PCOD : पीसीओडी जिसे पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर भी कहा जाता है। पिछले कुछ सालों में ये समस्या महिलाओं में तेजी से बढ़ी है। मगर हमारे देश में आज भी कई लड़कियां हैं जिन्हें ये पता ही नहीं है कि वो पीसीओडी की गंभीर समस्या से घिरी हुई हैं । पीसीओडी एक गंभीर हार्मोनल समस्या है जिसके कारण गर्भ धारण करने में परेशानी आती है जिसे हल्के में नहीं लेने के बजाय अपने डॉक्टर की सलाह की ज़रूरत है पीसीओडी की वजह मेटाबॉलिक और प्रजनन संबंधी समस्या आती है। डॉक्टर तन्वी राज के अनुसार पीसीओडी के बारे में कई जानकारी हमें इन्टरनेट पर मिल जाती है पर किसी को भी बिना किसी डॉक्टर के सलाह के किसी तरह की दवाएं नहीं लेनी चाहिए । पीसीओडी को लेकर डॉक्टर तन्वी से अलका कुमारी ने लम्बी बातचीत की । प्रस्तुत है उसके महत्वपूर्ण अंश :
सबसे पहले तो ये पीसीओडी होता क्या है महिलाएं कैसे पहचाने कि वो पीसीओडी से ग्रसित है
आज हर किसी की जीवन शैली बदल चुकी है पहले सिर्फ लेट उम्र में शादी करने के कारण PCOD की समस्या का महिलाओं को सामना करना पड़ता था लेकिन अब 13 से 18 साल के बीच या बाद भी लड़कियां इस दिक्कत से ग्रसित हो रही हैं। ये जरूरी नहीं है कि हर लड़की या महिला में पीसीओडी के लक्षण एक जैसे ही हों। कई बार लड़कियों के चेहरे पर कील मुहासें हो जाते हैं तो किसी को चेहरे पर बाल आने की समस्या हो सकती है या शरीर के अन्य अंगों पर घने बाल उग सकते हैं। इसके बाद मासिक धर्म में अनियमितता होने लगती है पीसीओडी का एक लक्षण ये भी है कि कुछ महिलाओं को समय पर पीरियड्स ना होने जैसे लक्षण नजर आते हैं। इनके पीरियड्स अक्सर समय से पहले या ज्यादातर केसेज में डेट निकलने के बाद ही आते हैं। तो किसी को पीरियड्स के समय बहुत अधिक दर्द होना या बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने की समस्या भी हो सकती है। ये दोनों समस्याएं एक साथ या इनमें से कोई एक भी हो सकती है।
हालांकि एक सप्ताह पहले या एक सप्ताह बाद पीरियड्स आना नॉर्मल होता है, उन महिलाओं में जिनका साइकल हमेशा इसी रिद्म में आता हो। अगर आपके साथ यह समस्या अचानक शुरू हुई है तो आपको डॉक्टर से जरूर बात करनी चाहिए।
कई बार एसा होता है कि महिलाओं की आवाज में भी कुछ बदलाव आने लगते है ।
अब आप हमारे पाठकों को ये बताये कि पीसीओडी होने के कारण क्या है :
महिलाओं में पीसीओडी होने के कारण कोई एक नहीं है पीसीओडी के कारण भिन्न व अनिश्चित हो सकते हैं । इसके वंशानुगत विकार होने के भी कुछ प्रमाण हैं । इसका मतलब है कि आपको पीसीओडी अपने वंश से ही मिला है । इस तरह के साक्ष्यों में रोगों का पारिवारिक संबंध, मोनोजायगोटिक में उच्च संगति है। आनुवांशिक केसेज में देखा गया है कि ये ऑटोसोमल डोमिनेंट बीमारी हो सकती है। पीसीओडी होने का सबसे बड़ा कारण हमारे लाइफ स्टाइल में हो रहे बदलाव है हमारे शरीर के हर हारमोंस के बनने का अपना अलग समय होता है एसे में जब हम देर रात तक जगे होते हैं तो हमारे हारमोंस अपने सही समय पर काम नहीं कर पाते हैं।
इन सब के अलावे पीसीओडी होने के एक सबसे बड़ा कारण है कि आज कल कि महिलाएं शारीरिक मेहनत कम करती है हर काम को आसन बनाए रखने के लिए हमारे पास कोई न कोई माशिन मौजूद है। महिलाओं को पूरे दिन में एक घंटे खुद के लिए निकालना बहुत ज़रूरी है कोई भी एक व्यायाम महिलायों को हर रोज करना चाहिए , फिर चाहे वो योग करे रनिंग करें या डांस करें ।
कई मामलों में सिंगल जिन विकार भी पाया जाता है। एंटी-मुलेरियन हार्मोन (एएमएच) के साथ-एण्ड्रोजन का औसत डिग्री से अधिक होना भविष्य में पीसीओडी के खतरे को बढ़ाता है।
इन सब के साथ खान पान को भी बेहतर बनाना बहुत ही जयादा ज़रूरी है। ज्यादा तेल-मसाले, मैदा से बनी चीज़े खाना भी पीसीओडी को बढ़ावा देने का ही काम करती है।
पीसीओडी की जाँच हो सकती है क्या ?
