पटना, संवाददाता। फतेहपुर चैन,दरियापुर, छपरा की मुखिया रीना देवी हैं। पंचायती राज में वर्तमान व्यवस्था और सुविधा को लेकर उन्हें भी परेशानी है। परेशानी इस बात की भी है कि व्यवस्था के कारण समय पर जरूरतमंदों को वो मदद नहीं पहुंचा पाती हैं। वो कहती हैं कि कोई फंड अब मुखिया के पास नहीं होता है। सब उपर से तय हुआ रहता है कि किस काम के लिए कितना फंड है। यह देखने समझने वाला कोई नहीं है कि जिस काम के लिए फंड है, उस काम की जरूरत भी उनके पंचायत में है या नहीं।
वो कहती हैं कि यह भी देखने समझने वाला कोई नहीं है कि पंचायत में किस काम की प्राथमिकता है। आपात जरूरत क्या है। बस अधिकारियों द्वारा बनाई गई और स्वीकृत योजनाएं जल्दी पूरा कराये जाने के दबाव के साथ मुखिया पर लाद दी जाती है। उसका भुगतान कब होगा, इसकी भी गारंटी नहीं है। जबकि मजदूरी प्रतिदिन मुखिया को मैनेज करना पड़ता है। वो कहती हैं कि कच्चा वर्क करने पर मजदूरों को तुरंत पैसा देना होता है। लेकिन मुखिया के पास देने के लिए एक ढेला भी नहीं होता है।
रीना कहती हैं कि सच कहें तो मुखिया के अधिकारों में लगातार कटौती की जाती रही है और अब एक तरह से वित्त रहित बना दिया गया है। हमारे पास कोई स्वतंत्र प्रभार जैसा कोई चीज नहीं है। हम बस जैसे सरकार के एजेंट हैं, सरकारी योजनाओं को पूरा करवाते हैं। उसमें भी कई बार तत्काल हमारे ही पैसे लग जाते हैं। कई बार तो बाद में वापस लौट आते हैं और कई बार तो डूब भी जाते हैं।
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मुखिया रीना कहती हैं कि हर घर नल योजना के बाद चापाकल योजना बंद कर दी गई। लेकिन आज भी हर पंचायत के लिए चापाकल की जरूरत पड़ रही है। लगभग हर पंचायत में कुछ घर ऐसे हैं जो टोला से अलग हटकर कुछ दूरी पर हैं, जहां नल जल योजना नहीं जा सकी है। ऐसी स्थिति में जरूरी है कि वहां चापाकल हो। लेकिन हम उन्हें चापाकल नहीं दे सकते हैं। इसी तरह हमारे अधिकार में अभी जरूरतमंदों को न राशन देने का है, न ही हम उन्हें घर उपलब्ध करा सकते हैं। पंचायतों में हर घर नल जल योजनाओं के तहत पाइपें एक बार बिछा दी गईं लेकिन ग्रामीण इलाका होने के कारण ये प्लास्टिक पाइपें टूट भी रही हैं, इसके रिपेयरिंग या बदलने के लिए कोई फंड नहीं दिया गया।
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मुखिया रीना देवी कहती हैं कि ऐसे ढेर सारी दिक्कतों के साथ मुखिया अपने पंचायत का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं। पंचायती राज व्यवस्था को अगर सही ढ़ंग से चलाना है तो वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा जरूरी है।