नयी दिल्ली,(दिल्ली से लौटकर मुकेश महान)। दिल्ली के तालकटोरा स्टैडियम में आयोजित विश्व कायस्थ महाकुंभ कई मामलों में कायस्थों के लिए यादगार बन गया। इस क्रम जीकेसी के इस आयोजन में कायस्थ दिग्गजों की उपस्थिति और कायस्थ कलाकारों की प्रस्तुति कायस्थों के के लिए भुलाये नहीं भूल सकती। शत्रुघ्न सिन्हा, शेखर सुमन, अंजन श्रीवास्तव अध्य्यन सुमन, नलीनी-कमलिनी, प्रिया मल्लिक, मृणालिनी अखौरी ,श्रुति सिन्हा, हैप्पी श्रीवास्तव, निशा परासर, नवीन श्रीवास्तव, रूचिता सिन्हा सरीखे कई दिग्गज और स्थापित कलाकार ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस के इस विशेष मंच की शोभा बढ़ा रहे थे।
सांसकृतिक सत्र की शुरुआत तो बच्चों की गणेश वंदना से हुई। और इसे आगे बढ़ाया पवन सक्सेना लिखित और स्वरवद्ध चित्रगुप्त नारद संवाद की प्रस्तुति ने।इसके बाद तो मंच का माहौल तब बदल गया गया जब शेखर सुमन ने माइक अपने हाथों में लिय़ा। कई हिन्दी गानों के साथ उन्होंने एक भोजपुरी गाना भी गाया।श्रोताओं के बीच से वन्स मोर- वन्स मोर की फरमाइश आती रही और शेखर सुमन गाते रहे। शेखर सुमन के जाते ही उनके ही सुपुत्र अध्यन सुमन ने मंच संभाला और प्रेक्षागृह में बैठे लोगों का भरपूर मनोरंजन किया।
सुमन पिता-पुत्र के माइक छोड़ते ही जीकेसी की गायिका प्रिया मल्लिक गाना शुरु किया तो वो भी लंबा चला। इसबीच श्रुति सिन्हा का कथक नृत्य भी दर्शकों को देखने को मिला। लेकिन वाह-वाह से आह आह का सिलसिला ज्यादा देर तक चल नहीं सका। मृणालनी अखौरी अपनी एक गजल के बाद ही श्रोताओं के मिजाज को भांप कर ‘दम मारो दम’ जैसे गानों पर उतर आईं। जिसका दर्शकों ने आनंद भी उठाया। हालांकि इस बीच नलीनी-कमलिनी बहनों की शिष्याओं ने तराना के साथ एक नृत्य भी प्रस्तुत किया लेकिन मंचपर कला की यह शाश्त्रीयता भी ज्यादा देर नहीं टीकी। और जब मुंबई के नवीन श्रीवास्तव ने माइक संभाला तो दर्शक फिर से वाह वाह के मोड में आ गये। इस क्रम को रूचिता सिन्हा का भी साथ मिला।
कायस्थ महाकुंभ के इस अवसर पर गायन प्रस्तुति को लागातार विस्तार देने के लिए बिहार की निशा पाराशर, हैप्पी श्रीवास्तव, हनी प्रिया और राजस्थान की रचना सक्सेना की टीम ने एक से बढ़कर एक मनोरंजक प्रस्तुति दी। निशा पाराशर, हैप्पी श्रीवास्तव ने दर्शकों का स्वाद बदला और लोकगीत प्रस्तुत किया। दिव्यांग गायक दिव्यांश की अर्जित की आवाज में दी गई प्रस्तुति और गाजियाबाद की निहारिका स्वरचित गायकी को भी लोगों ने काफी सरहा।
बाल कलाकारों ने दिखाई अपनाी प्रतिभा
इस बीच कायस्थ महाकुंभ के इस अवसर पर निशिका रंजन के कुशल नेतृत्व में देश रंगीला की प्रस्तुति भी सराहनीय रही। साथ ही जीकेसी बिहार प्रदेश अध्यक्ष डा: नम्रता आनंद के नेतृत्व में बच्चों बिहार के बच्चों की प्रस्तुति भी कमाल की रही। लगभग आधे घंटे तक की इस प्रस्तुति में बाल कलाकारों ने छठ, झिझिया, सामाचकेवा, कजरी, होली और जट जटिन जैसे बिहार के लोक पर्व और लोक संस्कारों को प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति में मंच की शालीनता तो दिखी कला की बारिकियां और वैविधता भी दिखी। साथ ही बिहारी मिट्टी की महक और बिहारी पर्व की पवित्रता का एहसास भी भी स्टैडियम में बैठे लोगों को हुआ। छठ के अर्घ्य के दृश्य में तो कुछ लोग अपनी जगह से खड़े होकर प्रणाम करते देखे गए। पल भर के लिए तो लोगों को ऐसा लगा कि वह बिहार में हैं। बिहार की इस प्रस्तुति में मधु, रूबी कुमारी,रीतिका कुमारी,खुशी कुमारी,सालोनी कुमारी,प्रिया कुमारी,सोनल कुमारी, प्रीति कुमारी, प्रियंका कुमारी, वैश्णवी कुमारी प्राचि कुमारी,सौरभ कुमार,अमित कुमार,विट्टू कुमार और पवन कुमार ने अपनी कला प्रतिभा को प्रस्थापित किया है।
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लगभग 8 घंटे तक चले इस कार्यक्रम में कई कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी और कई कलाकारों को समय अभाव के कारण मैका नहीं मिल पाया। लेकिन दर्शकों की भीड़ वहां लगातार मौजूद रही। यही कार्यक्रम की सफलता भी थी कि न दर्शक हटे, न कलाकार थके।