पटना, संवाददाता। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) के ट्वीट से स्पष्ट है कि Darbhanga AIIMS के लिए राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई जमीन को अभी तक केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है। मतलब हकीकत में दरभंगा एम्स अभी भी फाइलों की धूल ही फांक रहा है। लेकिन इसको लेकर केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री ट्वीटर पर एक दूसरे के साथ आरोप प्रत्यारोप में उलझे पड़े हैं।
आरोपों का दौर तब शुरु हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार की उपलब्धि गिनाते हुए दरभंगा एम्स बनवाने की बात कह दी। इसके जबाव में बिहार के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejaswi yadav) ने अपना विरोध जताया। साथ ही स्पष्ट किया कि दरभंगा में तो अभी कोई एम्स बना ही नहीं। प्रधानमंत्री इसके निर्माण का क्रेडिट कैसे ले सकते हैं।
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बात यहीं खत्म नहीं हुई। प्रधानमंत्री के उस भाषण को लेकर तेजस्वी यादव ने एक ट्वीट किया। इसका जवाब भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) की ओर से आ गया। इसके साथ ही फिर रिट्वीट का सिलसिला चल पड़ा। दरअअसल ट्वीट के बहाने एक दूसरे पर आरोप और अपनी सरकार की ओर सफाई ही दी जाती रही। इस पूरे प्रकरण का एक फाएदा आम जनता को यह हुआ कि Darbhanga AIIMS को अब तब शुरु होने के उनके सपने टूट गए। इलाके में स्वास्थय विकास के भ्रम से वो बाहर निकल सके।
देखें लिंक- https://twitter.com/mansukhmandviya/status/1690376264442650624?s=20
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इस ट्वीटर वार से यह तो स्पष्ट हो गया कि जमीन पर अभी कोई काम हुआ ही नहीं है। काम होना तो दूर अभी किस जमीन पर और दरभंगा के किस इलाके में एम्स बनेगा यह भी अभी तय नहीं हो सका। राज्य सरकार की ओर से 151 एकड़ की एक जमीन उपलबध कराई गई है लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा अनुपयुक्त बता कर अस्वीकार कर दिया गया है. हालाकि राज्य सरकार ने उस जमीन की भराई के लिए 250 करोड़ की राशि भीआबंटित कर दी गई है। लेकिन लब्बो लुआब यह है कि Darbhanga AIIMS एम्स अनुमति मोदी सरकार ने 19 सितंबर 2020 को ही दी थी। लेकिन अबतक जमीन तय करने की शुरुआती प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई है।
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