कोडिंग एक ऐसा स्किल है जो क्रिएटिव माइंड डेवलप करता है। आजकल इंजीनियरिंग क्षेत्र में कोडिंग को एक जबरदस्त स्किल माना जा रहा है। जबकि कोडिंग...
टेक्नोलॉजी

कंप्यूटर कोडिंग से क्रिएटिव माइंड डेवलप होता है

कंप्यूटर कोडिंग एक ऐसा स्किल है जो क्रिएटिव माइंड डेवलप करता है। आजकल इंजीनियरिंग क्षेत्र में कोडिंग को एक जबरदस्त स्किल माना जा रहा है। जबकि कोडिंग के लिए भी कई लैंग्वेज होते हैं, प्रमुख कोडिंग लैंग्वेज  सी++ (C++), जावा (JAVA), रूबी (RUBY), पायथन (PYTHON), पीएचपी (PHP), जावास्क्रिप्ट (JAVASCRIPT), डॉट नेट (.NET) है। जबकि इस स्किल को सीखने के लिए भी कुछ बातें होना जरूरी होती है।

 विशेषज्ञों (Tech Bowls) की मानें तो तेजी से डिजिटल हो रही दुनिया में कोडिंग सीखने वालों की संख्या दिन पर दिन बढ़ रही है। आम भाषा में यह कहा जा सकता है की कंप्यूटर की अपनी भाषा होती है। कंप्यूटर जिस भाषा को समझती है उसे ही कोडिंग कहते हैं। यह सर्वविदित है कि कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में जिस लैंग्वेज का उपयोग किया जाता है, उसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज लिखना कहते हैं और यही कोडिंग कहलाता है।

 कम्प्यूटर पर कोडिंग की मदद से सॉफ्टवेयर, वेबसाइट्स और ऐप बनाये जाते हैं। आजकल इसका क्षेत्र इतना विस्तारित हो गया है कि लगभग सभी सरकारी और गैरसरकारी फ्तरों में सॉफ्टवेयर, वेबसाइट्स और ऐप पर काम होने लगा है, इसलिए इस क्षेत्र में लोगों को अब जॉब आसानी से मिल जाता है। यह क्षेत्र अब इतना फैलता जा रहा है की हर संस्थान में कंप्यूटर के जानकारों की जरूरत होने लगी है। कई बड़े संस्थानों में सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन डेवलपर, वेब डेवलपर, मोबाइल ऐप डेवलपर, कंप्यूटर सिस्टम इंजीनियर, डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर, कंप्यूटर सिस्टम एनलिस्ट, सॉफ्टवेयर क्वालिटी एनलिस्ट इंजीनियर समेत कई पदों पर नियुक्ति भी हो रही है।

 विशेषज्ञों का कहना है कि कोडिंग एक ऐसी स्किल है, जिसकी मदद से टेक्निकल चीजों का आधार समझा जाता है। कोडिंग से प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल बढ़ती है। एक बेहतर प्रोग्रामर बनने के लिए उन भाषाओं को जरुर सीखना चाहिए, जिनकी बाजार में मांग है। इंजीनियरों को कोडिंग के क्षेत्र में नई जानकारियों से अपडेट रहने के अतिरिक्त किसी एक कोडिंग भाषा में विशेषज्ञता हासिल करना चाहिए, क्योंकि आगे चलकर उन्हें यह बड़ा काम आयेगा।

 विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के लिए भी कोडिंग बहुत जरूरी है, क्योंकि कोडिंग से क्रिएटिव माइंड डेवलप होता है। कम उम्र में यदि बच्चे कोडिंग सीख लेते हैं तो मोबाइल गेम्स, सॉफ्टवेयर एवं वेबसाइट आदि बना सकते है। आजकल स्कूलों में भी बच्चों का कम्युनिकेशन स्किल और समस्याओं को सुलझाने का कौशल बढ़ाने के लिए कंप्यूटर शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। देखा गया है कि कोडिंग सीखने से बच्चों की गणित जैसे गंभीर विषय में भी रुचि बढ़ने लगती है।

Read also- pre pregnancy : आपको होती है पोषण और सूक्ष्म पोषक तत्वों की खास जरूरत

  इस क्षेत्र में चुनौतियां बहुत है, इसलिए कोडिंग करने वालों को कम से कम एक कोडिंग भाषा में अपनी पकड़ मजबूत करनी चाहिए और इस पर रोजाना कुछ समय देना चाहिए। कोडिंग के लिए लॉजिकल थिंकिंग की भी बहुत जरूरत रहती है, कंप्यूटर में स्टेप बाई स्टेप कमांड फीड करना पड़ता है, इसलिए कोडिंग के साथ थोड़ा फ्रेमवर्क पर भी मजबूत पकड़ बनाने की आवश्यकता होती है, ताकि सिक्योरिटी पर आसानी से काम किया जा सके। विशेषज्ञों की सलाह होती है कि कोडिंग करने वालों को रोजाना कम से कम कोडिंग वर्क को 2 से 3 घंटे अवश्य करना चाहिए और समस्याओं को छोटे छोटे हिस्सों में बांटकर सुलझाने की कोशिश करना चाहिए।

Image credit: Tech Bowls

जितेन्द्र कुमार सिन्हा
जितेन्द्र कुमार सिन्हा
Xpose Now Desk
मुकेश महान-Msc botany, Diploma in Dramatics with Gold Medal,1987 से पत्रकारिता। DD-2 , हमार टीवी,साधना न्यूज बिहार-झारखंड के लिए प्रोग्राम डाइरेक्टर,ETV बिहार के कार्यक्रम सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार के लिए स्क्रिपट हेड,देशलाइव चैनल के लिए प्रोगामिंग हेड, सहित कई पत्र-पत्रिकाओं और चैनलों में विभिन्न पदों पर कार्य का अनुभव। कई डॉक्यूमेंट्री के निर्माण, निर्देशन और लेखन का अनुभव। विविध विषयों पर सैकड़ों लेख /आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कला और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई सम्मान से सम्मानित। संपर्क-9097342912.