पंच सरपंच संघ : पटना. संवाददाता। स्थानीय निकाय बिहार विधान परिषद् चुनाव में पंच सरपंच को मतदाता बनाए जाने के सुगबुगाहट के साथ ही सत्ताधारी सहित विपक्षी दल के विधायकों, मंत्री और नेताओं ने साज़िश के तहत झूठा और लुभाने वादा कर ठगने में लग गए हैं। ये बातें पंच सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष आमोद कुमार निराला ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से कही। उन्होंने कहा कि मुझे भी इस तरह के कई ऑफर और प्रस्ताव मिले हैं, जिन्हें मैं सिरे से खारिज करता रहता हूं। वर्ष 2006 से अब तक राज्य की सत्ताधारी दल या प्रतिपक्ष शासन प्रशासन सभी ने ग्रामकचहरी और इसके निर्वाचित प्रतिनिधियों को घोर उपेक्षा की है। इनको लगातार ठगा जाता रहा और हमेशा सौतेला व्यवहार किया जाता रहा है।
श्री निराला ने कहा कि हमारे दर्जन भर साथियों की निर्मम हत्या हो गई। सैकड़ों साथी झूठे मुकदमों में जेल भेजे गए। ग्रामकचहरी प्रतिनिधियों के हित में अब तक विधान सभा, विधान परिषद्, लोकसभा या राज्यसभा में किसी ने आवाज नहीं उठाई। साधन, सुविधा और सहयोग के आभाव में हमारे प्रतिनिधि तंग- तवाह और परेशान रहे हैं। हमारी आधी आबादी मां बहनों की है। राज्य के लगभग 75% आबादी का प्रतिनिधित्व हमारे पंच परमेश्वर करते हैं। प्रतिवर्ष लाखों मुकदमा समाप्त करते-कराते हैं। हद ये है कि साल के 365 दिन, 24 घंटा जनता की सेवा करने वालों को सुविधा, सुरक्षा, सहयोग के नाम पर कुछ भी नहीं दिया गया है।
निराला ने कहा कि संघ की बढ़ती लोकप्रियता और चट्टानी एकता से घबराकर अब राजनेताओं ने नया हथकंडा अपनाया हैं। हमारे ही कुछ एक साथियों को दलगत राजनीति का प्रलोभन देकर संघ-संगठन को तोड़ने का अथक प्रयास कर रहे हैं। विधायक और मंत्री राज्यस्तरीय नेता जिला और प्रखंडों में जाकर अपने चहेते को संघ-संगठन का स्वघोषित पदाधिकारी बना रहे हैं। ताकि संघ को कमजोर कर अपना स्वार्थ साध सकें।
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आमोद कुमार निराला ने कहा कि ग्राम कचहरी प्रतिनिधि किसी पार्टी, दल या नेता के गुलाम या पिछलग्गू नहीं हैं। हमारे साथी किसी के टिकट पर या किसी की कृपा से चुनाव नहीं जीतते। हां जो ग्रामकचहरी और पंच सरपंच उपसरपंच हित में काम करेंगे उन्हें जाति, धर्म और पार्टी से ऊपर उठकर हम सम्मान करेंगे।
उन्होंने कहा कि बिहार प्रदेश पंच सरपंच संघ पुनः राज्य और केंद्र सरकार से मांग करती है कि अविलंब सुबे के ग्राम कचहरी सहित निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को सर्व सुविधा संपन्न बनाया जाए अन्यथा संघ लोकतांत्रिक पद्धति से चरणबद्ध संघर्ष करने को वाध्य होगी।