महफिल-ए-शेरो-सुख़न में खूब सुनाई गई शेर ओ शायरी और गजल। साहित्यिक संस्था सामयिक परिवेश ने आज अपना 17 वां वार्षिकोत्सव बड़े ही साहित्यिक अं...
बिहार

महफिल-ए-शेरो सुख़न : लोग मतलब से पास आते हैं, मैं कहां सब के पास जाती हूं

पटना, संवाददाता। महफिल-ए-शेरो-सुख़न में खूब सुनाई गई शेर ओ शायरी और गजल। साहित्यिक संस्था सामयिक परिवेश ने आज अपना 17 वां वार्षिकोत्सव बड़े ही साहित्यिक अंदाज में मनाया। कार्यक्रम का नाम ही रखा गया था महफिल-ए-शेरो-सुख़न। गांधी मैदान स्थित खादी मॉल सभागार सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में काव्यरस की धारा प्रवाहित हो रही थी […]