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जुलाई से INDIA करेगा रूस की स्पूतनिक-वी का उत्पादन

नई दिल्ली/ एजेंसी। पूरे दुनिया और INDIA कोरोना के दूसरी लहर को झेल रहा है , INDIA में हर रोज हज़ारों टीके लगाए जा रहे है , देश में निर्मित दो टीके अभी लगाए जा रहे हैं, जबकि आयातित स्पूतनिक वी टीके को भी जल्द कार्यक्रम में शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने टीकाकरण के लिए मिशन कोविड सुरक्षा शुरू किया है, जिसकी जिम्मेदारी जैव प्रौद्यौगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेनु स्वरूप को दी गई है। कोवैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के क्षमतावान टीका निर्माताओं की पहचान की गई है। अब भारत बायोटैक की तकनीक इन निर्माताओं को हस्तांतरित करने को लेकर बातचीत की प्रक्रिया चल रही है। जल्दी ही योग्य निर्माताओं को तकनीक दी जाएगी।

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टीका देश में पहुंचना शुरू हो चुका है। एक खेप आ चुकी है। जल्द ही इसे भी टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर लगाना शुरू किया जाएगा। इस महीने के अंत तक 30 लाख और स्पूतनिक टीके की खुराक भारत पहुंचेंगी। साथ ही देश में इस टीके का उत्पादन शुरू करने के लिए रेड्डी लेबोरेटरी के अलावा पांच अन्य कंपनियों के साथ बातचीत चल रही है। इनमें हेटेरो बॉयोफॉर्मा, विरचोव बॉयोटैक, स्टेलिस बॉयोफॉर्मा, ग्लैंड बॉयोफॉर्मा तथा पैनाशिया बॉयोटैक शामिल हैं। हमारी कोशिश है कि जुलाई से देश में निर्मित स्पूतनिक वी वैक्सीन मिलनी शुरू हो जाएगी।

तीन टीकों को आपात स्थिति की मंजूरी मिल चुकी है। पांच टीके क्लीनिकल ट्रायल के विभिन्न स्टेज में हैं। इनमें से जायडस कैडिला की डीएनए वैक्सीन और बॉयोलॉजिकल ई की रिकांबिनेंट वैक्सीन तीसरे चरण के परीक्षण से गुजर रही है। जिनोवा बॉयोफॉर्मास्युटिक्लस की एमआरएनए वैक्सीन तथा भारत बायोटैक की नेजल वैक्सीन पहले चरण के क्लीनिकल ट्रायल में हैं। इसके अलावा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने नोवावैक्स द्वारा विकसित रिकांबिनेंट नेनोपार्टिकल वैक्सीन के तीसरे चरण के ब्रीजिंग क्लीनिकल ट्रायल आरंभ कर दिए हैं।

जो नए वैरिएंट सक्रिए पाए गए हैं, उनकी नियमित रूप से जीनोम सिक्वेंसिंग की जा रही है। इंडियन सार्स कोव-2 जीनोमिक कंसोर्टियम के तहत डीबीटी-आईएलएस, डीबीटी-आरसीबी, सीएसआईआर-सीसीएमबी प्रयोगशालाओं द्वारा यह कार्य किया जा रहा है। नए वैरिएंट पर टीके के असर को लेकर भी अध्ययन किए गए हैं तथा आरंभिक नतीजे बताते हैं कि दोनों टीके नए वैरिएंट के खिलाफ कारगर हैं। इस दिशा में अभी विस्तृत अध्ययन जारी हैं, जिससे यह पता चलेगा कि नए वैरिएंट के खिलाफ उनकी प्रभावकारिता कितनी है।

बच्चों का प्रतिरोधक तंत्र अलग तरीके से कार्य करता है तथा वयस्कों की तुलना में यह मजबूती के साथ प्रतिक्रिया देता है। इसलिए बच्चों के लिए टीके की खुराक का आकार अलग होता है। वैश्विक स्तर पर फाइजर और मॉर्डना ने अपने टीकों के 12-18 वर्ष और छह महीने से 11 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए परीक्षण आरंभ कर दिए हैं। इस सिलसिले में देश में भारत बॉयोटेक को कोवैक्सीन के बच्चों में क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति प्रदान कर दी है। यह परीक्षण 2-18 साल की आयु के बच्चों पर किए जाएंगे।

Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.