नई दिल्ली, संवाददाता। संजय जायसवाल ने कहा मोदी जी के नेतृत्व में कोरोना से जंग जीती है भारत ने । सिंगापुर में आयोजित ग्लोबल हेल्थ सिक्यूरिटी कांफ्रेंस-2022 में भारत की ओर से इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन (आईपीयू) के सदस्य और भारतीय जनता पार्टी, बिहार के प्रदेश अध्यक्ष सह पश्चिम चंपारण सांसद डॉक्टर संजय जायसवाल बतौर प्रतिनिधि शामिल हुए। सम्मेलन में उन्होंने भारतीय संसद की स्वास्थ्य सुविधाओं की बढ़ोतरी में सक्रिय भूमिका और सकारात्मक बदलावों को वैश्विक पटल पर रखा।
उन्होंने अपने वक्तव्य में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा और इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर के देश में आमूलचूल परिवर्तन का उल्लेख किया।नजीजतन भारत ने कोरोना से जंग जीती है। जायसवाल ने कांफ्रेंस में पीएम नरेंद्र मोदी की स्वास्थ्य को लेकर पहल से देश के सभी नागरिक सकारात्मक तौर पर प्रभावित होने की बात कही।
आगे उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य को लेकर बात करें तो सबसे बड़ी उपलब्धि कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजबूती से लड़ना माना जा सकता है। कोविड काल में मोदी सरकार द्वारा भारत और विश्व के विभिन्न जरूरतमंद देशों को पीपीई कीट से लेकर टीकाकरण मुहैय्या कराना कुशल प्रबंधन का ही प्रमाण है। पीएम नरेंद्र मोदी ने विभिन्न पक्षों को साथ में रख कर इस महामारी की कमान संभाली। सबसे पहले पीएम ने टास्क फोर्स का गठन किया। पूरे मामले को पीएम खुद मॉनिटर करने लगे। पीएम की देखरेख में देश के कई शहरों में अस्थायी हॉस्पिटल बनाये जाने लगे। कोरोना महामारी में इस्तेमाल होने वाली मेडिसिन के लिए युद्ध स्तर पर तैयारियां शुरू की गईं। पीएम की देखरेख में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दवाइयों को लेकर मॉनिटरिंग की। उस वक़्त न तो देश मे पीपीई किट थी और न पर्याप्त मात्रा में वेंटिलेटर थे। कोरोना वायरस के सामने आने से पहले भारत में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट या पीपीई किट नहीं बनते थे।
पश्चिम चंपारण के सांसद ने वैश्विक मंच पर जुटे प्रतिनिधिगण को बताया, कि महामारी की शुरुआत के कुछ दिनों के बाद ही भारत ने रोजाना 200000 से अधिक पीपीई किट बनाने शुरू कर दिए। अगर बात जनवरी 2020 की करें तो इस समय तक देश में सिर्फ 2,75,000 किट ही उपलब्ध थे और यह सभी आयातित थे। उसके बाद स्थितियां अचानक बदलीं। कोरोना महामारी आने के सिर्फ 60 दिनों के अंदर ही भारत ने जिस तरीके से पीपीई किट बनाने में महारत हासिल की। इसके साथ ही साथ देश में 50,000 से अधिक वेंटिलेटर की व्यवस्था पीएम नरेंद्र मोदी ने सुनिश्चित करवाई। पीएम नरेंद्र मोदी मेडिकल फैसिलिटी को मजबूत करने के साथ साथ इस महामारी की वैक्सीन जल्द से जल्द देश में आ जाए, इसकी कवायद जोरों पर थी। इसके तहत भारत बायोटेक और सीरम जैसे कई कंपनियों को भी वैक्सीन के लिए लगातार प्रोत्साहित करते रहे।
डॉक्टर जायसवाल ने संबोधित करते हुए कहा, महामारी कोरोना नामक अदृश्य विषाणु से दुनिया की बड़ी-बड़ी आर्थिक महाशक्तियां स्वयं को असहाय महसूस कर रही थीं। ऐसे वक्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ओर जहां तत्परता से पूर्णबंदी की, वहीं देश के हर वर्ग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर कई कदम उठाए। कोरोना जनित परिस्थितियों में जब केंद्र सरकार के पास राजस्व के विकल्प कम थे, ऐसे समय में भी सरकार द्वारा गरीब कल्याण योजना के जरिए गरीब परिवारों को नि:शुल्क राशन एवं मुफ्त एलपीजी सिलेंडर प्रदान किए गए। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए विभिन्न चरणों में 20 लाख करोड़ से अधिक के आर्थिक पैकज लागू किए गए। इससे कोरोना को हमने पराजित करने में सफलता अर्जित की।
उन्होंने विश्व समुदाय का ध्यान आकृष्ट करते हुए जिक्र किया, प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना से जंग जीतने के लिए संकट की घड़ी में जिस प्रकार अभाव ग्रस्त देशों को वैक्सीन से लेकर दवाएं व पीपीई किट उपलब्ध कराया, वह वसुधैव कुटुम्बकम की हमारी शाश्वत संस्कृति की अभिव्यक्ति है। मोदी सरकार ने वैज्ञानिक, कोरोना वॉरियर्स और समाज के हर तबके को प्रेरित करने का कार्य किया है। रिकॉर्ड समय में पीपीई किट से लेकर वेंटिलेटर और वैक्सीन का स्वदेशी उत्पादन आज हर भारतीय को गौरवान्वित करता है।”
भारत से बतौर आईपीयू सदस्य जायसवाल ने बताया कि आगे बढ़-चढ़कर भारत ने वैक्सीन मैत्री से सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, मोरक्को, बांग्लादेश और म्यांमार सहित कई देशों को कोविड-19 वैक्सीन की आपूर्ति भी की। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत के योगदान पर ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो अभिभूत नजर आए थे। उन्होंने हनुमान जी की फोटो की ट्वीट कर भारत को धन्यवाद दिया।
आपको बता दें कि डॉक्टर संजय जायसवाल भारत संसद की तरफ से बतौर आईपीयू सदस्य सिंगापुर में ग्लोबल हेल्थ सिक्युरिटी कांफ्रेंस 2022 में भाग लेने गए हैं। ज्ञातव्य हो कि आईपीयू सबसे पुराने और सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय संसदीय संस्थाओं में से एक है, जिसके 179 से अधिक सदस्य हैं। आईपीयू दुनिया भर में लोकतंत्र को बढ़ावा देने से जुड़े और अंतरराष्ट्रीय महत्त्व के मुद्दों को उठाता रहा है।