पटना, संवाददाता। बिहार प्रदेश पंच-सरपंच संघ प्रदेश अध्यक्ष अमोद कुमार निराला ने सूबे के सभी ग्राम कचहरी एवं इसके निर्वाचित प्रतिनिधियों को सर्व सुविधा संपन्न बनाने के मकसद से एक और पत्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेजा है। साथ ही चेतावनी भरे अंदाज में कहा है कि यह आखिरी पत्र है। अब भी अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो बिहार के पंच परमेश्वर उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे, जिसकी सारी जवाबदेही बिहार सरकार, शासन-प्रशासन की होगी। उन्होंने कहा कि विवश हो कर पंच-सरपंच को अपनी एकता का प्रदर्शन एक बार सरका के सामने करना ही होगा।
पंच सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमोद कुमार निराला पत्र में उन्होंने लिखा है कि वर्ष 2006 से लगातार न्याय प्रतिनिधि तथा कर्मियों को उपेक्षित रखा गया है। मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट करते हुए पत्र के जरीय पूछा गया है कि 13 दिसंबर 13 को बिहार विधान मंडल के सदनों में पंचायतीराज सशक्तिकरण हेतु 20 प्रस्ताव एवं 22 जुलाई 2016 को वेबकास्टिंग के माध्यम से सभी जिला मुख्यालयों पर उपसरपंच, सरपंच को आमंत्रित कर मुख्यमंत्री ने जो दिशानिर्देश और सहयोग की बात की थी, क्या वह सब दिखावा और ओछी राजनीति थी|
उन्होंने पत्र के माध्यम से यह भी जनना चाहा है कि तत्कालीन पुलिस महानिदेशक नीलमणि, अभयानंद, ठाकुर साहब एवं गुप्तेश्वर पांडे के आदेश को अब तक चौकीदार-पुलिस क्यों नहीं मान रही है। पत्र में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2006 से पंच सरपंच और उपसरपंचओं की नित्य हो रही निर्मम हत्या, हत्या का प्रयासों, जानलेवा हमला, झूठे मुकदमा और मारपीट पर प्रशासन मौन क्यों है।
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पंच-सरपंच संघ के अध्यक्ष आमोद निराला ने इस संवाददाता को बताया किहमारी मांग है कि बिहार ग्राम कचहरी और इसके निर्वाचित प्रतिनिधियों को मिलने वाली अब तक की सभी तरह, की बकाया राशि का भुगतान जल्द से जल्द हो। अन्यथा अपमानजनक मानदेय, ग्राम कचहरी प्रतिनिधि सहित विधायकों का वेतन, भत्ता, पेंशन भी बंद हो।उन्होंने कहा कि चुनाव पूर्व तत्कालीन पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी द्वारा इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में प्रकाशित ग्राम कचहरी से संबंधित खबर विकासात्मक कार्यों में सहभागिता आदि क्या जुमला था यह स्थिति स्पष्ट करने हेतु मुख्यमंत्री को अंतिम आग्रह पत्र सौंपा गया है।
पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया कि 30 दिनों के अंदर ग्राम कचहरी और प्रतिनिधियों को सरकार सर्व सुविधा संपन्न बनाए वेतन, भत्ता, पेंशन, सुरक्षा से आच्छादित करे। पंच सरपंच के साथ हुए आपराधिक मामलों में अविलंब गिरफ्तारी हो और सजा दिलाई जाए। ऐसा नहीं होने पर बिहार के पंच परमेश्वर उग्र आंदोलन चलाने को बाध्य होंगे, जिसकी सारी जवाबदेही बिहार सरकार और शासन-प्रशासन की होगी