राजद में विलय किया शरद यादव ने अपनी पार्टी लोजद का । नई दिल्ली, संवाददाता। कभी मुखर समाजवादी नेता और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष समाजवाद के नाम पर रविवार को अपनी पार्टी लोजद को राजद में विलय कर अपनी विरासत तेजस्वी को सौंप दिया। अब देखना दिलचस्प होगा की बदले में राजद से उन्हें क्या मिलता है।
दिल्ली के एक कार्यक्रम में तेजस्वी यादव की उपस्थिति में शरद यादव ने इसकी घोषणा की। मौके पर राजद नेता व बिहार में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि शरद यादव ने जो निर्णय लिया वह निडरता के साथ लिया गया निर्णय है। तेजस्वी यादव ने कहा कि लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने मिलकर लंबा संघर्ष किया है। इनकी जीवनी लोगों को पढ़नी चाहिए। आज फिर से पुराने जनता दल का रूप हम लोगों के सामने आ रहे हैं। शरद यादव ने काफी निडरता दिखाई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास न तो कोई नीति है, न कोई सिद्धांत। वे कभी इधर रहते हैं कभी उधर रहते हैं ।
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तेजस्वी ने कहा कि अगर ऐसा निर्णय अगर और पहले हो जाता तो और भी अच्छा होता। तेजस्वी यादव ने कहा कि अब देर बहुत हो गई। सभी विपक्षी पार्टियों को मिलकर तैयारी करने की जरूरत है। शरद यादव के समर्थकों से तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारी पार्टी अब आप सब लोगों की पार्टी है। कार्यकर्ताओं से ही हमें ऊर्जा मिलती है। शरद यादव ने मेरे ऊपर काफी भरोसा जताया है। इस भरोसे को हम सबको मिलकर संभालना है। सभी समाजवादी लोगों को एकजुट हो जाना चाहिए।
खास बात है कि शरद यादव 30 साल पहले तक लालू प्रसाद यादव के साथ थे। फिर उन्होंने नीतीश का दामन थाम लिया था। नीतीश कुमार और जदयू के साथ रहते हुए वो कई बार सांसद बने और केंद्र में मंत्री भी बने। लेकिन एक विवाद की वजह से उन्हें जदयू से अलग होना पड़ा। तब अपना राजनीतिक अस्तीत्व बचाए रखने के लिए उऩ्होंने अपनी पार्टी लोजद बनाई लेकिन इसका कोई राजनीतिक लाभ न्हें नहीं मिल सका और धीरे धीरे वो राजनीतिक हाशिए पर चले गए थे।