Bihar Politics पटना, मुकेश महान। पीएम मोदी के विजयरथ को रोकने की रणनीति बनाने के लिए कई विपक्षी नेता पटना पहुंच चुके हैं तो कुछ महत्वपूर्ण नेताओं का अभी पटना पहुंचने का इंतजार है। आज 23 जून को होने वाली बहुप्रतिक्षित विपक्षी एकता की बैठक में अब कुछ ही घंटे शेष हैं। स्वाभाविक तौर पर इसको लेकर हलचल तेज है। सुरक्षा व्यवस्था को भी चाक चौबंद रखा गया है। तमाम उस इलाके के चप्पे चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात किये गए हैं जहां दूसरे राज्यों से आए बड़े- बड़े नेताओं को ठहराया गया है। लगातार बड़े अधिकारी भी इसका जायजा लेते रहे हैं।
इस खास और महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन, कम्युनिस्ट नेता डी राजा, जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जैसे कई नेता पटना पहुंच चुके हैं। ये नेता स्टेट गेस्ट हाउस, सर्किट हाउस, होटल चाणक्य आदि जगहों पर रुके हुुए हैं।
खासबात यह है कि यह बैठक 13 जून को ही होनी थी लेकिन कांग्रेस नेताओं के न उपस्थित हो पाने की वजह से इसकी तिथि बढ़ा कर 23 जून कर दी गई थी। आज 23 जून को विपक्षी नेताओं की इस कवायद का मकसद हरहाल में केंद्र से मोदी सरकार को बाहर करना है।
इसके लिए पहली बार तमाम विपक्ष एक साथ पटना में पहली बार बैठ रहा है। माना जाता है कि अब कांग्रेस को लेकर भी इस बैठक के लिए कोई संशय नहीं है। यह भी माना जाता है कि इस बैठक को लेकर सिर्फ एक ही महत्वपूर्ण एजेंडा है। वह एजेंडा है- सबों का एक मत होना, मोदी सरकार के खिलाफ हर जगह मिलकर कर लड़ना और उन्हें पराजित करना।
Bihar Politics: यह तय हो जाने के बाद ही आगे के मुद्दे तय किये जाएंगे। इसके साथ ही अगर विपक्षी एकता में या किसी दो पार्टियों के बीच कोई गतिरोध है तो उसे मिल कर दूर करने की बात भी तय होनी है। फिलहाल इस गतिरोध को लोकसभा चुनाव 2024 तक टाले जाने के रास्ते भी ढूंढ़े जा सकते हैं। यह भी तय माना जारहा है कि अभी प्रधानमंत्री का नाम और चेहरा पर कोई चर्चा नहीं की जाएगी। इस चर्चा को आगे की किसी बैठक के लिए रखा जाएगा, ताकि अभी नाम को लेकर विवाद न हो।
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दूसरे शब्दों में यह जा सकता है कि बैठक में आए विपक्ष के नेताओं की यह जिम्मेदारी है कि भाजपा और उसके सहयोगियों में यह संदेश वो दे सकें कि वो एक हैं और एक साथ मिल कर अगला लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। माना जाता है कि विपक्ष का एकमत यह निर्णय ही भाजपा और उनके सहयोगियों के लिए राजनैतिक सिरदर्द का कारण बन सकता है।