पटना,संवाददाता। SPAC के माध्यम से बच्चों पर अधिक निवेश की ज़रूरत। बिहार की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान नोएला स्किनर, क्षेत्रीय निदेशक, यूनिसेफ दक्षिण एशिया क्षेत्रीय कार्यालय और सिंथिया मैककैफ्री, प्रतिनिधि, यूनिसेफ इंडिया कंट्री ऑफिस ने बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी से मुलाकात की। उन्होंने बाल अधिकारों के एजेंडे को आगे बढ़ाने हेतु राज्य सरकार की प्रगतिशील योजनाओं की सराहना की और मुख्य सचिव को यूनिसेफ के वर्तमान कंट्री प्रोग्राम के बारे में अवगत करवाया, जो लिंग परिवर्तनकारी दृष्टिकोण और समानता पर ध्यान देते हुए बच्चों और किशोर-किशोरियों के समग्र विकास को प्राथमिकता देता है। बैठक के दौरान यूनिसेफ बिहार की प्रमुख नफीसा बिंते शफीक भी मौजूद थीं।
मुख्य सचिव ने सरकार और यूनिसेफ के बीच समन्वय की सराहना करते हुए कहा कि राज्य सरकार बच्चों के अधिकारों को साकार करने के लिए स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, सुरक्षा एवं लैंगिक समानता के क्षेत्रों में सभी ज़रूरी कदम उठा रही है। उन्होंने SPAC (स्टेट प्लान ऑफ एक्शन फॉर चिल्ड्रन) सचिवालय की स्थापना समेत दो आकांक्षी जिलों – अररिया और पूर्णिया के लिए डिस्ट्रिक्ट प्लान ऑफ एक्शन फॉर चिल्ड्रन (DPAC) निर्माण प्रक्रिया में यूनिसेफ के सहयोग की इच्छा व्यक्त की। SPAC सचिवालय की स्थापना से कार्यक्रम के संचालन और निषअपादन में सुविधा होगी। उन्होंने राज्य में बाल हितैषी पंचायतों के निर्माण की भी बात कही। साथ ही, उन्होंने बताया कि यूनिसेफ के सहयोग से चल रही उड़ान परियोजना एवं सी-सैम (समुदाय आधारित गंभीर कुपोषण का प्रबंधन) का राज्य में विस्तार किया गया है।
मुख्य सचिव ने बाल संबंधी प्रमुख संकेतकों की निगरानी हेतु एक डैशबोर्ड बनाने और उन पर संबंधित अधिकारियों की क्षमता निर्माण के लिए में यूनिसेफ से सहयोग करने को कहा। उन्होंने आगे कहा कि यूनिसेफ द्वारा दूसरे राज्यों के साथ-साथ अन्य देशों से सर्वोत्तम प्रथाओं को सरकार से साझा करने पर उन्हें बिहार में भी अपनाया जा सकता है।
24 वर्षों के बाद बिहार की दूसरी यात्रा पर आईं नोएला स्किनर ने कहा कि इन दो दशकों में राज्य ने हर क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों को सुनिश्चित करने के मामले में बिहार स्पष्ट रूप से अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल प्रस्तुत कर रहा है। हालांकि, बचपन और किशोरावस्था के वर्षों में और अधिक निवेश करने की ज़रूरत है। साथ ही, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि राज्य द्वारा की गई सराहनीय प्रगति को मापने और बदलाव की अनगिनत कहानियों के संग्रहण के लिए एक मजबूत डेटा प्रणाली का होना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने गया के जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन के नेतृत्व में किए जा रहे अभिनव पहलों के बारे में भी बताया। इस संदर्भ में उन्होंने विशेष रूप से श्रवण श्रुति पहल द्वारा वंचित समुदाय के बच्चों में श्रवण हानि की समस्याओं के तेज़ी से समाधान का उल्लेख किया। साथ ही, उन्होंने वंडर ऐप जो गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को ट्रैक करता है और उन्हें आरोग्य दिवस व संबंधी सुविधाओं से जोड़ता है की भी खूब सराहना की। उन्होंने आगे कहा कि इन्हें पूरे राज्य में लागू किया जा सकता है। उन्होंने ‘स्टेट प्लान ऑफ एक्शन फॉर चिल्ड्रन’ के तहत बच्चों पर अधिक निवेश की आवश्यकता को रेखांकित किया।