जी हाँ डॉक्टर कुछ जाँच कर के ये पता लगते है कि महिलाये पीसीओडी से ग्रसित है य कोई और परेशानी तो नहीं हालांकि पीसीओडी के सभी मामलों में पॉलीसिस्टिक ओवरी ( पीसीओ ) हो जरूरी नहीं है और न ही सभी को ओवेरियन सिस्ट होते हैं हालांकि पेल्विक अल्ट्रासाउंड एक महत्वपूर्ण डायग्नोस्टिक उपकरण है, लेकिन एकमात्र नहीं है। चिकित्सा डायग्नोस्टिक में रॉटरडैम मानकों का उपयोग किया जाता है।
पीसीओडी के उपचार के बारे में हमारे पाठको को कुछ बताएं
ये कहने में कोई दो राय नहीं है कि पीसीओडी बिना डॉक्टर के पास जाये भी ठीक हो सकता है। पीसीओडी के लिए प्राथमिक उपचार में हम आपको कुछ दवाएं दे सकते हैं पर अप अपने जीवन शैली में सुधार कर के भी इस बीमारी को ठीक कर सकतें हैं पर याद रहे दवाओं के साथ जीवनशैली में बदलाव शामिल करना बहुत हीं आवश्यक है।
एक आखिरी सवाल डॉक्टर आप हमारे पाठकों को बताएं क्या पीसीओडी के कारण महिलाओं का वजन बढ़ जाता है ?
पीसीओडी के कारण वजन बढ़ता है ये सही है पर ये कहना भी गलत नहीं है कि वजन बढ़ने से पीसीओडी होता है। देखिये होता ये है कि जो महिलाएं पीसीओडी से पीड़ित होती हैं उनमें पुरुष हार्मोन्स होते हैं। इस कारण से पीसीओडी से ग्रशित महिलाएं इंसुलिन प्रतिरोध हो जाती हैं, और वजन बढ़ जाता है और कई मामलों में मोटापे के शिकार हो जाती हैं। इस स्थिति की वजह से दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है, नींद आने में दिक्कत होती और भी कई तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं। PCOD के कारण बीपी बढ़ना, शुगर रोग, मेटाबोलिज्म सिंड्रोम और यहाँ तक कि गर्भाशय का कैंसर होने की सम्भावना भी बढ़ जाती है। इसके साथ साथ शरीर में मेल हारमोंस की संख्या भी बढ़ जाती है जिसके कारण गर्भ धारण करने में काफी परेशानी आती है और अगर गर्भधारण हो भी जाये तो गर्भपात होने की भी सम्भावना रहती है।
एक बार मैं हमारे पाठकों को यह बता देना चाहती हूं कि हमारे शरीर को कभी कोई भी परेशानी नहीं आएगी अगर हम अपने शरीर को परेशान नहीं करें तो जिसके लिए हमें अपने जीवनशैली को सुधारने कि बहुत जरूरत है । खाने में कार्ब का सेवन कम करें, रोज़ाना वर्कआउट करें, मीठा और प्रोसेस्ज़ड फूड से दूर रहें, कम न खाएं, पर्याप्त नींद लें, प्रोटीन और हेल्दी फैट्स खाएं, किण्वित यानी Fermented खाना खाएं, फाइबर खाएं ये सभी बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत हम सब को है ।