उदयपुर, मुकेश महान। भव्यता के साथ शुरु हुआ ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस जीकेसी का राष्ट्रीय अधिवेशन भव्यता के साथ ही संपन्न हो गया। भव्यता कार्यक्रम स्थल के बाहर से ही आते जाते स्थानीय लोगों को भी झलक रही थी।
कार्यक्रम के शुरुआत में ही जीकेसी का अपना झंडा फहराया जाना भी वहां उपस्थित लोगों को सुखद अनुभूति दे गया। कार्यक्रम स्थल अटल बिहारी बाजपेई सभागार का गेट तो आकर्षक तरीके से सजा हुआ था ही, अंदर प्रवेश करते ही लोगों में खुशी की लहर दौर जाती थी। सामने साफ और सुंदर कारपेट पर अपना पग भरते हुए दोनों तरफ लगे बड़े बड़े कटआउट्स देखकर श्रद्धा से स्वतः ही लोगों के सिर झुक जाते थे।
श्रद्धांजलि के साथ जब उनकी नजरें कटआउट्स पर जाती तो लगता अरे ये भी हमारे ही पूर्वज थे। दरअसल कई ऐसे कायस्थ विभूतियों के कटआउट्स लगाए गए थे, जिन्हें पूरा देश भूला चुका है। तो कई को “ लिखित इतिहास ” से भी मिटा दिया गया है। ऐसे कटआउट्स के जरीय अपनी ही जाति की विभूतियों के दर्शन कर और उनके बारे में जानकर देशभर से यहां पहुंचे जीकेसियनों की आंखें नम हो गईं।
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इसके अतिरिक्त जीकेसी के सात मूलाधार को भी सुंदर चित्रों के माध्यम से समझाने का प्रयास किया गया था। सजा हुआ मंच और प्रेक्षागृह के साथ उदयपुर और राजस्थान जीकेसी की इकाई का आत्मीय आतिथ्य लोगों को अभिभूत कर गया। खाने-पीने रहने-सहने और पिकअप और ड्रॉप की उत्तम सुविधाओं ने भी लोगों का दिल जीत लिया।
कार्यक्रम का समापन भी भव्य तरीके से शहर में जीकेसियनों द्वारा निकाली गई शोभायात्रा के साथ हुई। यह शोभायात्रा शहर में लगभग 15 किमी तक लिए निकाली गई थी। इसकी भव्यता का आलम यह था कि इसमें दर्जनों चार पहिया वाहन, 70 के करीब तीन पहिया वाहन और सौ के करीब दो पहिया वाहन कतार में चल रहे थे।
शोभायात्र में चल रहे किसी पर जीकेसी का झंडा था तो किसी पर जीकेसी का बैनर। तिपहिया पर तो कायस्थ विभूतियों के कटआउट्स थे। शोभायात्रा के समापन स्थल पर उदयपुर इकाई द्वारा वाहन की सुविधा उपलब्ध करा दी गई थी जिससे बाहर जाने वाले लोग अपनी ट्रेन और प्लेन तक समय से पहुंच सकें।
अधिवेशन में भाग लेकर लौट रही बिहार प्रदेश जीकेसी की पूर्व अध्यक्ष सह वर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. नम्रता आनंद ने ट्रेन से फोन पर बताया कि सुंदर अति सुंदर आयोजन था यह। ढेर सारे अनुभवों को बटोरकर लौट रही हूं मैं। सांगठनिक जिम्मेदारियों और कर्तव्यों दोनों का एहसास करा गया यह कार्यक्रम। नम्रता कहती हैं कि कार्यक्रम कई सत्रों में विभाजित था और हर सत्र वहां पहुंचे तमाम जीकेसियनों के लिए उपयोगी था।
राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेकर लौटे गुजरात जीकेसी के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार प्राश ने कहते हैं कि यह ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेस का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन था, लेकिन व्यवस्थाएं और सुविधाएं उत्तम थी। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम सब को पता चला कि हमारे समाज में कितनी सारी प्रतिभाएं हैं। चाहे साहित्य हो या संगीत, नृत्य हो या अन्य प्रतिभा, सभी को इस मंच पर अपना दम खम दिखाने का मौका मिला।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, कला संस्कृति प्रकोष्ठ अनिल कुमार दास ने इस राष्ट्रीय अधिवेशन के बहाने द्वारिका घुमने का अपना कार्यक्रम बनाया। इसी क्रम में अहमदाबाद पहुंचे श्री दास ने बताते हैं कि ऐसे कार्यक्रम की जरूरत थी। इससे हम सब को बहुत कुछ सीखने को मिलता है। अधिवेशन की डिजायनिंग और प्रस्तुतीकरण काबिले तारीफ थी। इस अधिवेशन में कई ऐसे विषयों पर चर्चाएं हुई जो जरूरी थी।
भाग लेकर लौट रहे प्रसुन्न ने कहा कि उदयपुर में आयोजित यह राष्ट्रीय अधिवेशन हमसब के लिए यादगार इवेंट्स बन गया। एक पंक्ति में कहा जाए तो यह कहा जा सकता है कि यहां सब कुछ बेहतर से भी बेहतर था।