-प्रदीप कुमार को मिला आर्म्ड डी सूजा साहित्यिक यायावर सम्मान । -अरविन्द अकेला को राष्ट्रीय हिन्दी गौरव सम्मान ।
पटना, संवाददाता। पिछले दिनों बिहार के दो हिन्दी साहित्यकारों प्रदीप कुमार और अरविंद अकेला को अलगअलग मचों पर सम्मानित कियी गया। हिंदी दिवस के अवसर पर पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलांग द्वारा लेखक मिलन शिविर का 18वां संस्करण गोवा में किया गया। इस अवसर पर देश भर के 43 साहित्यकारों को हिंदी भाषा में योगदान के लिए सम्मानित किया गया। समारोह में अहमदाबाद से आए श्री प्रदीप कुमार को आर्म्ड डी सूजा साहित्यिक यायावर सम्मान दिया गया।
पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी एवं डॉ. अकेलाभाई प्रोग्रेसिव फाउंडेशन के संचालक श्री अकेलाभाई ने कहा कि आज हिंदी अखिल भारतीय काम काजी भाषा के साथ–साथ वैश्विक भाषा बन गई है।
समारोह के अध्यक्ष शांति कुमार स्याल, पूर्ण संपादक, राज भाषा शांति गृह मंत्रालय ने कहा की पिछले कुछ वर्षो में जिस तरह से हिंदी भाषा को रोजगार के साथ जोड़ा गया है वो उम्मीद जगाने वाला है। ऑस्ट्रेलिया से पधारीं मुख्य अतिथि डॉ. रेखा द्विवेदी, वरिष्ट साहित्यकार एवं प्रवासी भारतीय ने विश्व स्तर पर हिंदी के बढ़ते दायरे पर हर्ष जताया।
इस 3 दिवसीय शिविर का आयोजन हिंदी भाषा की समृद्धि और साहित्यिक योगदान को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से किया गया। समापन समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए जिसमे नृत्य और संगीत तथा एक लघु नाट्य का मंचन किया गया।
हिन्दी प्रचार प्रसार के लिए कवि अरविन्द अकेला को सम्मान
अरविन्द अकेला। हिन्दी दिवस के शुभ अवसर पर राजस्थान की लोकप्रिय सामाजिक संस्था सत्य इंदिरा फाउंडेशन द्वारा वरीय कवि,लेखक,कथाकार एवं समाजसेवक अरविन्द अकेला को राष्ट्रीय गौरव हिन्दी गौरव सम्मान से सम्मानित से सम्मानित किया गया।
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जाने माने वरीय कवि, लेखक, कथाकार एवं स्वतंत्र पत्रकार अरविन्द अकेला पिछले अड़तीस वर्षों से हिन्दी में साहित्य लेखन कर रहे हैं एवं एवं हिन्दी का प्रचार प्रसार कर हिन्दी की सेवा कर रहे हैं जो आज के समय में बड़ी बात है।
अकेला ने हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिए छात्र जीवन में अंग्रेजी आनर्स की पढ़ाई छोड़ दी थी जो उनका हिन्दी के प्रति प्रेम का परिचायक है।ज्ञात हो कि श्री अकेला को अब तक दर्जनों सम्मान एवं पुरस्कार मिल चुके हैं ।
खास बात है कि दोनों प्रदीप कुमार और अरविंद अकेला दोनों हिन्दी के साहित्यकार हैं।
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