गो ग्रीन ग्लोबल प्रोजेक्ट पर बोलीं रागिनी रंजन। ग्लोवल कायस्थ कांफ्रेस की एक महथी योजना है “गो ग्रीन” प्रोजेक्ट। गो ग्रीन प्रोजेक्ट पर जीकेसी की प्रबंध न्यासी और गो ग्रीन प्रोजेक्ट की ब्रांड अम्बेडस्डर रागिनी रंजन से xposenow.com के लिए मुकेश महान ने लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है यहां उस बातचीत के महत्वपूर्ण अंश-
क्या है गो ग्रीन प्रोजेक्ट ?
– गो ग्रीन प्रोजेक्ट दुनिया को हरा भरा करने का, रखने का एक बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है। मैं रिपिट कर रही हूं कि दुनिया को, जी हां, पूरी दुनिया को हरा भरा और आक्सीजनयुक्त बनाए रखने वाला यह प्रोजेक्ट है।
मतलब ?
– मतलब साफ है कि इस प्रोजेक्ट को विस्तार दे कर या यूं कहें कि अपना कर हम अपने आस-पास की धरती को तो हरा-भरा कर ही सकते हैं। धरती के अलावे भी जहां जमीन नहीं हो, पौधा रोपने की जगह न हो, वहां भी हम हरा-भरा कर सकते हैं, रख सकते हैं। घर के ड्राइंग रूम को, बेड रूम को, किचेन को, बालकनी और खिड़की तक को हम हरा भरा रख सकते हैं।
मतलब घर को ही खेत का लुक दे देना है ?
– नहीं,एकदम नहीं, यह एक अलग तरह का कांसेप्ट है। घर खेत नहीं, बल्कि डिजायनर लुक में हरा भरा दिखेगा। दरअसल हर घर में आज एसी,फ्रिज और कुलर जैसी चीजें इस्तेमाल हो रही हैं, जिससे भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड जैसी नुकसानदायक गैस उत्सर्जित होती हैं, और हमें इसकी कोई चिंता नहीं होती, जबकि इस नुकसानदायक गैस के उत्सर्जन को संतुलित करने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है। लेकिन दुर्भागय से हम ऐसा सोच भी नहीं पाते, ऐसी जिम्मेदारी को लेकर हम कोई माइंडसेट नहीं बना पाते। जबकि थोड़ा जागरुक हो कर और थोड़ी जिम्मेदारी समझकर हम अपने घर में उत्सर्जित हो रहे कार्बन डाईऑक्साइ गैस को बड़ी आसानी से संतुलित कर सकते हैं। बस इसके लिए अपनी सोच बदलकर पहल करने की जरूरत है।
लेकिन एक आम आदमी कैसे कर सकता है यह सब ?
– हां ये सवाल तो बनता ही है। लेकिन इसका बहुत ही आसान सा जवाब है, कि इसको लेकर सिर्फ चाहत जगने की जरूरत है। अगर चाहत हो गई तो सबकुछ हो सकता है इसके लिए घर में ही दो-चार तुलसी, एक-दो नीम और एक–दो पीपल के पेड़ लगाने हैं।अगर आपके घर या आसपास जमीन नहीं है तो भी आप घर में गमले में बोनसाई के तौर पर इसे लगा सकते हैं। इतने ही पेड़ लगा देने से आपके घर में आक्सीजन की कमी महसूस नहीं होगी। आपके घर में एसी,कुलर,फ्रिज जैसी चीजों से निकलने वाले गैस खुद ब खुद ऑक्सीजन में बदलते रहेंगे। अगर आप डिजाइन कर प्लांट लगाते हैं तो आपका घर सुंदर भी दिखेगा,स्वच्छ हवा भी मिलेगी और अनावश्यक और अतिरिक्त गर्मी से भी आपका घर बचा रहेगा।
इसमें गो ग्रीन प्रोजेक्ट की क्या भूमिका होगी ?
–हां, इसमें गो ग्रीन की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। सबसे पहले तो लोगों को जागरूक करना है पर्यवरण संतुलन को लेकर, उनका माइंडसेट तैयार करना है कि वो बेहद कम पैसे में कम से कम संसाधन में, और जमीन की अनुपलब्धता के बावजूद अपने घर के कार्बन डाईऑक्साइड गैस को संतुलित कर सकते हैं। अपने घरों में ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ा सकते हैं।
…और इसके लिए गो ग्रीन प्रोजेक्ट लोगों को जागरुक करेगा,उन्हें प्रशिक्षित करेगा ताकि वे किचेन वेस्ट से ही कंपोस्ट खाद बना सकें और अपने घर के डिजाइन के हिसाब से प्लांटेशन को प्लान कर सकें।
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अबतक कितना काम हो चुका है इस गो ग्रीन प्रोजेक्ट पर ?
–सच कहें तो यह प्रोजेक्ट व्यवहारिक तौर पर अभी शैशवावस्था में ही है। लेकिन खुशी की बात ये है कि अपने देश के कई राज्यों के साथ यह दुबई में भी अपनी पहुंच बना चुका है। मतलब गो ग्रीन बहुत ही कम समय में ग्लोवल हो चुका है। ये हमारे लिए खुशी की बात है।
तत्काल आगे की योजना क्या है ?
–फिलहाल तो इतना ही कहूंगी कि हम तबतक हार नहीं मानेंगे, जब तक हर घर की चार दिवारी के अंदर से हरियाली दिखने न लगे। हमें तो बस काम करते जाना है।