(Bhartiya Berojgar Party) भारतीय बेरोज़गार पार्टी बिहार प्रदेश अध्यक्ष रमेश कुमार ने कहा कि बिहार में बाढ़ आने की मुख्य वजह को जानते हुए भी अनजान क्यों हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रत्येक वर्ष हेलीकॉप्टर से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण करते हैं जिसमे बेफिजूल सरकारी खर्च होती है क्यों नहीं सरकार कोई स्थायी समाधान ढूंढती है जिससे बाढ़ की नौबत न आए और अगर आए भी तो बाढ़ प्रबंधन पहले से दुरुस्त हो।
रमेश कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार ने वर्षों पूर्व अश्वासन दिया था कि फरक्का तक गंगा नदी का सर्वे करने के बाद गंगा नदी के संदर्भ में कॉम्प्रिहेंसिव नीति बनायी जा जाएगी, अधिकारी और इंजीनियर फरक्का तक गंगा नदी का सर्वेक्षण करेंगे। साथ ही कहा था कि गंगा नदी को बचाए रखने के लिये सिल्ट मैनेजमेंट पालिसी बनाने की आवश्यकता है। फ़िर अब तक यह आश्वासन क्यों पूरा नहीं हुआ? सिल्टेशन को लेकर माधवचितले कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए रमेश कुमार ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुरू में ही गम्भीरता दिखाते तो अब तक समस्या का समाधान हो चुका होता। जिस कमिटी की रिपोर्ट में कहा गया था कि सिल्टेशन को लेकर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो समस्या और गंभीर हो सकती है।कमिटि रिपोर्ट अनुसार बराज के कारण सिल्टेशन की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।
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(Bhartiya Berojgar Party) गंगा नदी सिल्टेशन (गाद) के कारण छिछली हो गई है, जिस कारण से उसमें पानी आने पर उसके आसपास के इलाके में पानी का फैलाव होता है।रमेश कुमार ने गंगा नदी में जमी गाद (सिल्ट) के लिए फरक्का डैम को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इस डैम को हटाए बिना गंगा में गाद की समस्या समाप्त नहीं हो सकती।कहा कि गंगा नदी सिल्टेशन (गाद) के कारण छिछली हो गई है, जिस कारण से उसमें पानी आने पर उसके आसपास के इलाके में पानी का फैलाव होता है। रमेश कुमार ने कहा कि बाढ़ आने का प्रमुख कारण गंगा नदी का सिल्टेशन है। उन्होंने कहा कि फरक्का डैम बनने के बाद से गंगा नदी में गाद जमा होने लगा है, जिससे यह स्थिति बन गई है। उन्होंने कहा कि वह बिहार सरकार को पत्र भेज अपील करेंगे कि सिल्ट मैनेजमेंट के लिए नीति बनाई जाए।
उन्होंने कहा कि गंगा की तह में गाद की ढेर जमा है। इसमें विभिन्न तरह की गाद है। इसे हिमालय से बहकर आए पानी के साथ आने वाली महीन मिट्टी भर समझना भूल होगी। शहरों के मैला जल और औद्योगिक कचरा के साथ आने वाली गंदगी भी इकट्ठा है। इस गंदगी का असर गंगा में पलने वाले जलीय जीवों पर पड़ा है।