सामयिक परिवेश कवि गोष्ठी : नींद मीठी-सी थी, ख़्वाब बुनते रहे....। लाख जतन करने पड़ते हैं, इश्क की मंज़िल पाने को दिल हारा है तब जीता है मै...
बिहार

सामयिक परिवेश कवि गोष्ठी : दिल हारा है तब जीता है मैंने एक दीवाने को

सामयिक परिवेश कवि गोष्ठी : नींद मीठी-सी थी, ख़्वाब बुनते रहे….। लाख जतन करने पड़ते हैं, इश्क की मंज़िल पाने को दिल हारा है तब जीता है मैंने एक दीवाने को….। सोनपुर, संवाददाता। सोनपुर पर्यटन विभाग के मुख्य मंच पर सामयिक परिवेश के तत्वावधान में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश के अनेक […]