यूनिसेफ टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए सिंथिया मैककैफ्री ने राज्य सरकार के प्रभावशाली कार्यों और यूनिसेफ के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि यूनिसेफ इंडिया राज्य में बच्चों के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए सदैव तत्पर है।
अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान नोएला स्किनर और सिंथिया मैककैफ्री ने यूनिसेफ के सहयोग से चल रही गतिविधियों का निरीक्षण करने के लिए गया जिले के शेरघाटी, फतेहपुर और टेकारी ब्लॉकों का दौरा किया।
उन्होंने जिले में प्रथम और एक्शन एड की साझेदारी में चलाए जा रहे उड़ान किशोर अधिकारिता कार्यक्रम के तहत शिक्षा और बाल संरक्षण संबंधी हस्तक्षेपों को समझने के लिए किशोर समूहों के सदस्यों के साथ बातचीत की।
योगपुर मध्य विद्यालय, शेरघाटी में बातचीत के दौरान किशोरियों ने बताया कि अब लड़कियां न केवल अपनी शिक्षा जारी रखने में सक्षम हैं, बल्कि उच्च शिक्षा के प्रति भी उनका आग्रह बढ़ा है और वे विभिन्न जीवन कौशल सीख रही हैं। वे तेजी से बच्चों की आवाज बन रही हैं और समुदाय में अन्य बच्चों और किशोर-किशोरियों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन रही हैं। किशोर समूह के सदस्यों द्वारा माता-पिता को समझाबुझा कर आउट ऑफ़ स्कूल बच्चों का नामांकन करवाने के अलावा उनकी नियमित उपस्थिति भी सुनिश्चित की जा रही है।
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माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर लड़कियों को शिक्षित करने के अलावा, वे आत्मविश्वास और जागरूकता पर भी सत्र ले रही हैं। उनके द्वारा माता-पिता और समुदाय के लोगों को बाल श्रम और बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूक किया जा रहा है। उल्लेखनीय रूप से, लड़कों को भी स्कूलों, परिवार और समुदायों में लिंग परिवर्तनकारी दृष्टिकोण के बारे में संवेदनशील बनाया जा रहा है। परिणामस्वरूप, लड़के संवेदनशील हो रहे हैं तथा घर के कामों में अपनी बहनों का हाथ बटा रहे हैं ताकि लड़कियों को पढ़ने का समय मिल सके।
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यूनिसेफ प्रतिनिधियों ने एसएनसीयू (विशेष नवजात देखभाल इकाई) के कामकाज का निरीक्षण करने के लिए गया जिला अंतर्गत प्रभावती अस्पताल का दौरा किया। इसके बाद उन्होंने जय प्रकाश नारायण अस्पताल के लक्ष्य सर्टिफाइड लेबर रूम का भी दौरा किया। नर्सों ने यूनिसेफ टीम को बताया कि कैसे लक्ष्य प्रमाणीकरण ने उन्हें अपने नियमित कार्यों को अधिक व्यवस्थित तरीके से निष्पादित करने में सक्षम बनाया है।
दौरे पर आए यूनिसेफ प्रतिनिधियों के साथ यूनिसेफ बिहार राज्य प्रमुख नफीसा बिंते शफीक समेत यूनिसेफ बिहार के स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉ. सिद्धार्थ रेड्डी, बाल संरक्षण विशेषज्ञ, बंकू बिहारी सरकार, शिक्षा विशेषज्ञ, पुष्पा जोशी एवं पोषण विशेषज्ञ, रबी नारायण पाढी मौजूद थे।