए कहा कि कैसे आजादी की अलख जगाने में नाट्यकर्मी और रचनाकार समग्र उत्थान के लिए काम करते थे।
नारी शिक्षा में तब की महिलाओं का भी काफी योगदान रहा जो स्वाधीनता संग्राम में वैचारिक परिपक्वता का बड़ा कारण बना। उदाहरणस्वरूप बताया कि कैसे उनकी नानी ने सामाजिक और पारिवारिक विद्रोह का सामना करते हुए भी उस जमाने में भी शिक्ष ग्रहण की और चंपारण की प्रथम महिला शिक्षिका नियुक्त हुईं। सारतः उन्होने महिला सशस्त्रीकरण व स्वतंत्रता संग्राम में दूसरी आबादी की महत्ता पर जोर दिया।वहीं सिंगरोली से शिक्षाविद्, साहित्यकार व शास्त्रीय नृत्यकला में निपुण पेशे से शिक्षिका श्रीमति वैशाली तरूण ने कहा कि साझा प्रयास ही स्वाधीनता का मुख्य कारण बना जिसमें कलाकारों, चिंतकों, साहित्यकारों से लेकर साधू व संतों का भी योगदान है।
सभी वक्ताओं के संबोधनों से उक्तियां उद्धरित करते हुए सबको व्यक्तिगत तौर पर धन्यवाद दिया। मुख्य अतिथि और जीकेसी के सरसंचालक श्री राजीव रंजन जी का मंच देने के लिए धन्यवाद किया, संचालिका को सराहते हुए उपस्थित सभी ऑनलाइन दर्शकों-श्रोताओ का धन्यवाद किया।