पचना, संवाददाता। जातिगत जनगणना, आरक्षित कोटे से लाखों बैकलॉग रिक्तियों को अविलम्ब भरने तथा मंडल कमीशन की शेष अनुशंसाओं को लागू कराने की माँगों को लेकर सभी ज़िला मुख्यालयों पर पार्टी का विरोध प्रदर्शन शानदार, जानदार और दमदार रहा। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी साथियों को कोटि-कोटि धन्यवाद।ये बात प्रेस को जारी एक बयान में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कही ।
जारी बयान में तेजस्वी यादव ने कहा कि जातिगत जनगणना करवाने की माँग जात पात की राजनीति नहीं, बल्कि उपेक्षित, गरीब व वंचित समाज के उत्थान के लिए एक अत्यावश्यक, सकारात्मक और प्रगतिशील कदम है। यह सर्वविदित है कि देश में सामाजिक आर्थिक रूप से सबसे पिछड़े OBC, SC, ST और EWS हैं। अगर सबकी संख्या की सही जानकारी नहीं होगी तो उनके उत्थान के लिए प्रयास कैसे होंगे?
उन्होंने कहा कि कोई समूह यह ना समझे कि जातिगत जनगणना करवाना या इसके लिए विरोध प्रदर्शन के हितों को दबाने वाला एक कदम होगा। सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक व राजनीतिक पिछड़ापन एक बीमारी है। बीमारी से मुँह मोड़ने से नहीं बल्कि उसकी जड़ में जाकर, उसकी पूरी जानकारी प्राप्त कर उत्थान व समावेशीकरण के उपाय करने से ही उपचार होगा।
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जातीय जनगणना देश के विकास एव समाज के वंचित और उपेक्षित समूहों के उत्थान के किए अति ज़रूरी है।नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विश्व के लगभग हर लोकतांत्रिक देश में समाज की बराबरी, उन्नति, समृद्धि, विविधता और उसकी वास्तविक सच्चाई जानने के लिए जनगणना होती है। सरकार हर धर्म के आँकड़े जुटाती है,इसी प्रकार अगर हर जाति के भी विश्वसनीय आँकड़े जुट जाएँगे तो उसी आधार पर हर वर्ग और जाति के शैक्षणिक आर्थिक उत्थान, कार्य पालिका, विधायिका सहित अन्य क्षेत्रों में समान प्रतिनिधित्व देने वाली न्यायपूर्ण नीतियां बनाई जा सकेंगी। उसी अनुसार बजट का भी आवंटन किया जा सकेगा।
हमारे देश में 1931 में यानि 90 वर्ष पूर्व जातिगत जनगणना हुई थी। उसके बाद कोई सही आँकड़ा सरकारों ने सामने नहीं आने दिया। जातिगत जनगणना सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम हैं। जातीय जनगणना से समाज के अंतिम पायदान पर खड़े सामाजिक समूहों को आगे आने का विश्वसनीय अवसर मिलेगा।हमारी पार्टी की यह पुरानी माँग रही है। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के अथक प्रयासों और दबाव के चलते 2010 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था। उस पर लगभग 5000 करोड़ खर्च भी किया गया लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने सभी आँकड़े छुपा लिए।हम सामाजिक न्याय के लिए संघर्षों और इंसाफ के मूल्यों के लिए पूर्णत: प्रतिबद्ध हैं। आइए हम सब एकजुट होकर एक समतापूर्ण और विकसित समाज के लिए लड़े। यह सबों के उत्थान और भविष्य से जुड़ा मसला है।