जनतांत्रिक विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार ने अगड़ी कही जाने वाली जातियों को आर्थिक आधार पर आरक्षण का किया विरोध। पटना, संवाददाता। केन्द्र सरकार एवं सुप्रीम कोर्ट द्वारा अगड़ी कही जाने वाली जातियों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का जनतांत्रिक विकास पार्टी ने विरोध किया है। आज पटना में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि यह आरक्षण की मूल भावना और संविधान से खिलवाड़ है। हमारी पार्टी इसे संविधान की मूल भावना के साथ छेड़खानी मानती है। जब तक केन्द्र सरकार अपने इस निर्णय को वापस नहीं लेगी, तब तक पार्टी हर लोकतांत्रिक तरीकों से इस आरक्षण का विरोध करेगी।
उन्होंने कहा कि EWS को EWS बोलना बंद करके FEWS के नाम से संबोधित किया जाना चाहिए – Resrvation for Forward Caste Economically Weaker Section, क्योंकि इसके तहत सिर्फ अगड़ी जातियों को ही आरक्षण का लाभ दिया जायेगा। अगर केन्द्र सरकार को गरीबी के आधार पर आरक्षण देना ही था तो अगड़ी-पिछड़ी सभी जातियों के गरीब लोगों को इस आरक्षण का लाभ देना चाहिए था। उन्होंने आगे कहा कि FEWS को लेकर देश की आम जनता में रोष और विवाद है ।
अनिल कुमार ने कहा कि FEWS के तहत सिर्फ नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थाओं में ही आरक्षण का लाभ दिया जायेगा। तो सबसे पहले तो यह देख लिया जाना चाहिए था कि पहले से ही नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थाओं में अगड़ी कही जाने वाली जातियों की संख्या पिछड़ी जातियों की तुलना में काफी अधिक है। सरकारी नौकरियों में अगड़ी एवं पिछड़ी जातियों के कितने-कितने लोग काम कर रहे हैं, सरकार यह डाटा सबके सामने रखे तो तुरंत दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। अब भी पिछड़ी जातियों के लोग सरकारी नौकरियों में अगड़ी जातियों की तुलना में काफी कम हैं। ऐसे में अगड़ी जातियों के लोगों को अलग से आरक्षण देने का कोई मतलब ही नहीं बनता है।
उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं में नामांकन की ही बात ले लीजिए तो आज भी हर प्रसिद्ध संस्था में अगड़ी कही जाने वाली जातियों के छात्र पिछड़ी जातियों की तुलना में काफी अधिक संख्या में प्रति वर्ष एडमिशन पा रहे हैं। ऐसे में उनके लिए अलग से आरक्षण उनके प्रभुत्व को और भी अधिक बढ़ाएगा एवं पिछड़ी जातियों के छात्र-छात्राओं के मनोबल को कमजोर करेगा।
FEWS के तहत आरक्षण देने के लिए सरकार के पास आर्थिक आधार पर जनगणना का कोई डाटाबेस भी नहीं है। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि आखिर सरकार इस आरक्षण का लाभ देगी कैसे ? दरअसल इस लॉलीपॉप के जरिए केन्द्र सरकार का एकमात्र उद्देश्य 2024 तक के सभी चुनावों में अगड़ी जातियों का वोट बटोरना है। इस आरक्षण को लागू करने के लिए सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में बदलाव कर दिया जो संविधान की मूल भावना के साथ छेड़-छाड़ है।